आपके अहं से ,
जिसे आप " मैं" कहते हो.....
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Rashmi Kumari
(प्रसिद्धि प्रियांशी ✍)
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भावनाओं की अभिव्यक्ति ही कविता है।
Joined 9 November 2017
30 JAN 2022 AT 23:55
जिद्द कर बैठा है सारे अरमान मेरे
आज बिन चूमे तुम्हें, करवट नहीं लेंगे— % &-
30 JAN 2022 AT 13:37
क्यूँ कैकयी और मन्थरा को दोषी कहते हो
तुम भी हमारे निकेत से अनिकेत किये हो— % &-
20 JAN 2022 AT 13:13
जीवन इसे जाने
बादलों पर यकीं कैसा, ज्यों लगे सुस्ताने
इक टुकड़ी बादलों के , जाने कब उड़ जाए
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3 MAY 2018 AT 18:26
क्या गीत लिखुँ ......
क्या गजल लिखुँ......
हर शब्द में बस तुम्हें लिखुँ
तू हँसे तो इक पल में सदियां जी लूं
वक़्त थम जाए,रूठे जो तू
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18 JAN 2022 AT 20:41
वैसे ही सुकूँ देता है,मेरे मन को
जैसे कम्बल में लिपटा रवि
झांकता जब धरा को..…....
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