दिया शीश दान जिसने, बर्बरीक उनका नाम।
कहलाये वो खाटू श्याम, पाये ये कृष्ण से वरदान.
|| जय श्री श्याम ||-
जितनी बार तुझे देखू सांवरे , अलग रूप में नज़र आता है, कोई तुझे खाटू वाला श्याम, कोई तुझे तीन बाण धारी बुलाता है
|| जय श्री श्याम ||-
जो है हारे का सहारा, जग का पालन हारा,
ऐसे श्याम को नमन करता जग सारा।
|| जय श्री श्याम ||-
जिसे पा नही सकते अक्सर क्यों उससे प्यार हो जाता है
समझा था जिसे अपना क्यों दर्द वो दे जाता है
टूट कर संभलने की कोशिश थी फिर एक बार
फिर क्यों तू मेरी हर कोशिश नाकाम कर जाता है-
जब हाथो में हाथ था
वो एहसास कुछ ख़ास था
आंखों ही आंखों में बात था
शाम का वो साथ था
किनारा वो नदी का था
सब कुछ बड़ा शांत था
भूल गए तुम सब कुछ
आज भी मुझे सब याद था-
लिखना चाहती नही तेरे बारे में
फिर भी तेरा खयाल आ जाता है
जब भी भूलना चाहा तुझे
दिल में लाखो सवाल आ जाता है
गुजरती हू जब भी वो पुरानी राहों से
तेरे साथ बीता वो लम्हा बस याद आ जाता है
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अकेले छोड़ जाते है वो रिश्ते भी
जिसने उम्र भर साथ चलने का वादा किया था
वक्त नहीं थोड़ा सा भी पास उनके
जिसे वक्त से भी ज्यादा मैंने वक्त दिया था
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मोहब्बत की है तुमसे , बेफिक्र रहो
नाराजगी हो सकती है , पर नफ़रत कभी नहीं-
संभलने की कोशिश में टूट कर बिखर गए
ऐ जिंदगी ! तुझे समझने में काफी वक्त गुजर गए-