बातें जितनी कम होती हैं
आँखें उतनी नम होती हैं
होती उसकी बातें भी हैं
बस अब थोड़ी कम होती हैं-
लब्जो से खेलना हमारी आदत है,😄
हमारी शेरों को पढ़... read more
न ख़ुद को नज़र में गिरा ही सके हम
न ख़ुद को कही पे बिठा ही सके हम
बिना दोस्ती के कटी उम्र सारी
न तो ज़ख़्म दिल के दिखा ही सके हम
रही आँख नम हर समय यार दिल की
न ख़ुद को नज़र में झुका ही सके हम
न हँसते हमें तो न होता यही ग़म
रहा जो कि सब को रुला ही सके हम
न थी शोर करने कि आदत हमें तब
न ही तब किसी आँख आ ही सके हम
गले से लगाया पनस को वही पर
जहाँ आबरू को लुटा ही सके हम
रही यार कोशिश यही हर समय बस
न ख़ुद को दिलों में बिठा ही सके हम-
दिल में हमारे ग़म ये अब पलता रहेगा
मेरा कलम 'रौनक' यूँ ही चलता रहेगा-
उसे हक़ अगर हाँ ख़ज़ाने का दे दिया
यही मान लो हक़ लुटाने का दे दिया
किसी से अगर दिल लगाया तो जान लो
इजाज़त उसे दिल दुखाने का दे दिया
भले लूट जाओ ज़माने में तुम अगर
किया प्यार फिर हक़ लुटाने का दे दिया
बिठा जो लिए यार उसको दिल में अगर
इजाज़त उसे ग़म जताने का दे दिया
अगर जो उसे बात सब दिल का कह दिया
इजाज़त उसे हां सताने का दे दिया
अरे! यार रौनक अगर तू माँगे गरल
सही है किया हक़ बताने का दे दिया-
हम जैसा बेकार कोई दहर में नहीं,,
उसके ग़म जैसा मज़ा ज़हर में नहीं,,-
रिश्ता अदबी रखते थे यार उसी के दिल से हम
अब हर ग़लती अपने ही हाथ मिटाने आए हैं-
नहीं है जो दिल ने 'रौनक' सब कहा अब तक
न जाने कैसे लब पे वो बात आई है-
हुआ है काफी दिन जब ये रात आई है
तुझे दिल में रख कर हमने मात खाई है-
यहाँ तो वक़्त पे रिश्ता निभाता तो नहीं है अब
ज़िया की बात हो फिर भी बताता तो नहीं है अब
कहानी वो सुनाता भूल कर सारे नज़ारा को
दिलों की बात भी मुझको सुनाता तो नहीं है अब
नहीं थी समझ तो सारी कि सारी चाह कह देते
हुई जब समझ तब से दिल जताता तो नहीं है अब
सभी से वो हमें मिलवा हंसा देता हकीकत में
अरे! वो तो खुदा से ही मिलाता तो नहीं है अब
अरे! सबको परी है बस यहां तो जान की आख़िर
यहां पे फूल पेड़ो को लगाता तो नहीं है अब
नहीं है दौड़ ' रौनक ' जब सभी बातें बताता था
दिखाई जो परे वो भी दिखाता तो नहीं है अब-