अंजान रास्ते भी अक्सर
कितना कुछ सीखा जाते है।।
कभी तो उन रास्तों पर भटका जाते है
और कभी मंजिलों से रूबरू करवा जाते है।।-
ज़रा सी रोशनी भी
अंधेरे को चीर धूल भरी लकीर संग लाती हैं।
शब्दों का बाण भी उसी भांति
दिल में दबे शैलाबो को चीर आंखों से बहाती हैं।
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संग दुखों का अंबार लाई है
कितना भी त्याग क्यूं न कर लू मैं
दिन ख़त्म होते ही फ़िर से अंधेरी ही छानी है।-
ज़िंदगी तेरा सलीका देखकर
तुझसे नफ़रत सी होती हैं
किसी को तू जन्नत से नवाजती हैं
तो किसी को बस आशुवो से भिंगोती हैं ।-
मेने भी सब कुछ सहा
पर जब अपनो को ही हार गया
फ़िर जितने को कहा कुछ बचा-
जिसे आप मदद समझते हो मैं उसे एहसान मानता हूं
जिसे आप घमंड समझते हो मैं उसे अपना ईमान मानता हूं
दो पल रुककर कभी गले तो लगा लिया होता आपने
फिर सायद यह महसूस होता की मैं तो आपको भगवान मानता हूं।-
खिलौने टूट जाते हैं
उनसे लगाव नहीं छूटता।
उसी तरह जिनसे रिश्तें टूट जाते हैं
उनके लौटने का आस नहीं छूटता।
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ज़िंदगी हसीन नज़र आएगी
चेहरो पर मुखोटे है काफी आस पास तुम्हारे
न पहनो इसे वरना काफ़ि दोस्तिया टूट जाएगी।-
Assistant: Chef, Why do we wash and dry Okra(Bhindi) before cooking though we wash other vegetables during cooking.
Chef: The stickiness in Okra is caused by mucilage, also found in Aloe Vera. We dry it because mucilage intensifies when it comes in contact with water.
"Don't do anything for the sake of doing, discover reasons why you are doing".
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