ऐसी कितनी ही रातें तबाह हुई,आज एक और हुई तो क्या हुई,जागें आज फिर हम इंतज़ार में,अरमां सोए नहीं नींद गुमराह हुई। - रौशन
ऐसी कितनी ही रातें तबाह हुई,आज एक और हुई तो क्या हुई,जागें आज फिर हम इंतज़ार में,अरमां सोए नहीं नींद गुमराह हुई।
- रौशन