Rashmi Srivastava   (Shafaq)
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Love to write....
Joined 16 May 2019


Love to write....
Joined 16 May 2019
31 JAN 2023 AT 16:59


मोहब्बत वो शय है....
जो हमें जिंदा होने का अहसास देती है।
सांस-सांस,धड़कन-धड़कन,
आते जाते बस उसका ही नाम कहती है
छू के गुजरी जो हवा पास से उसको,
मेरे रूह को रूमानी हर बार करती है।

स्वरचित
शफक़ रश्मि

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13 JAN 2023 AT 16:48

सुनो ना
कैसी दुविधा में हूं मैं,
तुम्हें कुछ कह नहीं सकती,
और चुप रह भी नहीं सकती,
पास तुम्हें बुला नहीं सकती
और दूर जाने दे भी नहीं सकती,
कभी-कभी लगता है,
क्यों नहीं हो सकते तुम सिर्फ मेरे,
अजीब से अकुलाहट,झल्लाहट,
बेचैनी सी रहती है मन में,
क्या तुम समझ सकते हो मेरी उलझन को?
इस अकुलाहट को,मेरी बेचैनी को
बोलो ना क्या समझ सकते हो??

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1 JAN 2023 AT 13:04


तारीख दर तारीख बदली,मौसम,महीने साल,बदले,
तू मगर जिस तरह बदला,ऐसे कुछ भी बदलता ही न था।
लो गुजर ही गया ये एक और बरस भी तेरे बिना,
तू जिसके बिना पल गुजरना भी मुमकिन न था।

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25 DEC 2022 AT 22:13

नफ्सा नफ्सी के दौर में अपने में सब मगन,
हस्सास तबियत जो है,हलकान बस वही।।

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25 DEC 2022 AT 20:54

भीतर की टूट फूट को समझता कोई कहां,
खोखले से हो गए हैं हम रिश्ते निभाते हुए।।

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13 DEC 2022 AT 19:34

वो हमसफ़र ही क्या,
जो दिल में छाई उदासी न पढ़ सके,
आखों में उतरी नमी न समझ सके।

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11 JUL 2022 AT 0:01

जब भी बहुत करीब जाओगे तुम किसी के,
जब भी चलोगे हम कदम बन के किसी के,
हम बहुत याद आएंगे,
तुम्हें हम याद आयेंगे।
जब भी कोई नखरे न तुम्हारे सहेगा,
तुम्हारी हर बात में नुक्स कोई निकाला करेगा,
तुम्हारे दिल का हाल जब भी कोई न समझेगा,
हम बहुत याद आयेंगे,
तुम्हें हम याद आयेंगे।
जब भी रोने को कोई कंधा न देगा,
तुम्हारे दुःख में कोई सांझी न होगा,
जब तुम्हें खुद को ही बहलाना पड़ेगा,
हम बहुत याद आयेंगे,
तुम्हें हम याद आयेंगे।
वक्त की तपती दुपहरी में प्यार का सरमाया न होगा,
तुम्हारी खैरियत पूछने को कोई साया न होगा,
हम बहुत याद आयेंगे,
तुम्हें हम याद आयेंगे।।

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24 JUN 2022 AT 0:26

समर्पण का दूसरा नाम है आपका रिश्ता,
विश्वास की अनूठी दास्तां है आपका रिश्ता।
पूरक है आप दोनों एक दूजे के,
हमारे परिवार की नींव है आपका रिश्ता।

४८वीं वैवाहिक वर्षगांठ की आपदोनो को शुभकामनाएं।

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19 JUN 2022 AT 14:10

कितनी भी कामयाबी हासिल कर लूं मैं,
मेरी हर कामयाबी से खुश होते हैं मेरे पापा।
हार, नाकामयाबी से जब उदास हो जाती हूं मैं,
मुझ में जितने का हौंसला भरते हैं मेरे पापा।
दुनियां की ठोकरों से जब गिरने लगती हूं मैं,
थाम कर हर बार नई राह दिखाते हैं मेरे पापा।
बचपन की वो दौड़ आज भी याद है मुझे,
मेरे साथ साथ दौड़ में दौड़ रहे थे मेरे पापा।
उदास हो गई थी जब जीत नहीं पाई थी,
सांत्वना पुरस्कार पे भी ताली बजा रहे थे मेरे पापा।
मां तो रोकर गले लगा कर प्यार जता देती है,
उदास आंखों में उतरे पानी को भी छिपा लेते हैं मेरे पापा।

आपकी रिंकू


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8 MAY 2022 AT 1:14

मां,सिर्फ एक शब्द नहीं,मां तो पूरी कायनात होती है।
मज़हब,धर्म या जात कोई हो,मां तो बस मां ही होती है।
बच्चों के किंचित दुःख भर से,रात रात भर वो रोती है,
खुशी हमारी पाने को मां,सारे देव, पीर फकीर मनाती है।
कभी झिड़कती,कभी डांटती,बड़ी कड़क सी बनती मां।
मार मुझे फिर क्यूं कमरे में यूं इतना तू रोती है मां।
समझ सकी हूं आज तुम्हारे त्याग तपस्या और प्रेम को,
आईं हूं अब उसी जगह पे ,बन गई हूं जब मैं भी मां।
मां सबकी पूरक होती है,मां सा कोई न हो सकता।
सारे धाम चरणों में मां के, उस सा देव न कोई मिल सकता।।

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