Ramz_e_ishq   (Unique)
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Joined 31 July 2018


Joined 31 July 2018
2 MAY AT 21:02


हर दफ़ा टूट के भी ख़ुद को जोड़ लिया था,
वो मेरी आँख में देखाकर अलविदा कह गया।

मैं जिसे चाह के भी भूल नहीं सकता अब,
वो बड़ी सादगी से मुझसे अलविदा कह गया।

बात करते हुए झुकती थी जो नज़र उसकी,
उसी नज़र से हर इशारे में अलविदा कह गया।

मैं तो लम्हों में उसे उम्र बना बैठा था,
मगर वो हर नए पल को अलविदा कह गया।

जो कभी दिल के बहुत पास रहा करता था,
आज हँसते हुए दिल को अलविदा कह गया।

उसका अंदाज़ था बेमिस्ल जुदाई देने का,
रूह से जान तक को अलविदा कह गया।

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1 MAY AT 22:23

रगों में इश्क़ है, साँसों में एक धड़कन है,
ये दिल भी अब तेरा, तुझमें ही हर धड़कन है।

नज़र मिली तो लहू में जश्न-ए-वफ़ा जगी,
तेरे ख़याल में अब हर शाम एक चमन है।

मेरे जिस्म में तेरा ही नूर बसता है,
तेरी हयात से ही अब मेरी पहचान है।

कभी जो दूर हुआ तू, तो जान ले जाना,
बचा है इश्क़ ही, बाक़ी सब एक ग्रहण है।

तुझे न सोचूँ तो ये दिल बेज़ुबाँ सा लगे,
तेरे बिना तो हर मौसम भी ग़मगीन है।

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1 MAY AT 14:38

चलो कि आज दिलों को जला के देखते हैं
हर ज़ख़्म को हँसी में छुपा के देखते हैं।

ना कोई गिला रहे, ना शिक़ायतें कोई
हम अपने दर्द को हुनर बना के देखते हैं।

जो ख़्वाब काँटे बने हुए हैं बहुत
चलो उन्हें आँखों में सजा के देखते हैं।

यह ज़िन्दगी तो सिर्फ़ एक इम्तहान निकली
चलो कि ख़ुद को भी आज़मा के देखते हैं।

चराग़-ए-शौक़ बुझाए हैं वक़्त के तूफ़ान ने
चलो हवा से उसे फिर जला के देखते हैं।

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30 APR AT 5:58


"हाथों में हाथ हो और प्यार का दिया जलता रहे,
मोहब्बत का एहसास यूँ ही खामोशी से पलता रहे।"

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30 APR AT 0:42

अजीब है ये दुनिया, अजीब लोग बसते हैं,
हकीकतों से दूर, ख़्वाब लेकर सजते हैं।

हर एक मुस्कान में छुपी होती है तन्हाई,
ये हँस के मिलते हैं अंदर से तो रोते हैं।

सच्चाई की मिसाल देकर झूठ बोलते हैं लोग,
यहाँ सच्चाई के रास्ते भी धब्बों से भरे होते हैं।

मोहब्बत एक सौदा है, वफ़ा भी एक बाज़ार,
जो दिल से चाहते हैं, अक्सर वही पछताते हैं।

जो अपने थे कभी, आज अजनबी से लगते हैं,
बीते लम्हे यादों में रो-रोकर गुजरते हैं।

किसी का दर्द सुनना यहाँ फुर्सत का काम है,
जो खुद पर बीतती है, लोग उस पर हँसते हैं।

ख़ुदा से भी शिकवा है अब इंसानों को यहाँ,
कि दुआओं के बदले में क्यों इम्तिहान मिलते हैं।

