याद आते हैं फिर बचपन के दिन बेफ़िक्री,
पापा संग साइकिल में घूमे हम भरी दुपहरी।
बाजार जाने की आतुरता,करते हरपल मसखरी,
लौटा दे मुझे मेरे पुराने दिन ओ मेरे रहबरी ।।-
शास्वत सत्य का प्रमाण बोध है,
देवों में देव महादेव ही निर्विरोध है।।
तांडव से नृत्य कर दिखाया अपना क्रोध है,
संसारीपन जिनके लिए मूल अवरोध है ।।
त्याग अमृत, विष को लिलना जिनका द्योत है,
महायोगी शंभू ही समस्त सिद्धियो का स्रोत है।।-
तेरी बालियों की खन खन से हुस्न-ए- मुरीद बावला हो गया,
मरीज -ए-इश्क का तबादला बरेली से आगरा हो गया।।-
ढूंढ ले जो रस्ते अवरोध में,जो डटा रहे प्रतिकार में।
शिथिल रहे विवेक जिसका दुर्गम अंधकार में।
प्रवाह के विरुद्ध जो ताने शीश चले प्रलयकार में।
वीर अभिमन्यु आदर्श तेरा कर्म और व्यवहार में।
प्राप्त होगी तुझको कीर्ति , इस जटिल संसार में।।
-
पलकों का काजल,
दीपक की बाती।
प्रेयसी पिया की ,
प्रतीक्षा में सजाती।
प्रणय की राति,
पल पल सताती।
मधु की महक,
जैसे मधुप को सुहाती।।
-
वो धुंधली सी शाम, चाय के बागान,
वो चिड़िया की चहक, अमिया की महक।
वो बोनफायर की रौनक, खनकते हुए जाम,
यादों की एल्बम, फ़ुर्सतों के नायाब मुकाम ।।-
तेरी झील सी निगाहों में मेरे बंजर क़ल्ब मिराज हो गया,
तेरी संग मुकम्मल हो ख्वाब, खंडहर मेरा महलताज हो गया।।
-
यूंही बदहवाज तफ़रते ख्यालों की दुनिया,
नजरें मिलते ही जज़्बातों को बहाने की दुनिया।
यूंही हुस्न-ए-जलवा देख ग़श खाने वालों की दुनिया,
अपनों के वाजिब सवालों पे मुंह मोड़ने वालोंकी दुनिया।।
-
ऊंची सी दूर मंजिल, संकरे से मुश्किल रस्ते ,
जिन्हें साथ थामे हम थे राह दिखाए चलते।
पाजी थे साथी, ऐतबार की जड़ को दरकते,
हमको गिराके हकदार खुद को समझते।
जो घोंपा खंजर हमे, अब अपनी नज़रों से गिरते,
खुद गिरे अर्श से फर्श पर, उठने को तरसते।।
-