आता कंटाळा आहे.....थकले आहे मी.......
(संपूर्ण रचना अनुशिर्षक मध्ये)-
पर अधूरी सी कहानी हूं
किसी के होठों के हंसी तो
किसी की आंखों का पानी... read more
दुनिया के कितने लोग
आते है और चले जाते है
पर उनके होने ना होने से
हमें फर्क कहां पड़ता है
सुख दुख तो संबंध देते है-
जो कीमती है ज़िंदगी में उसकी कीमत समझो
जिंदगी की जरूरत नहीं जरूरी है ये बात समझो-
जब जब तन्हा होती हूं, ओढ़ लेती हूं तेरी यादों की चादर
अजीब सुकून मिल जाता है, जब जब शोर होता है बाहर-
प्रेरणादायी, ऊर्जात्मक असा बाबांचा जीवन प्रवास
आज 90 वा वाढदिवस त्यांचा आमच्यासाठी खास
जावई, भाऊजी, बहिणींचा लाडका भाऊ श्रीनिवास
नेहमी पाठीशी खंबीर उभा राहिला तो देऊन विश्वास
नातू पणतू, मुले, बाळे, लेकी सुनांनी भरलेले घरदार
आदर्श कर्तापुरूष "भक्कड" कुटुंबाचा मजबूत आधार
निडर, साहसी, कर्तृत्ववान, आशावादी ज्यांचे व्यक्तिमत्व
स्वच्छता, शिस्त, नीटनिटकेपणा जीवनाची ज्यांची तत्व
प्रसन्न, हसतमुख, प्रेरणात्मक आणि सकारात्मक व्यक्ती
यश, वैभव, सुख, समृध्दी प्राप्त केले कुटुंब त्यांची शक्ती
आली जर अनेक संकटे तरी सर्व परिवाराची ढाल बनले
प्रेम, स्नेह, आपुलकीने साऱ्या कुटुंबाला एकसंध बांधले
तुमचा सारखेच निरोगी आयुष्य साऱ्या कुटुंबाला लाभावे
उदंड दीर्घआयुष्य लाभो तुम्हाला एवढेच ईश्वराला मागावे
आज रक्षाबंधन आणि वाढदिवस सुवर्णयोग लाभला
असेच एकत्र आनंदात ठेवावे आमच्या घर परिवाराला
तुमचा आदर्श घेऊन परिवाराने चालावे हीच सदिच्छा
90 व्या वाढदिवसाच्या आजोबांना आभाळभर शुभेच्छा-
भूली यादें
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टूटे फूटे दिल को, यादों के धागों से सिये जा रही हूं
जिंदगी जीने की चाह नहीं, फिर भी जिए जा रही हूं
बिखर गई हूं अंदर ही अंदर, समेटूंगी कैसे खुद को मैं?
दर्द का कड़वा घुट, मीठी यादों के साथ पिये जा रही हूं
रफ़्तार से चल रही जिंदगी, पर मैं वहीं कही रुकी हूं
खुद धक्का देकर, दुनिया की रेस में भगाए जा रही हूं
नहीं चाहती हूं यादों को याद करना, पर भूलना नहीं आता
भूलकर याद करके, भूली यादों को मिटाए जा रही हूं
ऊपर से तो खामोश हूं, पर मन के भीतर बहुत शोर है
खुद से ही बात कर के, हाल -ए -दिल सुनाए जा रही हूं-
दैहिक आकर्षण से ज्यादा मन में भावनाओं का एहसास नहीं
तू क्या जाने प्रेम को, जब रिश्तों नातों पर तेरा विश्वास नहीं
प्रेम तो दो दिलों का बंधन है, मन से मन का पवित्र संगम है
तू क्या जाने प्रेम को, जब हृदय में आराध्य का वास नहीं
प्रेम तो जन्म जन्मांतर का साथ है, एकरूपता की बात है
तू क्या जाने प्रेम को, जब लेता तू प्रियतम बिन सांस नहीं
प्रेम तो समर्पण का संकल्प है, ना कोई संदेह, विकल्प है
तू क्या जाने प्रेम को, जब प्रिय की भावों का आभास नहीं
प्रेम कोई रोग नहीं, प्रेम तो जोग है, अनुपम संजोग है
तू क्या जाने प्रेम को, जब करता प्रेम प्राप्ति का प्रयास नहीं
प्रेम तो निष्काम भक्ति है, दिव्य अलौकिक, अद्भुत शक्ति है
तू क्या जाने प्रेम को, जब करता तू हृदय से अरदास नहीं-