क्या आदम थे,
जो दरियाओं के पास
बनाते थे घर अपनी।
एक तरश्शुह होती है,
और दरिया
मेरे घर से निकलता।-
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'तुम कौन हो!'
अगर ये भी तुम्हें खुद बताना पड़े,
तो फिर तुम कौन हो?-
नफ़रत ही बनी है इस दुनिया में तेरे लिए 'रंजन'
वैसे ये मोहब्बत तुझे हज़म भी नहीं होगा।।-
------के बाद------
हम सभी उदास होते हैं,
लम्हा गुजर जाने के बाद।
आँसुओ को भी बहाते हैं,
वक्त बीत जाने के बाद।
कुछ बूंद आँसुओं के गिरा दें,
हम भी उनके जाने के बाद।
काश कभी खुदा भी देखते जब,
खुशी मिलती थी उन्हें देखने के बाद।
खुदा ने आज एक बेटे को बुलाया,
माँ को बुलाने के बाद।
'रंजन' वो दिलीप को छोड़ गए,
शायद ले जाएं इरफान के बाद।-
दिखी फिर आज मुझे वो मेरे सपने में,
चेहरा आज भी धुँधला ही रह गया।
वक्त तो उसके साथ बिताए सुकून के,
नींद टूटने पर आज भी परेशान रह गया।
चाहतें - ख्वाहिशें तो थे पहाड़ जैसे,
सब कुछ आज धरा का धरा रह गया।
मेरे हिस्से में समय भी तो बहुत ही थी,
न जाने कैसे वो भी खत्म हो रुक गया।-
मेरे बिन तुम्हारी कल्पना कुछ ऐसी ही की जाएगी।
जैसे मैक्सवेल और न्यूटन के बिना फिजिक्स की।-
उस दिन बरसात हुई, तब जाकर हमारी बात हुई।
बीत गयी दिन कैसे? फिर जाकर रात हुई।-