हे वाहेगुरु तेरे खेल तू ही जाने,
किसी से चुगवाता टुकड़े कांच के ..
तो किसी से चुग्वावे मोती दाने,
हे वाहेगुरु तेरे खेल तू ही जाने...
तेरे दर पर खड़े हम तेरे भक्त तेरे दीवाने,
तू तो अंतर्यामी हम सब के दिल के हाल जाने,
तू हमारा पिता हम तेरे बच्चे अंजाने,
हे वाहेगुरु तेरे खेल तू ही जाने...
दिया सब तूने फिर भी हम तेरा शुक्र ना माने,
हर वक्त तुझसे कुछ ना कुछ मांगना ही जाने...
हक़दार है किस चीज़ के हम ये भी ना जाने,
हे वाहेगुरु तेरे खेल तू ही जाने...
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सांवला रंग और आँखों पर काजल का पहरा,
लहराती काली जुल्फें और मुस्कुराता चेहरा,
कोई कैसे ना हारे दिल तुम पर,
जो भी कर ले दीदार, होजाए आशिक़ तेरा ..-
दिवाली का श्रृंगार हो तुम,
छूट गया जो पीछे वह बचपन वाला इतवार हो तुम..
यूँ तो खुद कविता सी हो,
मगर आँखों आँखों में होने वाला इकरार हो तुम...
मेरे रगो में बहता है,
वह इश्क़ की रफ़्तार हो तुम....
दिवाली का श्रृंगार हो तुम...-
मोहब्बत करते है तुमसे, पर इज़्हार नहीं करेंगे,
इक बार फिर दिल लगाके, इस दिल से भगावत नहीं करेंगे❣️...-
उसकी मौजूदगी से भी,
एक अलग ही सुकून रहता है...
अक्सर जो बातें में कहता नहीं,
उन बातो को भी वह बिन कहे सुन लेता है...
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आँखों से बहते है जो अश्क़ ,
वो अलफ़ाज़ बन जाते है..
ना जाने कितनो आशिक़ो के इश्क़,
किताब बन जाते है...-
Tum ho toh ishq mujse sehmat hai,
Tumhara milna rab ki rehmat hai❣️...
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"Ishq hogya hai shayad"
"Kisse?"
"Tumse, tumhari baation se aur in mulaqaation se"
"Dekhna kahin aadat na bna lena ise"
"Q tumhara dur jaane ka irada hai kya?"
"Irada saath rehne ka hai pr aitbar nai tumpe"
"Tumhe lagta hai mein door chala jaunga?"
"Shayad"
"Gaya bhi toh laut aaunga ik roj"
"Kyu"
"Tumhe aur khud ko btane"
"Kya?"
"Ishq hogya hai shayad"-
ज्यादा नहीं,
कुछ दरखास्त है मेरी..
तू बैठ मेरे सामने,
खुद का हाल सुनाया कर...
दुनिया की सारी फ़िक्र छोड़ कर,
तू बातें लम्बी चलाया कर ...
जब भी मिलने आया कर,
वक़्त की पाबंदी साथ न लाया कर...
इतना प्रेम क्यू है तुमसे,
बस यह मत पूछ,
हर बार मुझे देखके मुस्कराया कर...
में बिन जताये प्रेम करू तुझसे,
यह प्रेम क्या है?
तू हर रोज मुझे बताया कर...-
Jyada kuch ki khwaahsih nai meri,
Bas tum muje hamesha apne saath rkhna..
Jo kabhi udaas sa milu,
Toh haule se mere haath pr haath rkhna...
Jo kabhi raasta dhundhla ho,
Toh bas tum chalte rehena
Dhund chutte hi mein tumhe mil jaaunga aage
Yeh barosa har baar rkhnaa...
Kabhi jo rishta humaara uljha sa lage,
Toh hum q hai saath yeh hamesha yaad rakhna...
Jyada kuch ki khwaahsih nai meri,
Bas tum muje hamesha apne saath rkhna-