क्या चाँद भी कभी सवेरा कर सकता हैं,
क्या वो मेरे बिन गुजारा कर सकता हैं??
वो कहता है कि अब मोहब्बत नहीं हमसे,
क्या पहली सी मोहब्बत दोबारा कर सकता हैं??
छोड़ा था जहाँन हमने उसके साथ की खात़िर
क्या वो ही अब हमसे किनारा कर सकता हैं??
पिरोकर भावनाओं को जिया था उसकी बातों को,
क्या कोई प्यार का भी बँटवारा कर सकता है??
तेरी बातों की खुशबू आज भी दीवारों से आती हैं,
क्या महक भी दूर उनसे दिल तुम्हारा कर सकता हैं.. ??
चलो छोड़ा तुम्हें और अब जाने दिया तुमको ,
देखते हैं हमभी कौन ख़ुद को हमसा तुम्हारा कर सकता हैं.....
🌸"अग़र सँवारू दिल की नज़रों को तो क्या आ जाएगा वापस
क्या आँखों से भी किसी को पुकारा जा सकता हैं..??"🕊🌼
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