Raveena Bisht   (रविना बिष्ट)
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ये बेवक्त ख्यालात हैं भई
बिन मौसम बरसात यह कभी-भी बरस जाते हैं
Joined 11 July 2019


ये बेवक्त ख्यालात हैं भई
बिन मौसम बरसात यह कभी-भी बरस जाते हैं
Joined 11 July 2019
7 OCT 2022 AT 18:57

रोज़ रोज़ जितना मैं
तुम्हें लिखती
वह कितना
अधूरा होता
और हम को लिखा तो
वो भी कितना कम था
फिर मैंने!...
‘मैं ’ पर लिखना सोचा
पर ‘मैं’ अपने आप में ही
मुझे अधूरा लगा
तो मैंने अब
लिखना ही छोड़ दिया।

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7 OCT 2022 AT 18:41

रात को जागकर मैंने देखा है
देखा है मैंने जागकर रात को..

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10 OCT 2020 AT 16:39

बता तू मेरे किस किस्से में नहीं है
बता क्यों तू मेरे हिस्से में नहीं है

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15 SEP 2020 AT 20:50

वो सुकून!
वो एहसास!
भी गज़ब ही था
जब हम तेरी बाहों में थे
हम अजनबी मिलकर
भी कितने जाने से थे

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11 SEP 2020 AT 9:34

You so close to me
But yet so far away

Where are we??
where you and I
In the same sky!
Just saying..
I owe you
I owe me
But you don't

And still...
You so close to me
But yet so far away

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18 AUG 2020 AT 23:47

सच मत बोलो उसे बुरा लग जाएगा...
सच की बात है उसे ज़हर लग जाएगा !

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17 AUG 2020 AT 19:33

मैं नहीं कहती.. कि वो सुलझे नहीं
बस इतना की वो मुझे समझे नहीं☘...

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11 AUG 2020 AT 17:19

सारी-सारी रात जपुँ बस इक नाम
हरि हरि राम... बोलो,
हरि हरि राम

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11 AUG 2020 AT 12:52

हरि नाम का जाप करुँ
हरि बन मेरा मीत रे
हरि बिन सूझे ना कुछ
हरि बना मेरी प्रीत रे
हरि संग मैं रास रचाऊ
हरि ही मेरा मनमीत रे।।

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21 JUN 2020 AT 1:51

तुम्हारी इज्ज्त का खंडन हो और तुम्हीं को मनोरंजन का उपहास पात्र बना दिया जाए और उसी पर कई अलग-अलग विचारों वाले लोगों से टिप्पणियाँ की जाए। उन्हीं टिप्पणियों के बीच कोई यह गुनाह किसी और का तुम्हारी गलतियाँ बताकर कोई मड़ दे तुम्हारे सर और यह सुनकर कि तुम रो-रो कर देह से प्राण पसारु कर थोड़ी सिस्कियों पर आती हो की तभी दूसरे और कई लोगों के अचंबित कटु वचन सुनती हो और अपने व्यक्तित्व पर हजारों लोगो की सोच के दाग देखती हो और देखते-ही-देखते तुम्हे आबरू बेच चरित्रहीन घोषित कर दिया जाता है ।

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