तुम्हारी नैनों से निकले अश्क है हम!
तुम्हारे जीवन संगीत का स्वर है हम!
तुम्हारी मोहब्बत, तुम्हारा अक्स है हम!
फिर भी पूछते हो, कौन है हम!!— % &-
ना पहचान की जरूरत है..…..
इतनी सी मेरे किरदार की हकीकत है।🤗🤗
रंग जिंदगी के!!!! - भाग 2
मन के बेहूदा ख्यालों को प्यार से रंग दे,
राह के कांटों को इरादों से रंग दे,
मन में कब तक दफन रखोगे अहसास कई,
कागज़ पर बिखर के स्याही, गज़ल को रंग दे।
रंग शायरी में हो या ख्वाहिशों में, रंग आसमां में हो या आंखों, रंग बागों में हो या जिंदगी में, जब भी इसका रंग चढ़ता है तो उसके हुस्न में इजाफा हो करता है। और रंग जब किसी अहसास का सिर चढ़ जाए तो एक ऊर्जा, एक भाव, एक अभिव्यक्ति बन अपनी पहचान के रंग में सबको रंग जाता है। और जब बात प्यार के खट्टे मीठे रंगी की हो तो उसके क्या ही कहने।
कभी वो हसीन लम्हों में गालों की सुर्ख लाली, कभी मिलन को तरसती आंखे वो काली काली, हरी मेहंदी किसी के नाम की, तो सिंदूरी मांग किसी के सुहाग की। बस ऐसा लगता है कि हम प्यार का रंग है, तो वो रंगरेज हमारी चाहत का।
प्यार और रंगों की बात यदि हो तो जो एक गीत दिमाग में आता है वो है " ओ रंगरेज, अपने ही रंग में मुझको रंग दे....."। फिल्म भाग मिल्खा भाग का ये गीत रूह को छूकर दिल में उतारने के लिए काफ़ी है तो आनंद लीजिए इस गीत का। मिलते है आपसे अगले भाग में...
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रंग जिंदगी के!!!! - भाग 1
काली रात की फिर नई शुरुआत हुई,
सिंदूरी भोर, स्वर्णिम सूरज की आग हुई,
भोर के उजाले में फिर केसरी हुआ आसमान,
आसमानी रंगों की देखो कैसी रंगोली तकरार हुई
अल्फाजों, जज्बातों, ख्यालातों से ऐसी ही रंगी रंगोली लेकर आज फिर नए विषय के साथ मुखातिब हूं मैं।
सृष्टि महज एक खेल है इंसानों का और रंगों का। हर इंसान किसी ना किसी रंग में रंगा हुआ है, हर इंसान किसी न किसी सुर से सजा हुआ है। कोई निखर जाता है, तो कोई बिखर जाता है और रंगों ने ही तो सिखाया है हमें की निखरने के लिए बिखरना जरूरी है। रंग जो कैनवास पर बिखरे, तो दुनिया तस्वीर में कैद कर ले, जमीन पर जो बिखरे, तो रंगोली बन निखर जाएं, कुदरत में जो बिखर जाए तो इंद्रधनुष बन आसमान को सजा जाए और जीवन में जो बिखरे तो इंसान की जिंदगी को रंगीन कर जाए।
रंगों को यदि संगीत में पिरोया जाए तो जो गीत मुझे याद आता है वो है फिल्म मीनाक्षी से "रंग है, रंग है...." तो लीजिए आनंद इस गीत का और आपसे फिर मिलेंगे अगली कड़ी में....— % &-
हौंसलो की उड़ान!!! - भाग 4
शायद आखरी गाना आपके हौसले को बढ़ाने और आपको प्रेरित करने के लिए काफ़ी था लेकिन फिर भी आखरी में आपसे सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगी कि यदि आप अपने लक्ष्य को लेकर गंभीर हैं तो ना तो आपको दूसरों के प्रोत्साहन से चढ़ना है और ना ही दूसरों कि खिंचाई से डरना है, बस हौसलों को थाम अपने लक्ष्य को पाने के लिए और अधिक आत्मविश्वास के साथ प्रयास करते जाना है। यदि आप अपने पहले प्रयास में सफल नहीं भी होते तो भी डरे नहीं, फिर से कोशिश करें आपने सुना ही होगा की विफलता ही सफलता प्राप्ति के मार्ग में पहला मील का पत्थर है और किसी ने कहा है ना कि
अपने हर सपनों को सांसों में रखो,
हर मंजिल को अपनी बाहों में रखो,
हर जीत आपकी हो कर रहेगी बस,
अपने लक्ष्य को अपनी आंखों में रखो।— % &-
हौसलों की उड़ान!!!! - भाग 3
कितना खूबसूरत गीत " मुसाफिर हूं यारों" और हम सब भी तो मुसाफिर है और सब को चलते जाना है, यदि हमारे क़दमों की गति रुकने लगी तो मैं विचलित होने लगेगा और विचलित मन की अस्थिरता में ना जाने कितने सवाल स्थिर होने लगते है, उन सवालों की उलझन- सुलझन की गांठें हमारी मंजिलों को भी बांध लेती है । जीवन की हर बुलंदी को पाने के लिए आमदा इंसान इन तहो में ही दब कर रह जाते है और ऐसे वक्त में अगर कोई आगे बढ़ने को प्रेरित करता है तो वो है सिर्फ हमारी हिम्मत, हमारा हौंसला।
और जिस दिन उस हौंसले को इंसान ने थाम लिया, उस दिन समझ जाना की भगवान ने तुम्हारी थकी एड़ियों को प्यार से मरहम लगाया है और मंजिल तक पहुंचने की राह को थोड़ा आसान कर दिया।
मुश्किलों से लड़ हर मंजिल को पाना कहां आसान होता है,
जिंदगी का हर पहलू एक नया इम्तिहान होता है,
रुकने, थकने वालो को कुछ नहीं मिलता जिंदगी में,
हौसलों से जो लड़े हर मुश्किल से, उसी के क़दमों में जहां होता है।
और इस बात पर को गीत कभी हौसलों को टूटने नहीं देता वो याद आ रहा है फिल्म डोर से और गीत है "ये हौंसला कैसे टूटे......, ये आरज़ू कैसे रुके...." तो सुनिए इस गीत को और बढ़ाइए अपने हौसलों को। इसके आखरी भाग के साथ फिर आएंगे तब तक गीत को सुनना मत भूल जाइएगा।— % &-
हौसलों की उड़ान!!!! - भाग 2
लीजिए कुछ तो हौसला मिला होगा आपको पिछला भाग पढ़कर और इतना जोश से भरा गीत सुनकर.....
