Rashmi's अल्फ़ाज़   (रश्मि आर्य)
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#Writer at pratilipi app
Joined 17 November 2018


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23 OCT 2023 AT 0:48

सहर्ष खोजे गए खयालो में
एक खयाल हो तुम "मृत्यु"!

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4 NOV 2022 AT 20:03

कागज की कश्ती सा बहता है,
हसीन हस्ती सा हंसता है,
इश्क वो मर्ज है साहेब!
जो किया नहीं' बस हो जाता है।

©रश्मि आर्य

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4 NOV 2022 AT 10:09

कौन कहता है कि इश्क अंधा है,
होता उसी से है जो खूबसूरत दिखता है।

©रश्मि आर्य

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27 OCT 2022 AT 18:10

वक्त के साथ अब मिजाज भी बदलने लगे है साहेब!
लगता है बिछुड़ने का मौसम आ रहा है।

©रश्मि आर्य

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25 OCT 2022 AT 13:12

कभी हमारी बात न हो,
कभी तुम मेरे साथ न हो,
कभी गुम हो जाऊं खुद मे,
क्या तब भी तुम इतना ही प्यार करोगे!

कभी दूर हो जाऊं मैं तुमसे,
कभी नजरो में न आऊं तुम्हारे,
कभी कॉल या मैसेज भी न कर पाऊं,
क्या तब भी तुम इतना ही प्यार करोगे.?

"कभी अपने होने का एहसास न दिला पाऊं,
कभी तुम्हे अपने दुख दर्द न बता पाऊं,
न कर पाऊं कभी तुमसे दिल की बात,
क्या तब भी तुम इतना ही प्यार करोगे.?

"कभी तुमसे झगड़ा कर लूं,
कभी हो जाऊं मैं गुस्सा,
कभी बोल दुं ऐसा जो दिल को अच्छा न लगे,
क्या तब भी तुम इतना ही प्यार करोगे..?

©रश्मि आर्य

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20 OCT 2022 AT 21:50

परवाह नहीं तुम्हे मेरी,
फिर भी कोई शिकायत नहीं!
मुड़के फिर से देखा भी नहीं मुझे,
फिर भी कोई शिकायत नहीं!
साहेब!
खता ऐसी भी क्या हो गयी हमसे,
मिलना तो दूर,
तुमने नजर भर देखा भी नहीं!

©रश्मि आर्य

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2 JUL 2022 AT 22:47

मौसम बड़ा सुहाना है,
रास्ता बड़ा अनजना है
होना चाहते है तुमसे रूबरू,
दिल ये बड़ा बेगाना है।

©रश्मि आर्य

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20 APR 2022 AT 23:05

नहीं पता क्यों..?
लेकिन तुझे खोने से डरती हूँ,
नहीं पता क्यों..?
लेकिन तेरी होने से भी डरती हूँ।

©रश्मि आर्य

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3 APR 2022 AT 10:03

I don't believe in love,
I believe in trust..

पता है क्यों..?
क्योंकि "I love you" बोलने वाले से ज्यादा "I trust you खुद से ज्यादा!" बोलने वाला आपसे ज्यादा प्यार करता है।
🙂🙂
©रश्मि आर्य

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9 MAR 2022 AT 9:36

जमाना चाँद में अपने महबूब को देखता है लेकिन
मैं तुम्हे उदित होते सूर्य में देखना चाहती हूं।
उस लालिमा भरे सूर्य में तेरा चेहरा पढ़ना चाहती हूं,
सूर्य की तरह तेरी तपिश को खुद में महसूस करना चाहती हूं,
सूर्य की तरह तेरी तेज रोशनी में खुद को निखारना चाहती हूं,
चाहती हूं तेरे तेज को देख कर सब अपनी आंखें बंद कर ले,
सूर्य की तरह ही तेरी गर्मी को अपने आसपास महसूस करना चाहती हूं।
चाहती हूं तेरे उजियारे में हर वक्त रहना,
रात ढलने पर खुद में तुम्हे समा लेना चाहती हूं।

©रश्मि आर्य

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