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29 APR AT 22:47

इश्क़ में जो डूबे, वही राज़ जान पाए
बाक़ी तो बस ख्वाबों में कहीं खो से रह गए

तेरी याद ने ऐसा दिया जलाया दिल में
आंधियाँ चलीं, पर हम उजाले हो गए

लब खामोश थे, मगर दिल की सदा बाक़ी थी
हम-तुम की दास्तां में सब्र जैसे हो गए

वक़्त भी थमा, लम्हे भी ठहर से गए
जब तू मिला, तो हम भी मुकम्मल हो गए

ख़ुद को मिटा कर तुझको ही पाया हमने
तब जा के इश्क़ के काबिल हम हो गए

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25 MAR AT 0:26


चिल्लाए कोई चीख के, रोए कोई चुपचाप
हर दिल पे रवां है यहां ज़ुल्म का सैलाब

माओं की सदा, बच्चों की फ़रियाद का मंज़र
हर आंख में बसते हैं वो ख़्वाब के गर्दाब

ख़ाक़स्तर हुई है यहां राहतों की बस्ती
वीरान घरों में है बस आंसुओं का हिसाब

चेहरे पे जली हर्फ़-ए-वफ़ा की तहरीरें
और दिल में सजे हैं वफ़ा के कई महताब

कहता है ज़माना कि सब्र आज़माइश है
हर ज़ुल्म पे कहता है दिल, कब होगा हिसाब

अहले-ईमान कभी सब्र का दामन न छोड़ेंगे
ज़ुल्मत के अंधेरों में जलेंगे बन के आफ़ताब

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22 MAR AT 12:46

ये मिट्टी भी चमकेगी, ये ज़ख़्म भी भर जाएंगे,
सितम के अंधेरे किसी दिन बिखर जाएंगे।

हर आँसू में छुपी है हक़ की सदा,
ये नारे फ़िज़ाओं में गूंजें तो डर जाएंगे।

गुमां है कि ज़ुल्मत रहेगी सदा सर बुलंद?
ये ख़्वाब देखो न, सूरज निखर जाएंगे।

फ़रिश्ते गवाही को लाएंगे मज़लूम की
लहू के ये क़िस्से फ़लक तक गुज़र जाएंगे।

हमें ख़ौफ़ मत दो, हमें दर्द मत बांटो तुम,
ये पत्थर भी उठेंगे, खंजर उतर जाएंगे।

सितमगर बना ले तू खून से हालात बदतर
खुदा के इशारे से बिगड़े हालात संवर जायेंगे

ये ग़ज़ा की मिट्टी, ये ईमान का हौसला,
ये लोग मरेंगे नहीं , बुलंद सर कर जायेंगे

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21 MAR AT 15:40

ए इब्न-ए-आदम!

तूने अपनी ज़ुबान से जो कहा,
वो तेरे दिल की कैफियत का मज़हर है
,मगर याद रख कि मैं तेरा रब हूं,
तुझे तेरी रग-ए-जान से भी
ज्यादा करीब जानने वाला।

तू कहता है कि मैं तेरी दुआओं का
जवाब नहीं देता,
मगर क्या तूने कभी अपने दिल
को टटोला कि वो किस नीयत
से मांग रहा है?
क्या तूने अपने आमाल को
परखा कि वो किस राह पर
गामजन हैं?
मैंने तुझे पैदा किया, तुझे शऊर
दिया, इख्तियार दिया,
और फिर तुझे आजमाया, ताकि
तेरे दिल की हकीकत अयां हो
👇
To be Continue,,,,,

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18 MAR AT 18:05

چمکا تھا نور حقّ کا، وہ رات بدر کی تھی
باطل کی ظلمتوں پر، برسات بدر کی تھی

توفیقِ رب کے سائے، ایماں کے ساتھ تھی
نصرت تھی آسماں سے، یہ سوغات بدر کی تھی

تین سو تیرہ نکلے، ہر ایک شیر دل تھا
میدان میں وہ اترے، وہ جرأت بدر کی تھی

کفر و ضلالتوں کی، سب گتھیاں بکھر گئیں
حق کی صدا میں چھپ کر، وہ حکمت بدر کی تھی

سجدے میں تھے نبیؐ جب، رحمت ہوئی عطا
تاریخ گواہ بنی، وہ شہادت بدر کی تھی

خالق نے خود کہا تھا، فرشتے ہیں مدد کو
ایماں کے نور میں بھی، شجاعت بدر کی تھی

کرتے رہو دعا تم، اس معرکے کے وقار کی
باطل ہوا شکستہ، وہ عظمت بدر کی تھی

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