Ram Tiwari   (राम तिवारी)
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इक न इक शमां अंधेरे में जलाए रखिए
सुबह होने को है माहौल बनाए रखिए...
Joined 25 May 2017


इक न इक शमां अंधेरे में जलाए रखिए
सुबह होने को है माहौल बनाए रखिए...
Joined 25 May 2017
3 MAY 2020 AT 1:05

न इधर जाना है न ही उधर जाना है
हमको नहीं खबर कि किधर जाना है

इतना पता है हमको जरूर बस
इस बार हद भी से गुजर जाना है

अगर चल सकते हो तो साथ चलो
अब तो क्षितिज के भी पार जाना है

मालूम है हमको इस बार मिलना है मुश्किल
हमको अब इन्ही यादों के साथ मर जाना है

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1 MAY 2020 AT 11:40

हिरनी सी उसकी आखें है
फूल सा उसका चेहरा है
दिल से एक बच्ची सी है
हर जगह पर फटती रहती है
और बात बात लड़ती रहती है
थोड़ी जिद्दी और सीधी सादी सी
वो लड़की है शहजादी सी

बाहर से खुश है पर
अंदर से जाने कहा ही खोई रहती है
शायद कुछ खालीपन भीतर से
बस उसको ही भरती रहती है
गुस्सा तो हर दम उसकी नाक पर रहता है
पर जहां भी रहती है माहौल बनाए रखती है
थोड़ी जिद्दी और सीधी सादी सी
वो लड़की है शहजादी सी

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30 APR 2020 AT 3:51

दिखा कर खेल मदारी चला गया
निभाए ऐसे कि सब किरदार अमर गया
बन कहानी किस्सा हम सब में खो गया
हंसाते हंसाते रुलाया भी कभी कभी
छोड़ आसूंओं की धार में चला गया
दिखा कर खेल मदारी चला गया

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29 APR 2020 AT 0:36

तुमको आसान बात लगती है
दिन बनाने में रात लगती है

किसी को देखने चाहने में पल लगता है
उसी को भूलने में एक जान लगती है

जब वो पास हो तो सब कुछ हसीन
बाद उसके सारी दुनिया वीरान लगती है

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28 APR 2020 AT 2:19

जीवन एक व्यापार है
इस सफर में कुछ न कुछ बेच रहे हैं
सब सांसें देकर समय खरीद रहे है
घर छोड़कर एक आशियाना
परायों में अपने तलाश रहे है
है इस खेल में सब युधिष्ठिर
चौसर के दांव में खुद को लगा रहे है
जीते है खेल में फिर भी हार रहे है

जीवन एक व्यापार है
इस सफर..............


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26 APR 2020 AT 4:31

आओ मुलाकात करते है
बात करते है
कभी इन रास्तों पर
चलेंगे कुछ देर फिर से
बैठेंगे कहीं फिर से
वही चांदनी रात होगी
तुम्हारा साथ होगा
हाथों में हाथ होगा
बताओगी कुछ नई बातें
हमारे पास भी कुछ खास होगा
पता भी नहीं चलेगा
शाम यूं ही गुजर जाएगी
रात कब जवां होगी
और कब ढल जाएगी

चलो अब चलना होगा
फिर से बिछड़ना होगा
आज का समय पूरा हुआ
शायद यही तक का साथ था
आगे सफर मुश्किल होगा
कुछ यादें तुम रख लो
कुछ बातें हम रख लेते है
कुछ किस्से तुम लेती जाओ
इक तुम्हारा हिस्सा हम रख लेते है
फिर किसी दिन इसी तरह
तुम्हारा इन्तज़ार रहेगा
आना कभी बात होगी
फिर मुलाकात होगी
कभी इन रास्तों पर।।

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23 APR 2020 AT 4:30

घर में राम की शंका, बाहर रावण का डर ।
सीता बन भी नारी चैन न पाए जीवन भर ।।

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21 APR 2020 AT 3:22

सभी कुछ न कुछ भूल जाना चाहते है
जो है नहीं लकीरों में उसको पाना चाहते है

लौट कर आ जाए बचपन के वो दिन
एक बार फिर से मुस्कुराना चाहते है

ज़िंदगी के सफर में चलते ही जा रहे है
सभी कोई न कोई आशियाना चाहते है

याद आती है अब भी तो तकलीफ होती है
उसकी यादों से पीछा छुड़ाना चाहते है

न हो जहां कोई उंच नीच जात पात
जहां में ऐसा भी एक ठिकाना चाहते है

घुटन सी महसूस होती है अब यहां पर
सब छोड़ कर कहीं भाग जाना चाहते है

इक मुद्दत से सब भर रखा है दिल में
अब यह सारी दास्तां भूल जाना चाहते है

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17 APR 2020 AT 3:08

हार छोटी हो भले ही पल दो पल
तो उम्मीद का दामन छूट जाता है

भूल जाते है लोग बातें बरसों पुरानी
एक पल में ही भरोसा टूट जाता है

लाख करो कोशिश राह ए ज़िंदगी में
कोई ना कोई अपना रूठ जाता है

अजब सी दास्तां है कली खिलती इधर
उधर शाख से पत्ता टूट जाता है ।

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12 APR 2020 AT 16:17

छोड़ा है घर, छोड़ा है शहर
लगता था जहां अपनापन
वो इलाका छोड़ आए है
पापा की तीखी पर काम की बातें
बहनों का प्यार अपने सब यार
अम्मा खिलाती थी बैठाकर
जहां वो आंगन छोड़ आए है
हां हम अपना शहर छोड़ आए है

किसी की यादें किसी की बातें
घर से उसको देखने निकलना
चौराहों पर उसकी राह तकना
बोलने थे जो लफ्ज़ वहीं भूल आए है
निकले है मंज़िल की तलाश में
पंछी अपना शजर छोड़ आए है
हां हम अपना शहर छोड़ आए है

मिलेगी मंज़िल सपनों के दाम भी मिलेंगे
आकर हम से सब खास ओ आम भी मिलेंगे
लेकिन लौटेगी की क्या वो पापा की डांट
बहनों का प्यार अपने सब यार, और हां
कुछ अनसुनी बातें कुछ अनकहे जज़्बात
जिसकी यादों को तड़पता छोड़ आए है
हां हम अपना शहर छोड़ आये है

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