शहर के हर गली को क्यों सजा रहे हो इतना कुछ बात है क्या,
जानता हूँ महबूब मेरे शहर आ रही है रहने दो ये कोई पहली मुलाकात है क्या!-
जब होने लगा हूँ शहर में उसके मशहूर,
सारेआम अपना एक्स बता रही है मुझे,
जो कल तक बेवजह गालियाँ दे रही थी,
ना जाने क्यों अब परफेक्ट बता रही है मुझे!-
मैं झूठ कम और हकिकत ज्यादा लिखता हूँ,
हाँ वो बेवफ़ा है,और मैं उसे बेवफ़ा लिखता हूँ!-
छोड़ दिया अब मैंने उसे बेवफ़ा कहना,
रहे चाहे उसे जिसके दिल में है रहना,
बस आखिर दफ़ा उसे इतना है कहना,
यार रकिब के साथ बेवफ़ाई मत करना!-
सुना है उसने फ़िर से नया यार बनाया है,
ये मैं नहीं कह रहा आज के अखबार में आया है!-
हाँ आजकल मैं ये नया हुनर सिख रहा हुँ,
लिख कर सिगरेट पर तेरा नाम होंठों से मिटा रहा हुँ !-
मोहब्बत जायज है या नाजायज ये तुम्हे वक्त बतलाएगा ,
कर प्रतीक्षा सुबह मेरा जनाजा जब तुम्हारे मोहल्ले से जायेगा!-
इश्क करने के पहले कहाँ पता था की मासुका मेरी नागिन है,
खैर अब नहीं करुँगा उसके चर्चे सुना है अब वो किसी और कि सुहागिन है!-
बिछड़ कर तुझसे फ़िर मैं किसी का हुआ नहीं,
मिलन हमारा फ़िर से हो शायद बनी ऎसी कोई दुआ नहीं!-
अब उसके होंठों का रंग हो गया काला है
और ना जाने क्यों फ़िर से वो मेरे मोहल्ले में दिखने लगी है,
कोई बताऔ मुझे बाजारों में लिपस्टिक नहीं मिल रहे,
या फ़िर से वो बीड़ी फ़ुकने लगी है!
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