Ramraj Rajasthani   (RAM RAJ RAJASTHANI)
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शाइर

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Joined 30 November 2019


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AN HOUR AGO


जब आपके बच्चों को होगा
किसी विजातीय से प्रेम
तब आप नहीं जलेंगे
क्रोध की ज्वाला में
तब नहीं होगा अफ़सोस
आपको अपनी परवरिश का
जब करेंगे बग़ावत आपके बच्चे
पारंपरिक रीति-रिवाज़ों
और रूढ़ियों के ख़िलाफ़
जब तोड़ देंगे सामाजिक नियमों को
तब नहीं झुकेगा आपका सर
समाज में
नहीं विचलित होंगे आप
चार लोगों के ताने सुनकर
अगर किया है आपने
किसी से प्रेम
“सच्चा प्रेम “

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11 JUL AT 20:27

सृजन का मुख्य आधार “एकांत”है
और नकल का “भीड़ “

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10 JUL AT 10:28

हैं जिनके जितने मुखौटे गुरु भी उतने हैं
यहाँ मैं आज भी अपने गुरु की खोज में हूँ

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6 JUL AT 15:22

अपने ढँग से आना जाना मेरे भरोसे मत रहना
अपना रस्ता आप बनाना मेरे भरोसे मत रहना

आईने में खड़ा शख़्स ही सिर्फ़ तुम्हारा अपना है
उससे ही हर आस लगाना मेरे भरोसे मत रहना

फ़र्ज़ में आधी उम्र गँवा दी कर्ज़ में मैं मर जाऊँगा
मैं ख़ुद ही बेबस हूँ जाना मेरे भरोसे मत रहना

अपनी ख़ातिर अपने जैसा कोई बेदिल ढूँढों तुम
मैं तो शाइर हूँ मस्ताना मेरे भरोसे मत रहना

ख़ुद ही ख़ामोशी से लड़ना ख़ुद ही भरना खालीपन
ख़ुद ही ख़ुद से प्यार जताना मेरे भरोसे मत रहना

इश्क़ करो घर-बार बसाओ मौज़ करो या दुख पाओ
अपनी ढपली आप बजाना मेरे भरोसे मत रहना

नदियाँ ही मिलती है चलकर राज हमेशा सागर से
मुझसे मिलने तुम ही आना मेरे भरोसे मत रहना

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28 JUN AT 21:32

दिल के दरिया में तू अगर रहता
मेरी चाहत से तर-बतर रहता

जाने वाले को रोक लेता मगर
फिर से जाने का दिल में डर रहता

उसके दिल में जगह न मिलती अगर
उम्र भर मैं इधर उधर रहता

पेड़ होता तो ठीक रहता मैं
इक परिंदा तो शाख़ पर रहता

वो जमाना भी क्या जमाना था
घर में हम रहते हम से घर रहता

दिलकशी थी सो कर गई तन्हा
इश्क़ होता तो उम्र-भर रहता

रहती आबाद दिल की दुनिया राज
मेरे सीने पे तेरा सर रहता

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25 JUN AT 12:24

मेरे सवाल से उसके जवाब तक का सफ़र
हुआ तमाम हक़ीक़त से ख़्वाब तक का सफ़र

बदन से हो के शुरू ख़त्म भी बदन पे हुआ
निगाह-ए-शोख से हुस्न-ओ-शबाब तक का सफ़र

है फ़ख़्र मुझको किसी ने तो मेरे साथ किया
लबों की चाय से ग़म की शराब तक का सफ़र

वो मेरी सूरत-ए-जज़्बात कैसे देखेंगे
किया है जिनकी नज़र ने नक़ाब तक का सफ़र

कभी तो चूमिए दिलबर को सर से पाँव तलक
कभी तो कीजिए शोलों से आब तक का सफ़र

वफ़ा-ए-इश्क़ को आसान मत समझ लेना
ये है ग़ुलामियों से इंक़लाब तक का सफ़र

मिला है राज मुझे इक हसीं ग़ज़ल का साथ
तभी किया है कलम से किताब तक का सफ़र

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20 JUN AT 9:21

फूल क्या परिंदे क्या सबकी इक सी हस्ती है
चार दिन का जीवन है दो दिनों की मस्ती है

क्या बिगाड़ पाएँगे ज़िंदगी के ग़म उसका
जिस किसी के भी ऊपर रब की सरपरस्ती है

सौ बरस बिताने को ज़िन्दगी नहीं कहते
ज़िन्दगी वही जिसमे प्यार मौज़ मस्ती है

धन लगा के पछताए ज़िन्दगी पड़ी महँगी
हादसों ने समझाया मौत कितनी सस्ती है

इश्क़ का असल मतलब बंधनों से आज़ादी
आजकल की चाहत तो सिर्फ़ ज़ेर-दस्ती है

सरहदों पे मरने का नाम ज़िन्दगी है दोस्त
औरतों पे मरना तो मर्द की शिकस्ती है

राज ये जहाँ वाले डरते हैं मुहब्बत से
आ चलें यहाँ से ये बुज़दिलों की बस्ती है

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19 JUN AT 17:23

सिर्फ़ आदमियों की सफलता के पीछे ही नहीं
zomato और swiggy की सफलता के पीछे भी
औरतों का हाथ है ।

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16 JUN AT 18:33

प्रेम में कुछ भी देना वक़्त देने से क़ीमती नहीं है

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15 JUN AT 17:59

किसी का होने दिया और न ख़ुद ही पाया मुझे
मेरे हबीब ने यूँ ही किया है ज़ाया मुझे

तमाम उम्र मेरी ज़िंदगी में दर्द रहा
तमाम उम्र मुहब्बत ने आज़माया मुझे

कोई भी शख़्स बदन की रज़ा नहीं समझा
किसी ने कस के गले से नहीं लगाया मुझे

न घर में रहने दिया ना किसी के सीने में
मेरे क़रीबियों ने उम्र भर घुमाया मुझे

बुरा सुलूक किया आईनों ने मेरे साथ
मेरा ही चेहरा सही से नहीं दिखाया मुझे

हर एक यार मुझे आज़मा के खो बैठा
बस एक ग़म ही था जिसने नहीं गँवाया मुझे

मैं कम ज़हीन हूँ या राज ये वफ़ा वाले
किसी का प्यार भला क्यों न रास आया मुझे

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