Ramz_e_ishq   (Unique)
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Joined 31 July 2018


Joined 31 July 2018
YESTERDAY AT 21:03

सितारों से रोशन ये "तिरंगा " हमारा,
शहीदों ने खून से लिखा है, ये फ़साना ।

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YESTERDAY AT 8:46

शहीदों का लहू गवाह इस वतन का है
हर एक ज़रे में वादा-ए-अंजुमन का है

यह ख़ाक बिखरी नहीं, यह ख़्वाब बुने हुए हैं
कि इसमें पैग़ाम हर दिल और हर सुख़न का है

हवा का झोंका भी देता है यह सनद हमें
कि इश्क़ हमको इसी वफ़ा के चमन का है

कोई भी तूफ़ान न तोड़ पाएगा इसको
ये बंधन हम सब के भाईचारे और ख़ून का है

इस ख़ाक पर सजदा-रेज़ है सर ख़ुदा के आगे
यही तो मंज़र हर आशिक़-ए-वतन का है

ये सरज़मीन है मोहब्बत, अख़ुव्वत, उल्फ़त की
यही तो मरकज़ हमारे सारे गुलशन का है

अगर हो वक़्त-ए-अमल तो हम हैं सफ़-ए-अव्वल
कि दिल में यह जोश-ए-मुहम्मदी ﷺ के चलन का है

मेरे वतन! तेरी अज़मत सलामत हमेशा रहे
यह इल्तिज़ा हर मर्द, बच्चे और पीर वो ज़न का है

ख़ुदा करे यह चराग़-ए-अमन हमेशा रोशन रहे
अए"मह, ये ख़्वाब हर एक भारतीय के मन का है।

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14 AUG AT 21:13

मोहब्बत होती तो ऐसा होता ही नहीं
तू गैरों के क़रीब जाता ही नहीं।

अगर वफ़ा तेरे दिल में ज़रा भी होती,
तो मुझसे यूँ नज़रें चुराता ही नहीं।

मेरी चाहत को गर तूने समझा होता,
तो यूँ दर्द में मुझे तन्हा छोड़ता ही नहीं।

अगर तू ने मेरे दिल की सदा सुनी होती,
तो हमारे दरमियाँ फ़ासला बनाता ही नहीं।

वफ़ा के रंग में रँग कर वफ़ा निभाई होती,
तो मेरा हाथ कभी छुड़ाता ही नहीं।

"मह "ने चाहा था तुझको दिल -ओ- जाँ से,
अगर तू वफ़ादार होता, तो धोखा देता ही नहीं।

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14 AUG AT 11:43

तुम आँखों से बताया करो हाल-ए-दिल अपना,
लफ़्ज़ों में वो तपिश कहाँ जो निगाहों में है।

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14 AUG AT 10:58

रोशनी है, दिल में
जब क़ुरआन का पैग़ाम हो,
ज़िंदगी जन्नत बने, जब
सुन्नत-ए-ख़ैरुलअनामﷺ हो।

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13 AUG AT 19:21

छुपाना जहाँ हो भलाई, वहाँ रखो परदा-दारी,
मगर जहाँ हक दब जाए, वहाँ ज़रूरी है सच-बरदारी

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12 AUG AT 18:26

तुम से दूर रह कर जीने की कोई आरज़ू ना रही,
तुम्हारे सिवा इस दिल को किसी की जुस्तजू ना रही।

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11 AUG AT 18:25

साथ हमारा जब तक है, हर मंज़र चमकने लगता है
तुम्हारी आहट से ही दिल, ख़ुशी से धड़कने लगता है

तुम्हारे लम्स के जलवों से, रंगों में निखार आने लगता है
ये चाँद भी तुम्हें देख के, शर्म से बदली में छिपने लगता है

तुम्हारी बातों का जादू ऐसा कि ग़म-ए-दिल मिट जाता है
वीरान सा यह दिल हमारा, गुलशन सा महकने लगता है

अंधेरों में जब तुम आते हो, रातें भी चमकने लगती हैं
ज़िंदगी का हर इक लम्हा, हसीं सा ख़्वाब बनने लगता है

इस दुनिया की रौनक तुम हो, हमारी दुआ की अता तुम हो
साथ हो तुम्हारा तो हमारा ये मुक़द्दर भी संवरने लगता है

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11 AUG AT 0:10

सच की सदा उठाई तो पत्थर बरस पड़े,,,
झूठी नगरी में कौन सुनेगा इंसाफ़ की बातें।

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9 AUG AT 13:47


इस प्यार के रिश्ते से महकता सारा संसार है
ये राखी का धागा ही नहीं वफ़ा का वक़ार है

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