Ravi Gupta   (.)
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A writer ,
A poet ,
A Motivational Speaker ,
A Teacher ,
A Learner...
Joined 28 April 2018


A writer ,
A poet ,
A Motivational Speaker ,
A Teacher ,
A Learner...
Joined 28 April 2018
19 JAN 2020 AT 12:15

दर्द के मचान पर ,
बड़ी खूबसूरती से ,
मुस्कुराने का अभिनय ,
वो रोज़ करता रहा ।

दो जून रोटी के ,
ढलते अधपके ख्वाब
कभी अधूरे ,कभी पूरे
वो करता रहा |

ज्वाला भीतर थी बहुत ,
पर जल ना सका ,
खुद में ही कहीं ,
मद्दम सुलगता रहा ,

सर्द रातों में ,
खुले आसमां तले ,
बिन चादर -संग बच्चे ,
वो ठिठुरता रहा ,

जलमग्न था मावठ में,
जब भू धरा और जहाँ
आकर पलकों पर
समंदर ,उसके बहता रहा।

रविन्द्र कुमार गुप्ता
मेरी कहानियां , मेरे संस्मरण
                  
      

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10 JAN 2020 AT 20:57

समय,
दौड़ता भागता हांफता ,
समय,

प्रतिपल ,
मसरूफ़
और मसरूफ़
करता जाता ...

भरता जाता ,
खालीपन
दिल के तलघर में ,

मन की हरी जमीं ,
बन गयी
बंजर ,
जहां अब नहीं लहलहाती ,
प्रेम की फुलवारियां
अपनेपन ,
से भरी क्यारियाँ ,

हाँ कुछ और ही ,
शुष्क ,
कँटीला
नागफनी सा ,
उग आया है ,

नहीं दिखते अब,
वो खयाल करते ,
मखमली मिट्टी से,
सौंधी सौंधी महकीयत भरे नाते,

बिछ गई है सब और ,
चमकते ,चिकने पर चुभते ,
कठोर तीखे फर्शीयत भरे रिश्ते ,

मन हो गया अब इमारत ,
सूनेपन का ,
जो था घर कभी ,
ठहाकों का ,

अक्सर सन्नाटा शोर करता है ,
मन के भीतर ,
और बाहर का शोर ,
सन्नाटा सा लगता है ...

सोचता हूँ ,
कभी ,
क्या लौट चलूं ,
गन्तव्य को छोड़ ,
प्रारब्ध से मुंह मोड़,
उद्गम की ओर ...
पर ,
लौट जाने की पगडंडी भी तो ,
अब पथविहीन हो गयी है ...

#Ravindra_Kumar_Gupta

#मेरी_कहानियां_मेरे_संस्मरण

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31 DEC 2019 AT 18:41

A lot of thoughts keep on flowing through our mind .
We are free to choose which thought , we should focus upon .

We can decide the direction of our realization , feelings .

Choose best among the thoughts in mind ,
Control the way to think ,
decide what to think .

#Be_positive
#Be_happy

#मेरी_कहानियां_मेरे_संस्मरण

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31 DEC 2019 AT 10:12

व्यक्ति ,जीवन-सागर में कर्म की पतवार से सांसारिकता की नैया को भावनाओं की लहरों पर गतिशील रखते हुए समय-काल के संग आगे बढ़ता जाता है ।

प्रायः भावनाओं की सुनामी हिलोरे मारती हैं , फिर भी उसका धर्म है - निरन्तर निर्बाध आगे बढ़ते जाना ।

नाव लहरों पर रहे तो उचित है , यदि लहरें नाव पर आरूढ़ हो जायें तो डूबने का खतरा बढ़ जाता है ।

#मेरी_कहानियां_मेरे_संस्मरण

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7 AUG 2019 AT 23:02

मरीचिका से मेरे सपने ...

सच होने का बस भ्रम होता ,
छूने से पहले ही वो बिखर जाते ,

आशाओं के दर्पण में ,
मंजिलों का प्रतिबिम्ब ही दिखता ,

संघर्ष प्रतिपल वास्तविक रहता ,
पर
सफलताएं हरदम आभासी होती ...

रविन्द्र कुमार गुप्ता
मेरी कहानियां , मेरे संस्मरण

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15 MAR 2019 AT 10:19

संघर्षों में लड़ना सीखा ,
मुश्किलों में जूझना सीखा,
दर्द में मुस्कराना सीखा ,
आलोचनाओं पर चुप रहना सीखा ,
सफलताओं पर संयमित रहना सीखा ,
तब जाकर ,
दुनिया में बसना सीखा ...