लेकिन हौसलों की डोर जरा सी ढीली क्या पड़ती है ,
हम जीवन में दुखी होने लगते है और ये छोटे छोटे दुःख ही हमें छोटा बनाए रखते है। जीवन में संभावनाओं का कद बहुत बड़ा है और इसलिए उम्र हमें समझदार नहीं बनाती बल्कि संभावनाएं हमें बड़ा करती है। छोटे छोटे दुःख तो बचपने में ही निकाल जाते है , तो बड़े दुखों के लिए हौंसले और धैर्य को थोड़ा सहजता से साथ लेकर चलिए। जीवन में आने वाली अनहोनी पर बस खुद के हो जाइए, थोड़ा अपने और करीब आइए और हौसलों को थाम बढ़ चलिए, सब कुछ खूबसूरत लगने लगेगा। जब कभी तुम्हे भ्रम होने लगे कि ये अंत है, इसके आगे मंजिल को पाने की कोई राह नहीं तो रुकना, सुनना एक बार हौंसलो की आवाज़, जो शायद इतना ही कहे की,
जिया है मैंने तेरे हर एहसास को ए जिंदगी,
साथ ना देकर, नखरे ना दिखाया कर ए जिंदगी,
मेहनत को इसके पंख देकर कोई इतिहास नया बना दिया कर,
उम्र भर फटी एड़ियों से तेरी राह पर चला है मुसाफिर ए जिंदगी।
और मुसाफिर सुनकर ही किशोर कुमार का को गीत होंठ ख़ुद-ब-ख़ुद गुनगुनाने लगे है वो है " मुसाफ़िर हूं यारों", तो गुनगुनाए इस गीत को और इंतजार कीजिए अगली कड़ी का .........— % &— % &-
काली रात की फिर नई शुरुआत हुई ,
सिंदूरी भोर, स्वर्णिम सूरज की आग हुई,
भोर के उजियाले में फिर केसरी हुआ आसमान,
आसमानी रंगों की देखो कैसी रंगीली तकरार हुई!!— % &-
हौंसलो की उड़ान!!! - भाग 1
टेढ़ा मेढ़ा सफर ये, साथ साथ तय कर लेते है जिंदगी,
भूल कर गम सारे , साथ तेरे मुस्कुरा लेते है जिंदगी,
कोरे कागज़ से खाली है हम, रंग इन्द्रधनुष के तुझे मिले है,
कुची तेरी मुझे दे दे, कलाकारी कोई नई दिखा लेते है जिंदगी।
जिंदगी में हौसलों की इसी टेढ़ी मेढ़ी उधेड़बुन को लिए लीजिए एक बार आ गए है हम। जिंदगी का तो काम है अपनी मंजिल की ओर बढ़ते रहना, वो तो चलती रहेगी लेकिन इसकी ऊंच नीच को समझने में कई बार हमारी मंजिले थम सी जाती है। हमारे हौंसले डगमगाने लगते है, कई बार तो रेत की मानिंद हाथों से बिखर कर रह जाते है, हमारे सपनों को पाने की चाह कांच की तरह टूटकर बिखरने लगती है और ऐसा इसलिए होता है क्यूंकि हम हमारे हौसलों और जिंदगी में तालमेल बिठाना भूल जाते है। हौसलों की धीमी रफ्तार में जिंदगी को रोकने की कोशिश करने लगते है लेकिन कहा है ना तेरे थकने, तेरे रुकने पर तेरी हार नहीं, तू भी इंसान है कोई भगवान नहीं, गिर, उठ, चल फिर भाग क्योंकि जिंदगी बहुत विस्तृत है, इसका कोई सार नहीं।
और इसी पर एक खूबसूरत गीत फिल्म संजू का "कर हर मैदान फतेह" याद आ रहा है। तो आप भी उस गीत को गुनगुनाए, थोड़ी जोश भरिए उस गीत से और मैं फिर लौटूंगी आपके लिए इस लेख का अगला भाग लेकर......— % &-
कोई काजल लगा दे तस्वीर पर उनकी,
सोच में हम भी है देख के कारीगरी रब की,
हाथो में तो सिर्फ रंगो को बिखेरा था कागज़ पर,
आइना भी शर्मा गया देखकर खूबसूरती उनकी।-