Ramesh Kumar Srivastava  
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Joined 3 August 2017


Joined 3 August 2017
24 DEC 2021 AT 23:09

आज फिर जीने की तमन्ना है।
आज फिर मरने का इरादा है।।

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24 SEP 2021 AT 21:06

ज़िम्मेदारी को रख कर परे, सिर्फ बस्ते का बोझ उठाना चाहता हूँ..
एक बार फिर से उसी बेंच पर अपने दस्तख़त करना चाहता हूँ..

हर दिन का अलग टाइम टेबल बनाना चाहता हूँ
एक ज़िद की है दिल ने कि फिर से स्कूल जाना चाहता हूँ

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23 SEP 2021 AT 19:53

मुझे दुनियाँ उदास दिखी,

आईना देख रहा था मैं।

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23 SEP 2021 AT 18:52

हँसते तो सभी हैं। लेकिन जब मैं स्वयं पर हँसता हूँ तो मेरा अपना बोझ हल्का हो जाता है।

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23 SEP 2017 AT 10:09

कभी किसी अनजान व्यक्ति को सड़क पार करने में
मदद करके तो देखिए, कितनी अनजानी और बेशुमार
खुशी मिलती है।इस अनजाने रिश्ते मे- - - -

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23 SEP 2017 AT 9:37

रिश्तों को बेनकाब होने से पहले सहेज
लीजिए, क्योंकि वक़्त रिस्तों की अच्छाई
या बुराई को बेनकाब जरूर करता ह।

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23 SEP 2017 AT 9:30

रिश्तों की मर्यादा बनाये रखिये,
रिश्तों को तोड़ने में नहीं जोड़ने
मैं विस्वास रखिए, रिश्ते अमूल्य हैं।

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6 SEP 2017 AT 19:48

हम अपने जज़्बात को तो दिल से महसूस करते हैं, परंतु दूसरे के जज़्बात को दिमाग़ से महसूस करतें हैं।

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16 AUG 2017 AT 1:06

रोज़ रोज़ गिर कर मुकम्मल खड़ी हूँ,
ज़िन्दगी देख मै तुझसे कितनी बड़ी हूँ..।।🙄

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14 AUG 2017 AT 22:54

ख्वाहिशों के क़ाफ़िले भी कितने अजीब होते हैं
हमेशा वहीं से गुजरते हैं जहाँ रास्ता नही होता

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