Ravindra Kumar Gupta

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22 SEP 2018 AT 13:30

हर कोई लगा
समझाने में खुद को ,
पर नहीं किसी को ,
दूसरे को समझने का वक्त ।
बोली प्यार की ,
बदल कर हो गयी ,
कुछ कड़वी ,
कुछ सख्त ।
छोटी छोटी बातों पर,
होने लगे हम आमादा ,
बहाने को ,
एक दूसरे का रक्त ।
खोखली हो गयी ,
अपनेपन की जड़ें ,
बो दिये हमने ,
ईर्ष्या के दरख़्त ।
फुट डालो,
और राज करो ,
छीन लो भाईचारा ,
बस हासिल करो तख्त ।
ना रहा अब राष्ट्र सर्वोपरि ,
हम बस बनने लगे ,
जातिवाद के गुलाम ,
और राजनीति के भक्त ।

-रविन्द्र कुमार गुप्ता


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19 SEP 2018 AT 23:19

To all ,
who feel life is worthless ...

तन्हा है तो क्या ,
सब्र कर ,
अकेला है तो क्या ,
सब्र कर,
हार गया है तो क्या,
सब्र कर,
दुखी है तो क्या,
सब्र कर,
संघर्ष है तो क्या ,
सब्र कर ,
समझता नहीं है कोई तो क्या,
सब्र कर ,
मुश्किल हैं हालात तो क्या,
सब्र कर ,
धोखा खाया प्यार में तो क्या,
सब्र कर,
तंग हैं हाथ तो क्या,
सब्र कर,
चढ़ा है कर्ज तो क्या,
सब्र कर ,
मुश्किल है सफर तो क्या,
सब्र कर ,
नहीं चूकती किश्तें तो क्या,
सब्र कर ,
नहीं हुई पास परीक्षा तो क्या,
सब्र कर ,
घर मे लड़ाई है तो क्या,
सब्र कर ,
हंसते हैं लोग तो क्या,
सब्र कर ,
हिम्मत ना हार ,
होंसला रख ,
लड़,
मुस्करा ,
मेहनत कर,
हजार हों कारण जीवन नहीं जीने के ,
पर ,
कोई एक कारण ढूंढ ,
जीवन जीने का ,
कायर ना बन ,
हिम्मत रख ,
समय है यह तो,
कट ही जाएगा,
वक्त फिर कभी तेरा भी आएगा ,
सब तेरे अनुकूल होगा ,
साथ भी होगा ,
प्यार भी होगा ,
सफल भी होगा ,

ऐश्वर्य भी होगा ,
इंतज़ार कर ,
वक्त के बदलने का ,
तूफान के निकलने का,
खुद ना निकल ,
सब्र कर ,सब्र कर , सब्र कर

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9 SEP 2018 AT 0:29


नहीं गुरेज आरक्षण से ,
पर मिले उसे ,
जो है सच्चा हकदार ,
जो था अब तक दरकिनार ,
उसे क्यों ,
जो परिवार दर परिवार ,
ले चुका फायदा सैंकड़ों बार ,

संविधान दे चुका कइयों मौका ,
अग्रिम पंक्ति में आने का,
अब आ चुका है वक्त ,
अपना भी फर्ज निभाने का ,

आओ करें बड़ा मन ,
त्यागे आरक्षण ,
मिल सके उसे भी फायदा ,
जो है अब तक अकिंचन ,

आओ मिल करें तैयारी,
नव भारत बनाने की ...
दो कदम तुम चलो ,
दो कदम हम बड़ें ,
छोड़ें ये वैमनस्य ,
त्यागे ये भेद ,
भूलें ये जाति ,
आओ मिल करें तैयारी,
नव भारत बनाने की ...

छोड़ें निज स्वार्थ ,
त्यागें अपना हक,
बन चुके गर सशक्त ,
करें स्वेच्छा से परित्याग,
छोड़ें अपना आरक्षण ,
क्योंकि,
अब वंचितों की बारी है ,
निश्चय ही ,
नव भारत बनने की तैयारी है ...

- रविन्द्र कुमार गुप्ता











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8 AUG 2018 AT 11:47

हम से मैं का सफर ,
समन्वय से एकलय का सफर,
विनम्र से विदम्ब का सफर,
वार्ता से अव्यक्त का सफर ,
विश्वास से फहमियों का सफर,
सत्य से दूर भ्रम का सफर ,
कार्य से कर्ता का सफर ,
नजदीकियों से दूरियों का सफर ,
एकत्व से विमुक्त का सफर ,
अनन्यता से नजर-ए-अंदाज का सफर ,

माना सफर दुश्वार है ,
पर
शांत हूँ मैं , धैर्य हूँ मैं ,

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