तभी तो मां कहलाती हैं
खुद का निवाला छोड़,
अपने बच्चे की थाली सजाती है।
तभी तो मां कहलाती है
देख मुस्कान औलाद के चेहरे पर,
अपने सब गम भूल जाती है।
तभी तो मां कहलाती है
परवाह नहीं जमाने की,
सिर्फ अपने बच्चों की खैरियत चाहती है।
तभी तो मां कहलाती है
बच्चे को जन्म देकर,
खुद एक नया जन्म पाती है।
तभी तो मां कहलाती है
नहीं औकात मेरी कि तुझे शब्दों में लिख पाऊं,
तू तो खुद पूरा संसार लिख जाती है।
तभी तो जग जननी मां कहलाती है-
A-Active
V-vibrant
E-enthusiastic
E-easy going
N-nimble
A-adventurous
फौजी की पत्नी
चलो आज अपना Army life का अनुभव बताएं,
यहां बिताया हुआ अपना सफर दोहराए।
जीवन में सब देखते हैं कई सपने,
मिले हैं यहां मुझे बहुत से अपने,
त्यौहार सभी मिलकर हैं मनाएं,
तरह-तरह के पकवान यहां मैंने हैं खाए।
वो ALS और ढाई टन में बैठकर WELFARE में जाना,
अतिथियों के स्वागत में पलके बिछाना,
Inspection के समय घर दुल्हन सा सजाना,
Discipline में रहना मैंने यहां है जाना।
वो Husband का Exercise में जाना और हमारा घर अकेले चलाना,
मिले ना ऐसा माहौल चाहे घूम लो जमाना,
वो हर दिन हर्ष और उल्लास में बिताना।
वो पागल जिमखाने का खूब आनंद उठाना,
कभी प्रतियोगिता तो कभी बड़े खाने पर जाना,
Posting आने पर वो आंखों का नम हो जाना,
बुरा बहुत लगता है ऐसे सबको छोड़ कर जाना।
कहे ’रवीना’ मैं जब भी धरती पर आऊं,
आर्मी का हिस्सा बन पाऊं, शौर्यपूर्ण जीवन बताऊं।-
तुम हो मां
मेरी गीता,मेरी कुरान तुम हो मां,
इस सिमटी हुई जमीन का खुला आसमान तुम हो मां।
बुझी हुई जिंदगी का रोशन चिराग तुम हो मां,
मेरी ईद का चांद,मेरी दीवाली की शाम तुम हो मां।
तपती धूप में ठंडा अहसास तुम हो मां,
दूर रहकर भी हरपल पास तुम हो मां।
जब होती हूं उदास तुम मेरी आवाज सुनते ही जान जाती हो मां,
बताओ ना मुझे परेशानी मेरी कैसे पहचान जाती हो मां।
ईश्वर रूपी मूर्तिकार की शिद्दत से तराशी हुई मूरत हो तुम मां,
सच कहूं " पद्मावती से भी ज्यादा खूबसूरत" हो तुम मां।
कोहिनूर से भी अनमोल हो तुम मां,
इस थकी हारी जिंदगी की paracitamol हो तुम मां।
मेरा God,खुदा और भगवान तुम हो मां,
"दो शब्दो" में सिमटा हुआ मेरा पूरा जहान तुम हो मां।
चाहे "रवीना" तुम्हे अपने भाग्य में हर बार लिखवाऊ मां,
जन्म जब भी लू धरती पर,तेरी ही कोख पाऊं मां।
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आज तो वो भी ईमानदारी की बात कर रहे हैं,
जिसने धोखे के सिवाय किसी को कुछ न दिया।-
क़ाश! हाथों की लकीरों में
इंसान की नियत भी लिखी होती।
इतनी मशक्कत ना करनी पड़ती
किसी को पहचानने मेें।-
चिंगारी को हवा देने की आदत नहीं हमारी,
पर, हक की बात पर आग लगाने का दम रखते हैं।-
"ये कैसी दुख की आंधी चली
ये कैसी हुई अनहोनी,
कह दो जो तुमने कहा मज़ाक था
वापस मैदान में लौट आओ धोनी।"-
ये मतलब कि दुनिया है जनाब,
बिना मतलब तो यहां लोग गाय को भी रोटी नहीं डालते।-