Rashmi Kumari   (प्रसिद्धि प्रियांशी ✍)
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भावनाओं की अभिव्यक्ति ही कविता है।
Joined 9 November 2017


भावनाओं की अभिव्यक्ति ही कविता है।
Joined 9 November 2017
31 JAN 2022 AT 20:40

आपके अहं से ,
जिसे आप " मैं" कहते हो.....
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30 JAN 2022 AT 23:55

जिद्द कर बैठा है सारे अरमान मेरे
आज बिन चूमे तुम्हें, करवट नहीं लेंगे— % &

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30 JAN 2022 AT 13:37

क्यूँ कैकयी और मन्थरा को दोषी कहते हो
तुम भी हमारे निकेत से अनिकेत किये हो— % &

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30 JAN 2022 AT 13:14

जिनकी चाह थोड़ी है— % &

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27 JAN 2022 AT 20:11

थोड़ी -सी मांगी छाँव, तूने धूप दिया

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27 JAN 2022 AT 19:41

तुम साथ हो ,फिर भी
खुद ही खुद से करती बातें

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20 JAN 2022 AT 13:13

जीवन इसे जाने
बादलों पर यकीं कैसा, ज्यों लगे सुस्ताने
इक टुकड़ी बादलों के , जाने कब उड़ जाए

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3 MAY 2018 AT 18:26

क्या गीत लिखुँ ......
क्या गजल लिखुँ......
हर शब्द में बस तुम्हें लिखुँ
तू हँसे तो इक पल में सदियां जी लूं
वक़्त थम जाए,रूठे जो तू

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18 JAN 2022 AT 20:41

वैसे ही सुकूँ देता है,मेरे मन को
जैसे कम्बल में लिपटा रवि
झांकता जब धरा को..…....

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16 JAN 2022 AT 16:54

कि मैं हूं,
जबतक दर्द दस्तक दे, ना सीने में

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