raveena kandera  
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Mumbai
26 january my first cry
Desh premi
Joined 29 January 2019


Mumbai
26 january my first cry
Desh premi
Joined 29 January 2019
26 DEC 2023 AT 18:22

किताबी मोहब्बत अच्छी थी उनसे हमारी
हमने उनसे मिल कर लिखना छोड़ दिया
पहले तन्हा रातों में आंखों में नमी अच्छी थी
उनसे जुदाई के डर ने रोना सिखा दिया
तक़दीर ने नही हे वो हमारे जानते थे हम
तकदीर से लड़ कर खुद को मजबूर बना लिया
दूर भागते रहे जिसकी मोहब्बत से हम
बेहद मोहब्बत कर के उनसे खुद का ये हाल बना लिया

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21 MAR 2023 AT 21:50

हे सब कुछ पाने की जिद मुझ मैं
मैं सब कुछ कर जाऊंगा
ना देगा साथ कोई मेरा फिर भी
मैं अकेला ही लड़ जाऊंगा
एक दिन मेहनत मेरी रंग लायेगी
मैं हिस्से में घर लाऊंगा
हे सब कुछ पाने कि जिद मुझ मैं
मैं सब कुछ कर जाऊंगा

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21 MAR 2023 AT 21:48

न जाने क्यों दिल में मेरे ये कैसा शोर है
बरसात हुई थी पहले भी अब क्यों नाच रहे मोर है
पहले से जानती हूं उसे क्यों लगे अब कोई और है
थी नाचती, मस्ताती, गाती रही मैं जिसके सामने
अब दिल क्यों पड़ गया उसके सामने कमजोर है
थम जाती हे अब सांसे सुनकर नाम उसका
ये दिल ने दिल से बांधी न जाने कैसी डोर है

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19 FEB 2021 AT 15:54

हा अब तकलीफ नहीं होती
आंखों में नींदों की कमी नहीं होती
खुद ही से कर ली इतनी मोहब्बत
अब किसी की कमी महसूस नहीं होती

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1 DEC 2020 AT 20:37

अनजान गलियों में भटकर शर्मिंदा हूं मैं
पंख कट गए हैं मेरे फिर भी परिंदा हूं मैं
हाथ थाम लिया वापस आकर उसने
कहां.........अभी जिंदा हूं मैं

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9 NOV 2020 AT 12:35

मेरी उम्मीदें तोड़कर
मुझे तन्हा छोड़ कर
फिर वापस आ गया वो
कहने ये कि गलती हो गई
मेरे होठों की मुस्कान छीन कर
दिखाकर उजाला अंधेरों में ढकेल कर
फिर वापस आ गया वो
कहने ये कि गलती हो गई
मेरे जिस्म को तार-तार कर
मेरी रूह से खिलवाड़ कर
फिर वापस आ गया वो
कहने ये कि गलती हो गई
ज़माने में मुझे बदनाम कर
अपने अकेलेपन से हार कर
फिर वापस आ गया वो
कहने ये की गलती हो गई
मुझ में मुझ ही को मार कर
क्या भूल जाऊं सब एक उसे स्वीकार कर?
फिर वापस आ गया वो
कहने ये की गलती हो गई

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29 SEP 2020 AT 22:42

इश्क जरूरी है जिंदगी के लिए
लेकीन ये जरूरी तो नहीं कि वो जिंदगी भर आपके साथ रहे

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14 SEP 2020 AT 17:07

मेरा दिल देखकर उसने मुझसे मोहब्बत की थी
मैं शहर की थी ये सोच कर छोड़ भी दिया

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13 SEP 2020 AT 13:28

किसी ने उसके कान भर दिऐ
ओर उसका मुझ से मन भर गया

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12 SEP 2020 AT 23:15

बीते दिनों की गलतियां गिनवा रहे हो
अब तो बेहद मोहब्बत करते हो ना मुझसे
फिर आज क्यों नज़रे चुरा रहे हो
तुम्हें पता है ना सफर बाकी है हमारा
छोटी-छोटी बातों पर ध्यान क्यों दे रहे हो
कमी लग रही हो मेहबूब में मोहब्बत कि
तो ठहर जाओ लम्हे साया क्यों कर रहे हो

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