पीछे लागा जाई था,लोक वेद के साथि ।
आगे ते सतगुरु मिल्या,दीपक दिया हाथि ।।
कबीरदास जी कहते हैं कि मैं लोक यानी समाज और वेदों के अनुसार अंधा होकर चल रहा था लेकिन जब मुझे सतगुरु मिले तो उन्होंने मेरे हाथ में दीपक रख दिया यानी ज्ञान प्राप्त करने का मार्ग दिखा दिया उसके बाद मैं किसी के पीछे अंधा होकर नहीं चला अर्थात् किसी के कहे अनुसार नहीं चला स्वयं के अनुभव पर चला
अर्थात “अच्छा शिक्षक ज्ञान नहीं देता ज्ञान का मार्ग दिखाता है “-
Starmaker पर mraj18988
Facebook पर Ram Raj Rajasthani
उसके नंबर है..?
हाँ ..!
कॉल करते हो ..?
नहीं ..!
तो मैसेज करते हो ..?
नहीं..!
वो बहुत दूर है..?
नहीं..!
मिलते हो..?
हाँ ! रोज़ ।
बात करते हो..?
नहीं ..!
प्यार करते हो..?
हाँ..! बहुत ।
कब..?
जब समय मिलता है ..!
समय कब मिलता है ..?
कभी नहीं..!
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बना बना के रील बनूँगा मैं भी आइकॉन
दिला दो पापा आईफ़ोन
जॉन के मम्मी पापा साथ में नाचे-गावें
शीलू और सितारा नई-नई रील बनावे
जिद छोड़ो जल्दी हाँ बोलो तोड़ो भी अब मौन
दिला दो पापा आइफ़ोन
बना बना के रील बनूँगा मैं भी आइकॉन
दिला दो पापा आईफ़ोन
अमेज़न पे सस्ता है अभी ऑर्डर कर दो ना
मेरी छोटी सी ख़्वाहिश आज पूरी कर दो ना
एचडीएफसी बैंक से सस्ता मिल जाएगा लोन
दिला दो पापा आईफ़ोन
बना बना के रील बनूँगा मैं भी आइकॉन
दिला दो पापा आईफ़ोन
आठ दस ब्लॉगर्स वाला इक नया पैनल होगा
हर इक सोशल साईट पे हमारा चैनल होगा
रील दिखेगी मोबाइल को करते ही स्विच ऑन
दिला दो पापा आईफ़ोन
बना बना के रील बनूँगा मैं भी आइकॉन
दिला दो पापा आईफ़ोन
जल्द ही सीख के ब्लॉगिंग हम बड़े ब्लॉगर होंगे
करोड़ों में हमारे फ़ैन फ़ॉलोअर होंगे
इंटरनेट की दुनिया में होगा अपना इक जॉन
दिला दो पापा आईफ़ोन
बना बना के रील बनूँगा मैं भी आइकॉन
दिला दो पापा आईफ़ोन
सेफली टॉकिंग वाली ऑन कर दूँगा सेटिंग
फ्रेंडस को कॉल करूँगा और गर्लफ्रेंड्स से चैटिंग
लव यू किस यू जानू वाली रखूँगा रिंगटोन
दिला दो पापा आईफ़ोन
बना बना के रील बनूँगा मैं भी आइकॉन
दिला दो पापा आईफ़ोन-
ये मायने नहीं रखता कि
आपके कितने मित्र.?
मायने ये रखता है कि
आपके कैसे मित्र हैं .?
आपको दो हज़ार की ज़रूरत पड़ने पर जो दो सौ बहाने बनाए
उन्हें जितनी जल्दी हो सके अपनी मित्रता सूची से निकाल फेंकिये
जो आपकी जीते जी दो हज़ार रुपए की मदद नहीं कर सकते
वो आपके मरने के बाद आपकी फैमिली को दो पैसे की भी मदद नहीं करेंगे
अपना क़ीमती वक्त और भरोसा उन्हें दें जो बाकई इसके हक़दार हैं जो आपसे प्यार करते हैं ।
भेड़ों की भेड़ में रहने से बिहतर है अकेले रहो ।अपने से और
अपनों से ख़ूब प्यार करो |
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बे-मज़ा बे-तलब मुहब्बत थी
उसको मुझसे अजब मुहब्बत थी
बेरुख़ी नफ़रतें जफ़ा तौहीन
उसका मतलब ये सब मुहब्बत थी
क़ुर्बतें बे-मज़ा रहीं उसकी
दूरियों में ग़ज़ब मुहब्बत थी
आज भी उसका दिल नहीं बदला
अब मुहब्बत न तब मुहब्बत थी
लब-ए-इज़हार कर के पछताए
जब थे ख़ामोश लब मुहब्बत थी
कल तलक जो हवस समझता था
वो भी कहता है अब मुहब्बत थी
जानलेवा थे फ़ुरकतों के पल
एक दूजे से जब मुहब्बत थी
राज तो बेवफ़ा है मान लिया
तू बता तुझको कब मुहब्बत थी-
हमने कपड़े धोने के लिए जाति बनाई
उन्होंने मशीन
हमने साफ़ सफ़ाई करने के लिए जाति बनाई
उन्होंने मशीन
हमने पूजा-पाठ,
युद्ध -शांति ,व्यापार-वाणिज्य
हर एक काम के लिए एक जाति बनाई
और उन्होंने मशीनें
हमारी बनाई गईं व्यवस्था
की वैलिडिटी
लोहे की मशीनों से
हज़ारों गुना ज़्यादा है
हमने मज़बूत और स्थायी व्यवस्था का निर्माण किया
बजाय तेज़ और कम वैलिडिटी वाली
मशीनों के आविष्कार के
हम ऐसे ही नहीं बने
“विश्व गुरु “-
अगर आप का बच्चा
हॉस्टल में रह रहा है
तो आपको भी तैयार रहना चाहिए
वृद्धाश्रम में रहने के लिए-
नाव में पानी नाव पानी में
चलता रहता है ज़िंदगानी में
ज़िन्दगी के ग़मों से क्या डरना
मोड़ आते हैं हर कहानी में
शौक़ में जुर्म कौन करता है
भूल हो जाती है जवानी में
हमने इक दूसरे को छोड़ दिया
ये ही होता है खींचा-तानी में
रात तन्हाई में कटेगी अब
दिन गँवाए थे आना कानी में
वो मुझे भूल ही नहीं सकता
प्यार दे आया हूँ निशानी में
चाँद हो आसमान का जैसे
वो यूँ लगती है आसमानी में
साथ अपनों का कैसे छोड़ दूँ राज
दाग़ लगता है ख़ानदानी में-