Ranjana Sinha   (Ranjana Sinha)
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Joined 13 October 2019


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24 APR AT 8:26

जो दवा में ना मिले... वो दुआ बन कर
जो ज़ख्म ना भरे... तो मरहम बन कर
जो ग़म हो तुझे... तो सुकून बन कर
तू जहां भी रहे... रहूंगी साथ तेरे

जो गुम हो कहीं... तो दिशा बन कर
जो बुझे ना कभी... वो दिया बन कर
जो तन्हा हो कहीं... तो समा बन कर
तू जब भी कहे... रहूंगी पास तेरे

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17 APR AT 16:56

जो तिल का ताड़ बना दे
छुरी दो तो तलवार बना दे
क्या उम्मीद रखें इंसानियत से
हर चीज़ का जो हथियार बना दे

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14 APR AT 19:13

मंज़िल सभी को चाहिए... वो सफ़र किसी को नहीं
शोहरत सभी को चाहिए... वो हुनर किसी को नहीं
चाहिए तो आसमान भी... इस जहां में सभी को
उड़ जाने का... वो जिगर किसी को नहीं

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9 APR AT 17:03

दिल का टूटना तो... लाज़मी था मगर
अश्क बहाने की... ज़रूरत तो नहीं थी
मिल जाते ज़िंदगी में... और भी कई
लम्हों को गवाने की... ज़रूरत तो नहीं थी

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9 APR AT 13:18

ख्वाहिशों से ज़्यादा... ज़िम्मेदारियों का भार है
सब की उम्मीदें... छोटे से कंधे पे सवार है
उड़ जाने को... वो परिंदा बेकरार है
मगर पर काटने को... ये दुनिया तैयार है

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8 APR AT 12:28

हसीन लम्हों को पिरोया करते हैं हम...
ज़ख्मों को कुरेदना हमारी आदत नहीं...

रिश्तों को संजोया करते हैं हम...
बे-रुख़ी हमारी हसरत नहीं...

खामियों को अनदेखा करते हैं हम...
नाराज़गी हमारी फ़ितरत नहीं...

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4 APR AT 7:23

Truth is... What winners write
It's not that... It is always right

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31 MAR AT 10:36

दुःख इस बात का नहीं...
कि आप हमें समझते नहीं...
दुःख इस बात का है...
कि आप समझना हीं नहीं चाहते...

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22 MAR AT 18:08

क़िस्मत से गिला ना किया करो
क़िस्मत बदल सकते हैं हम

ज़माने से रुसवा ना हुआ करो
ज़माने से लड़ सकते हैं हम

शिकवा करो अपने अंतर्मन से
आख़िर ख़ुद से हीं डरते हैं हम

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21 MAR AT 22:08

महफ़िल को तरसते थे... हम भी कभी
तन्हाई के सुकून से... वाक़िफ़ जो नहीं थे

हमदर्द हुआ करते थे... हम भी कभी
इंसान की फ़ितरत से... वाक़िफ़ जो नही थे

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