उस की बेवफ़ाई इतनी पुर-असर हो गई है
सांस लेते ही धड़कन मुन्तशिर हो गई है
एक ख़लिश सी है जो लफ़्ज़ों में उतर आई है
ख़ामोशी भी अब तो कुछ-कुछ बा-हुनर हो गई है
धूप ढलते ही तनहाई भी गहरी लगती है
पलकों पे जो नमी थी, वो सफ़र हो गई है
हम ने जीना सीख लिया उस के बग़ैर अब तो
पर मुस्कुराहट भी अब कुछ मुख़्तसर हो गई है
आईने में अब उस का अक्स दिखता ही नहीं
याद की धुंध में हर शय दर-बदर हो गई है,,!!-
सुकून -ए - दिल कैसे न मयस्सर होता,,,,,,,,?
जब दिल के करीब बैठा दिल ए दिलदार होता-
राज़ क्या-क्या हैं मेरे दिल में, सुनाऊँ कैसे
ज़ख्म किस-किस ने दिए हैं, ये बताऊँ कैसे
याद तेरी मुझे हर रात रुलाती है मगर
अपने जज़्बात को सबसे मैं छुपाऊँ कैसे
तू जो बिछड़ा, तो ज़माना भी बदल सा गया है
तू बता दे मुझे ख्वाबों को सजाऊँ कैसे
इक तेरी याद ही तड़पाती है दिल को अब भी
आग सीने की मैं हर रोज़ बुझाऊँ कैसे
जो भी वादे थे, वो सारे ही अधूरे रह गए
अब मैं इन बातों को यादों से मिटाऊँ कैसे
बेवफ़ा तुम हो सनम, हम वफ़ा पे मर मिटे हैं
इस मोहब्बत की मैं शिद्दत को भुलाऊँ कैसे-
तेरे फ़िराक़ ने दिल का किया है मुहासरा
न नींद आई, न जागे, कैसा है मुहासरा
चराग़ बुझने लगे, थम गई हैं सारी हवा
अधूरे ख्वाब का कैसा कड़ा है मुहासरा
सदा भी अपनी कहीं गुम हो गई है अब
हर इक तरफ़ से खामोश समा है मुहासरा
न रास्ता, न कोई हमसफ़र, न रौशनी
बस एक ख़लिश ने किया वफ़ा का मुहासरा
सोचा था भूल जाऊंगी तुझे किसी तरह
मगर ये इश्क़ भी करता रहा है मुहासरा
बिछड़ के तुझसे ये हालत हुई है जान-ए-जाँ
कि जैसे दर्द ने दिल पे बाँधा है मुहासरा-
जिसे चाहा था रग-रग में उतार के हमने
उसी ने जलाया हर धड़कन को सुलगाते हुए
अपनी रूह तक उतार दी थी उसकी खातिर
वो हँस पड़ा हमें देख कर पल पल तड़पते हुए
अपनी हर साँस रख दी थी उसके कदमों में
वो ज़हर पिलाया हम पी लिए अमृत समझते हुए
जिस प्यार को पूजा, वही बना बेबसी की सज़ा
हम मरते रहे, और वो चलते रहे मुस्कुराते हुए
हम उसकी एक हँसी पे दुनिया छोड़ सकते थे
उसने हमें ही छोड़ दिया, हर रिश्ते को मिटाते हुए
जिसे समझा था हक़ वो बस एक ख़्वाब निकला
हम बस रह गए यादों में जलते सिसकते हुए
जिसे पुकारा था हर लम्हा, दीवाना बन के
उसे ही देखा हम ने गैरों से लिपटते हुए-
ये कुदरती नज़ारे और भी हसीन तरीन नज़र आते हैं
जब मेरी निगाहें तेरी निगाहों के साथ उन का दीदार करते हैं-
ठंडी हवा चली, दिल ने कहा चलो चाय हो जाए,
जब साथ हो तेरा, तो हर घड़ी जश्न बन जाए,,,,।-
मौसम भी कुछ कह रहा है तेरी बातों में,
दिल डूबा है फिर से पुरानी यादों में।-
दिल की आरज़ू है तेरा साथ हो,
हर घड़ी, हर कदम तू ही पास हो।
तेरे बिन अधूरी सी लगती है ज़िंदगी,
तेरी मुस्कान ही मेरी प्यास हो।
हर दुआ में तेरा ही नाम आए,
तेरा ज़िक्र मेरी हर सांस हो।
मैं भटकता रहा तेरी चाह में,
तू ही मंज़िल हो, तू ही रास हो।
तेरे साए में जीना सुकून बन जाए,
तेरी बाहों में हर एक पल ख़ास हो।
तू मिले तो ये दुनिया जन्नत लगे,
तेरा होना ही मेरी आस हो।
तेरे लबों की ख़ामुशी भी बोले कुछ,
तेरे हर इशारे में मोहब्बत का पास हो।
दिल की आरज़ू है करूं तुझसे वफ़ा,
और बदले में तुझे मेरा ही एहसास हो।-