जब तक जिस्म में है जान
हम तब तक लिखेंगे,
बिन रुके,बिन डरे
हर बार सच्चाई लिखेंगे,
जिसने वफ़ा थी निभाई उसे वफादार
और जिसने किया छल उसे दगाबाज लिखेंगे,
और जितनी बार भी लिखेंगे...
तुझे बेवफ़ा ही लिखेंगे।-
Keep supporting n keep loving🙏🏻💝
उस दिन जो तुमने इन होठों को चूमा था,
हमे गले से लगाया था,
जो इन जुल्फ़ों को सुलझाया था,
फ़िर हमारे कंधे पर अपना सर रखा था...
आज दिल मानने को तैयार ही नहीं,
के वह सब कुछ बस दिखावा था!
वह नदी किनारे पत्थरों पर बैठ,
जब वेहेते हवाओं की आवाज़ दोनों के
कानों में गूंज रही थी, पानी की लहर बेशुमार मन मोह रही थी...
इतने सुहाने मौसम पर भी तुमने अनगिनत झूठे वादे बख़ूबी हाथ थाम कर किया था!
यारों....
देवता समझ जिसे मैं महिनों तक पूजती रही,
वह सर से पांव तक एक झूठ का पुतला था!-
सुना है...
बहुतों के चाहने वालों में गिने जा रहे हो,
इश्क़ को मिठाई समझकर सब में आखिरकार बांट दी तुमने!
तुम्हारी बेवफ़ाई की डोर भी कमाल की पक्की निकली जनाब,
कई वफादारों की पतंग काट दी तुमने!-
बदलने पे मजबुर तुम्हीं ने किया था,
जो आज हम बदल गए...
तो शिक़ायत कैसा?
झूठी वादों से ये रिश्ता तुमने ही बनाया था,
और जहां झूठ हो...
वहां मोहब्बत कैसा?
हमारे रहते भी गैरों पे दिल तुम्हारा आया था,
जब आज हम खुद चले जा रहे हैं..
फ़िर तुम्हारे आंखों में नमी,और माथे पर ये सिकंज कैसा?
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मोहब्बत का आईना दिखा कर,
वो हर दफा दगा करते रहे...
हम नादान थे,उसे इश्क़ समझते रहे!
हालातों पे इल्ज़ाम डाल कर,
हमसे झूठ कहते रहे...
हम भी नादान थे,सब कुछ सच्च मानते रहे!
मगर नादानी ताउम्र तो नहीं रहती,
कभी समझदार हमको भी होना था!
बेवफ़ाई की है उन्होंने,
एक दिन उनको भी पछताना होगा!
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बहुत कुछ कहना बाकी है तुमसे,
कभी बात करने का मन हो... तो बताना!
वक़्त अच्छा है,तो गैर भी साथ हैं तुम्हारे,
जब अकेले पड़ जाओ... तो बताना!
तुम्हारी एहमियत दिल में आज भी बरक़रार है,
कभी याद आए हमारी... तो बताना!
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मेरी मोहजुदगी तेरे लिए मायने रखे-न रखे,
मेरे लिए तु तो सिर्फ़ मेरा ही है!
जानती हूं,यह वेहेम है मेरी,
पर अब मेरी सुकून इसी में है!
तु ख़ास कल तक भी था,
तु ख़ास आज भी है!
और....
मेरे फोन में तेरा नंबर "Jaan Ji♥️"
के नाम से saved आज भी है!
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आज हर दफा हमे नज़रअंदाज कर रहे हो,
कल को हमारा भी अंदाज़ बदल जाएगा ज़रूर....
फ़िर हमेशा के लिए हमे खो दोगे तुम,
और कई बार पछताओगे ज़रूर!
❤️
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तुम्हें जुदाई चाहिए न?
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मुझ से सीधे मुंह बोलकर तो देखो,
कसम से आज,इसी वक़्त तुमको अलविदा कह देंगे!
मगर तुम पलट कर तरसोगे इन बाहों को...
जो ना तरसे तो
अपनी मोहब्बत,अपनी जज़्बातों को
मज़ाक कह देंगे।
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मेरे होने-न होने से अब तुझे कहां फर्क पड़ता है?
महफ़िल में तेरे....कई और आ चुके हैं!
तो चुन लेना उन्हीं में से किसी को हमसफ़र अपना,
हम तो ख़ैर पुराने हो चुके हैं!-