Raushan   (रौशन)
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Programmer by Qualification
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Joined 19 July 2018


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14 APR AT 14:22


कभी कभी लगता है मानो ज़िन्दगी बस यही है
कहीं कोई छोर नहीं मिलती कहीं कुछ नहीं दिखता
शायद जीवन इतना उलझा ही मिलता है
या हमारी उम्मीदें ही ज्यादा आंक लेती हैं हर इंसान को
कई लोग माहिर होते होंगे इन कम में शायद
क्या उनको इन्हें सुलझाना पहले से आता होगा
या उनको भी दिक्कत होती होगी शुरुआत में
क्या कभी पूरी तरह सुलझेगी ये धागे
क्या सुलझाने के बाद वहीं रस मिल पाता होगा !!!

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14 APR AT 2:25

अगर मिलना हुआ तुमसे तो फिर से वैसे नहीं मिलूंगा जैसे इस दफ़े मिला हूं
इस बार हम मंदिर न जाकर कहीं और जाएंगे
गिरजाघर या गुरुद्वारे भी नहीं न ही मस्जिद जाना है
तुम्हारी पसंद की जगह जहां पहले कभी न गई हो

हो सके तो मिलना तुम वही पुरानी गुलाबी सूट में
काफी अच्छी लगती है तुम पर और हां बिंदी जरूर लगा लेना
क्यूंकि सबसे ज्यादा आकर्षक लगती है वो बिंदी मानो की पूरा ब्रह्मांड समाया हुआ हो उसमें
इस दफा थोड़ा जल्दी आऊंगा मैं ताकि ढेरों बाते कर सकूं तुमसे
गुनगुनी धूप तुम्हारे चेहरे पर पड़ती जैसे किसी नन्हे बच्चे का नींद से हंसते हुए जागना हो
इस दफा दुबारा मिलने का कोई वादा कर के नहीं जाऊंगा
मैं नहीं चाहता तुम्हें बंधन में देखना मै चाहता हूं तुम आजाद रहो जैसे आजाद रहता है ख्याल कोई लेखक का
और मैं बस उस ख्याल में जिंदगी बसर कर दूं और मैं भी आजाद हो जाऊं तुम्हारे ही साथ तुम्हारी तरह।

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5 JAN AT 18:59

जीवन के दुःख ही मनुष्यों को
वैरागी बना सकता है ।

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28 JUL 2023 AT 10:56

हर कोई आहत है यहाँ पर
कोई आहत है अपनों से कोई टूटे सपनो से
अपनों के कुछ कह देने से ,कोई किसी के चुप रहने से
किसी का विश्वाश टुटा है, किसी की मासूमियत को लूटा है
दिल सबका ही दुःखा है यहाँ पर
कौन किसे संभाले कौन गले लगाये
सभी तो आहत हैं यहाँ !!

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21 MAY 2023 AT 23:37

वो किसी अलग दुनिया से थी शायद
अक्सर कहा करती थी
तुम्हारी और मेरी सोच कितनी अलग है। है न!
तुम किताबी बातें मानते हो ...
मैं प्रैक्टिकल सोच पाती हूँ
तुम बस मुझे देख के खुश हो जाते हो
मैं ये देख के खुश हूं ,जब तक का साथ है खुशी से जिएं
बिछड़ने का गम दोनों को होता है ...मैं जिक्र नही करूँगी तुम लिखते रहोगे
मैं ऐसी ही हूं पर पहले से नही थी इस कदर !

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4 APR 2023 AT 22:21

नया न लिख पाने की घुटन उन दिनों की याद दिला जाता है जब कई दिनों तक तुमसे बात नही हो पाती थी
नया न पढ़ पाने की तकलीफ ऐसा असहनीय दर्द है जो याद दिला जाता है एक दफा गले न मिलने की बेबसी को
जैसे तुम्हारा नम्बर है फोन है ,
कभी सामने तुम भी हो फिर भी कुछ तो है जो हमें रोक रखा है!
ठीक वैसे ही किताबें हैं वक़्त है ,लिखने के लिए समय है फिर भी कुछ तो है जो रोक लेता है मुझे।


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3 APR 2023 AT 23:30

बिना कुछ नया पढ़े
कुछ नया लिखना
ठीक वैसा ही है
जैसे बिना व्याकरण
के किसी भाषा का होना!

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10 FEB 2023 AT 15:09

पढ़ना-लिखना सब स्कूल में सिखाया जाता है अनुभव हमे व्यवहारिक बनाता है यह हमें सिखाता है किन लोगो के साथ किस तरह का व्यवहार रखना किस हद तक रखना।
एका-ध धोखे दो-चार छल और गिनती के कुछ के मित्र बस इतना ही काफी है हमे किताबी दुनिया और व्यहवारिक दुनिया के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए
मित्रगण एहसास दिलाते रहते हैं ये दुनिया इतनी भी बुरी नहीं है और छलने बाले ये सीखा जाते हैं की जितना सरल सोचे थे उतना है भी नही यह दुनिया
धोखे से हम इतना सीख जाते है कि लोगो पे किस अनुपात में विश्वास किया जाए और किन लोगों से हमें दूर हो जाना चाहिए।

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14 JAN 2023 AT 20:43

Forever is a lie

छोटे थे तो दोस्तों के बारे में सोचते थे इनके बिना कैसे जी पाऊंगा किसके साथ खेलूंगा
फिर दूसरी जगह जाना पड़ा दोस्त छूट गए
नए दोस्त बने,फिर से यही लगा स्कूल से लेकर कॉलेज तक अब तो इनके साथ ही जिंदगी बीतेगी
नौकरी के लिए फिर से जगह बदलना पड़ा फिर से दोस्त बदले फिर नए मित्र बने हैं
अब भी इनके साथ वही एहसास होता है बिल्कुल घर जैसा।
पर क्या पता ये भी हमेशा साथ रह पाएंगे या
ये सिलसिला चलता रहेगा नए बदलावों का।

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1 DEC 2022 AT 21:31

कब कितना किस से बोलना है आता था उसे
ज़िन्दगी के सारे राज थोड़ी न छुपाता था मुझसे
कभी घर कभी परिवार की बातों में कटती थी हमारी रातें
रकीब की बात आते ही जैसे खत्म हो जाती थी मुलाकातें
देखो आज समय नहीं मिला वक़्त की कमी थी
यही सोच के,सारी मुद्दत बस आंखों में नमी थी
कब मिलेगा वक़्त बस यही सोचता रहता था
वक़्त बेवक्त इसी ख़्याल में अटका रहता था
......🍁

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