पता चले तुम्हे भी इश्क़ की तड़प का एहसास हो
आँखो मे कुछ आँसू और मेरे लौट आने की आस हो
तुम्हे भी रातों को छुप छुप कर रोना होगा
तुम्हे भी भीगे हुए तकिये पर सोना होगा
तुम्हे भी कहना होगा सबकुछ बेफिक्री से
हो जाएगा फिर जो कुछ भी होना होगा
कुछ इस तरह तुम्हारा भी जीना बेहाल होगा
तुम्हारे भी ज़ेहन मे बस एक ही सवाल होगा
की मेरे बिना न जाने वो कैसे रहती होगी
क्या उसके भी आँखों से नदियाँ बहती होगी
जब हमारी बातें होती होंगी की हम साथ नही
ना जाने वो सबसे क्या कहती होगी
खैर इस तड़प का भी तुम्हे बहुत जल्दी एहसास होगा
जब कोई मेरे बहुत करीब बहुत पास होगा
आँखों के इन आसुओं को तब छुपाओगे भी कैसे
लोग हँसेंगे तुम पर दिखाओगे भी कैसे
और तुम्हारे होठ तो मौन होंगे
कोई पूछेगा कुछ तो बताओगे भी कैसे
क्या बताओगे बोलो?
तुम्हे कोई पहचानेगा तब ना
लाख बोलते रहना सच, कोई मनेगा तब ना
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तुम्हारे चेहरे पर मुझे बस एक गुस्सा नही भाता
और इसकी एक ये भी वजह है की मुझे मनाने नही आता,, मै ना भी मना पाऊँ तो तुम मान जाया करो ना
चेहरा देख कर दिवानगी पहचान जाया करो ना-
चांदनी रात और घाट का किनारा होगा।,
मेरे सर को आपके कंधे का सहारा होगा
धिमी रोशनी में चमकता तारा होगा,
दूर से तो सब देखते हैं आपको करीब से देखने का हक़ बस हमारा होगा-
दिल जिसे अपना माने उसी को अक्सर खोता है
दो पल के लिये हँस कर फिर दिन रात ये रोता है
ओ खुदा उसी से क्यों मिला देता हैं हमे
जिसका साथ किस्मत मे नही होता हैं-
खत्म होने को बेकरार है
तुम बिन ये साँसे बड़ी बेरुखी और बेकार है
हर लम्हा तुम बिन बस इंतज़ार है
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मेरे जज़्बातों का मज़ाक कुछ इस तरह बना रहे है वो,
की हरकते महोब्बत वाली करते है ,,,और मुझे अपना दोस्त बात रहे है वो-
ना ज़ख्म् भरेंगे,,ना कोई सहारा होगा
ना वो मेरे साथ होंगे, ना हमे इश्क़ दोबारा होगा-
हमारे लिए इतना मुश्किल तो कोई भी पल न था
पर उनका जाना मेरी जान ले जाता है
खर्च होना चाहते है उनपे हम
छा गये है कोहरे की तरह वो
ना कोई दिखता है, और ना हम देखना चाहते है
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