अक्सर जो इंसान अपनी सच्चाई को छुपाने के लिए, किसी भी हद तक किसी से भी झूठ बोल सकता है!
तो उस इन्सान पर भरोसा नहीं किया जा सकता है,, क्योंकि भरोसा एक बार होता है और धोखा बार-बार होता है साहब!!
डीयर आर एस आजाद...-
जब कोई अपना सगा अपनी किसी भी अच्छी बातों को नहीं मानता या सुनता है!
तब वो इन्सान उसको अपनापन दिखाने की वजह दूरी बनाना शुरू कर लेता है!!
डीयर आर एस आजाद....-
चालाकी के दरवाजे और झूठी हँसी के दरवाजे तभी से बंद होना शुरू हो जाते हैं!
जब इंसान खुद की हकीकत को छुपाकर दूसरों
के सामने सच के गीत गाने लगता हैं!!
डीयर आर. एस आजाद...
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जब हम गांव में घर के आंगन में बैठकर चांद सितारों को गिनते थे,
उस वक्त हमें ये लगता था कि ये दुनियां ही खुशियों की खदान लगती थी!
डीयर आर एस आज़ाद...-
मंजिल की राहों में सफर कर रहे है कभी इधर तो कभी उधर भटक रहे हैं,
संघर्ष जारी है खुद पर विजय पाने की किसी के बहाने तो किसी के ताने सुन रहे हैं!
डीयर आर एस आज़ाद...-
ये वो बरसात है कि जिसके आने से
वो मिलने आए हैं,
बरसात के बहाने ही सही चेहरे पर
मुस्कुराहट लाए हैं!
पता नहीं क्यूं जब भी वो मिलते है
अक्सर हम जल्दी में होते हैं,,
क्या कहूं कसूर उनका होता है कि वक्त
हमें उनसे मिलने नहीं देता हैं!!
डीयर आर एस आज़ाद...-
वो मोहब्बत की ममतामई सादगी है हकी
कत की खुशियां इन्हीं से मिलीं है,
समुंद्र की चाहत जिनकी बंदगी में है प्यार
की अनमोल जिंदगी मां से मिलीं है!
बनी है दुकान प्रेम के सागर की गर मां की आंचल भरी छाया मेरे सिर पर है,,
कैसे करूं मां मैं तेरे चरणों की बंदगी मेरे
शब्दों में इतनी क्षमता नहीं हैं!!
डीयर आर एस आज़ाद...-
हर तरफ देख मुसीबत खड़ी है जंग
लड़ने पर जीत आसानी से नहीं मिलती हैं,
हर तरफ रास्ते ढूढने पड़ते हैं क्योंकि जंग लड़ने से नहीं तजूर्बे से मिलती हैं!
डीयर आर एस आज़ाद...-
जब जिंदगी ही एक सफर हैं तो हम भ्रमवश रुक क्यूं जाते है,
जब जिंदगी की आखरी मंजिल मौत है
तो हम लालच के वसीभूत क्यूं है!
डीयर आर एस आज़ाद...-
हर पल की कीमत हर पल में कई राह अपना रूप बदल देती हैं,
कौन किसको कितना चाहता है मिलने
के बाद मुलाकात बता देती हैं!
शब्द कड़वे हो सकते है जवाब देने के बाद इंसानियत जता देती हैं,,
वक्त दुनियां का वो एक ऐसा मरहम है
जो वक्त निकलते घाव भर देती हैं!!
डीयर आर एस आज़ाद...-