आंखों की गहराइयों में
बहुत से सपने देखे हैं तुने
लेकिन ख्वाहिशें मेरी पुरी करता है क्यों
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अजीब बात है
साथ होकर भी अलग वास्ते है
आओ मिलकर साथ चले
कश्तियों की डोर बनाये
रिश्तों को सजाये
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अकेली हो गई पुरी बस्ती
खुशहाली में कहर बरसा ऐसे
गुमशुदा हो गये रास्ते
हकीकत से डर लगने लगा है अब
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भुल जाते है लोग जिसकी तलाश में हैं
कहीं नहीं सब यही रहे जाते हैं
क्या भरोसा है जिंदगी का
कि एक खुबसूरत लम्हो को
जिने के लिए, वजह की तलाश कर जाते है
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चलते रहो कल किसने देखा है
आज की सोचो नसीबों को संवरते किसने देखा है
लाखों में कुछ मिल भी जाए ,भाग्य को पलटते किसने देखा है-
बहुत सुन्दर होता था वो दृश्य
जब तुम मेरे माथे पर चुम्बन करते थे
पर अब न जाने क्यों,
सब आंखों से ओझल हो गया है
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कोई सीमा नहीं होती
उम्र बढ़ने लगते हैं
तजुर्बा भी
ज्ञान की परीभाषा
क्षण भर की नहीं बल्कि सीमाओं को पार कर देतीहै-
हर चेहरे के पीछे एक सवाल होते है
हर सवाल का एक जवाब होते है
पर जब तक जवाब मिलते हैं
तब तक चेहरे बदल जाते हैं
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अक्सर ये मुहब्बत में हो जाती हैं गलतियां
दिल में कुछ और होता है जुबां में कुछ और
तुमसे कहते हुए डर लगता है मुझे
मुहब्बत की कसतियो में खो न दूं तुम्हें-