सफलता की जब, शीर्षक लिखूंगी।
सबसे अहम तब, शिक्षक लिखूंगी।।-
लेकिन अब कोशिश कर लिया करते है
अपने तो अपने गैरो ... read more
लोक दृष्टि से कोई बच कहा पाया है
उसकी फिकर ना करिए जनाब
उसके देह पर स्पर्श से अधिक दृष्टियां पड़ी हैl-
Arrenged think........
G;Shadi kaise kar le..?
B;Jaise sab krte hai,,,
G;Sab krte hai to ham v kr le...
B;Ha ek dusre ki family v pasand kar rhi to,,
G;Achha family'''Aur hamara kya....
B;Matlab,,,?
G;Matlab ki hamko v ek dusre ko Janna,samjhna chahiye....
B;Ha to ye bhi thik hai,aur yadi ek dusre ko nhi samjh paye to,,?
G;Isiliye to kah Rahi..
B;Kya,,?
G; Ki "shadi kaise kar le"..?-
सुनो
ना लिखना कभी तुम उसके रंग रूप और चाल के बारे में,
तुम लिखना तो लिखना उसके सपने और उड़ान के बारे में।
कभी उसे बंद कमरों में महफूज ना लिखना ,
तुम लिखना तो लिखना उसके खुली आसमान और संसार के बारे मे ।
और क्यू हो उसका नाम किसी और के नाम जुड़ने पूरा,
तुम लिखना तो लिखना एक औरत की अलग पहचान के बारे में।-
नई उम्मीद और नए सपनों से शुरू हो रही है बोआई।
क्योंकि ताजगी और हरियाली की माला पहने चौखट पर खड़ी है जुलाई।।-
मेरे सपनों में एक चहेरा है, शायद तुम्हरे चहरे से मिलता हैं
बस मैंने ये देखा हैं की मेरे लहंगे का रंग तेरे सेहरे से मिलता है-
पहन कर लाल जोड़ा, द्वार पर खड़ी होगी
रुक्शत होगी आज,जिसके लिए सजी संवरी दुल्हन बनी होगी
एक अंजान को उसने अभी अभी अपना बनाया है,
डाल कर गले में वरमाला, एक नए सफर में कदम बढ़ाया है
छू कर पैरों को उसने , अपना कर्तव्य निभाया है,
आदर से उठा कर उसको, उसने भी मान बढ़ाया है,
बचपन बिती जिन गलियों में, जश्न ए बारात वहां सज आई है,
बहुत खुश हैं आज ओ, उसके फेरो की रात जो आई है,
मान कर साक्षी अग्नि को, वचन अब वो लेगी,
हर सुख दुख के साथी,अब उनके हाथों में हाथ होगी,
भर कर मांग में सिंदूर, गले में मंगलसूत्र सजेगी,
अंजान थी कुछ पल पहले जिससे,अब सात जनमो की साथी बनेंगी,
खड़ी होगी दहलीज पर बाबुल के, आंखे सबकी भीग आएगी,
आज होगी वो परदेशी, छोड़ सब, पिया घर जाएगी,
सोच ये सब बातें,जिस्म में सहम सा छाya हैं,
और अंत में बस यहीं बात याद आया है,
की एक दुल्हन बनी बेटी के सर,हाथ तुम रख देना
सर कभी ना झुकने देगी,बस विश्वास तुम ये रख लेना।।-
शहर में शहनाइयों कि आवाज आ रही हैं,
लगता हैं,,,,
एक घर की रौनक,अपने दूसरे घर की रौनक बढ़ाने जा रही है-
किसी किताब को पढ़ते पढ़ते,ऐसा लगता है काश ये मेरी कहानी होती।
और उस दो पल के काश में ये आभास होता है,कि हम अपनी कहानी से कितने नाराज हैं-
जहां से मैंने ज़िंदगी को गंभीर लेना चाहा
बस वहीं से दुनिया ने मुझे अलग और बदली हुई कहा।-