Ranveer Singh Shekhawat  
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Joined 22 March 2020


Joined 22 March 2020
5 SEP 2021 AT 19:27

"आग लगी वनखड़ में, दाझ्या चन्दण बंस।
हम तो दाझ्या पंख बिन, तू क्यों दाझे हंस।।"

किसी जंगल में एक पेड़ पर एक हंस रहता था एक बार जंगल में आग लगी, पेड़ जलने लगे जिस पेड़ पर हंस रहता था वो भी जल उठा पर हंस वहां से नही हटा।
इस पर पेड़ बोल उठा- 'मित्र हमारे तो पंख नही है इससे लाचार है पर तुम क्यों जल रहे हो?' तो हंस ने प्रत्युत्तर दिया-
"पान मरोडया रस पिया, बैठ्या एकण जळ।
तुम जळो हम उठ चलें, जीणों कितोक काळ।।"

आनंद मनाते समय तो साथ रहे और अब विप्पत्ति में समय तुम्हें छोड़ दूं ? भला संसार में जीवन ही कितना है कि उसके लिए मित्र को जलता छोड़कर अपनी जान बचाऊं ?

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30 AUG 2021 AT 20:45

"राजसूय यज्ञ के दौरान जब युधिष्ठिर ने पितामह भीष्म से पूछा कि- यज्ञ में अग्र पूजा किसकी हो ?
तब पितामह ने कृष्ण का नाम सुझाया शिशुपाल ने इसका विरोध किया और कहा इस सभा में और भी बहुत विद्वान और ज्ञानी लोग बैठे है उनको छोड़ कर इस कल के छोकरे कृष्ण कि अग्र पूजा क्यों ?
भीष्म बोले- वर्तमान में इस संसार में कृष्ण से बड़ा योगी कृष्ण से बड़ा ज्ञानी कोई नही है।"

मुझे हैरानी होती है जब आज कि पीढ़ी ने, टीवी के सीरियल्स ने उन योगेश्वर कृष्ण को सिर्फ प्रेम का देवता बना दिया है इस चीज को दबा सा दिया गया कि चौसठ कलाओं के साथ जन्में भगवान श्रीकृष्ण किशोरावस्था में ही योग कि उस अवस्था को प्राप्त कर लिया था जिसे योगी लोग सैकड़ो वर्षो में प्राप्त नही कर पाते।

जन्माष्टमी कि हार्दिक शुभकामनाएं।

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18 JUN 2021 AT 20:35


गुण अवगुण जिण गांव, सुणै न कोई सांभळै।
उण नगरी विच नांव , रोही आछी राजिया।।

जहाँ गुण अवगुण का न तो भेद हो और न कोई सुनने वाला हो , ऐसी नगरी से तो,हे राजिया ! निर्जन वन ही अच्छा है।

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7 JUN 2021 AT 22:04

मणिधर विष अणमाव, मोटा नह धारे मगज।
बिच्छू पंछू वणाव, राखै सिर पर राजिया।।

बड़े व्यक्ति कभी अभिमान नही किया करते! सांप में बहुत अधिक जहर होता है, फ़िर भी उसे घमंड नही होता, जबकि बिच्छू कम जहर होने पर भी अपनी पूंछ को सिर पर ऊपर उठाये रखता है।

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12 MAY 2021 AT 12:04

सीतल, पातळ, मद गत, अलप आहार, निरोष।
ऐ तिरिया में पांच गुण, ऐ तुरिया में दोष।।

अर्थ :- शीतल स्वभाव, पतला होना, धीमी चाल, अल्प आहार, और रोष नही आना ये पांच गुण यदि स्त्री में है तो सद्गुण है और घोड़ी में है तो अवगुण



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12 MAY 2021 AT 9:35

सगा स्नेही और नर, सुख में मिले अनेक।
विपत पड्या दुख बांट ले, सो लाखां में एक।।

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5 FEB 2021 AT 6:39


किधोडा उपकार, नर कृत्घण जानै नही।
लासक त्यांरी लार,रजी उडावो राजिया।।

जो लोग कृत्धन होते है, वे अपने पर किए गए दूसरो के उपकार को कभी नही मानते,इसलिए,हे राजिया ! ऐसे निकृष्ट व्यक्तियों के पीछे धुल फेंको


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3 FEB 2021 AT 18:25

बाड़ दीन्ही खेत रे, बाङ ही खेत ने खाय।
राजा डंडे रैयत ने, कठे पुकारूँ जाय।।

अर्थात- अगर बाङ (खेत कि मेड़ या दीवार) ही यदि खेत को खाने लग जाये तो उस खेत कि रखवाली कौन करेगा ?

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26 JAN 2021 AT 7:36

आप सभी को गणतंत्र दिवस कि बहुत बहुत शुभकामनाएं।

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12 JAN 2021 AT 8:30

" जिस दिन भारत संतान अपनी कीर्ति कथा को भूल जायेगी उसी दिन उसकी उन्नति का मार्ग बंद हो जायेगा। पूर्वजों के अतीत पवित्र कर्म ,आने वाली संतान को सुकर्म की शिक्षा देने के लिए अत्यंत सुंदर उदाहरण है। अतीत की नीव पर ही भविष्य की स्थापना होती है। जो चला गया वो ही भविष्य में आगे आयेगा। "
स्वामी विवेकानद जी के शिकागो अमेरिका से राजा अजित सिंघजी खेतड़ी को भेजे एक पत्र से उद्दृत।

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