15 AUG 2021 AT 0:29

ऐसी कितनी ही रातें तबाह हुई,
आज एक और हुई तो क्या हुई,
जागें आज फिर हम इंतज़ार में,
अरमां सोए नहीं नींद गुमराह हुई।

- रौशन