आज फिर जीने की तमन्ना है।
आज फिर मरने का इरादा है।।-
ज़िम्मेदारी को रख कर परे, सिर्फ बस्ते का बोझ उठाना चाहता हूँ..
एक बार फिर से उसी बेंच पर अपने दस्तख़त करना चाहता हूँ..
हर दिन का अलग टाइम टेबल बनाना चाहता हूँ
एक ज़िद की है दिल ने कि फिर से स्कूल जाना चाहता हूँ-
हँसते तो सभी हैं। लेकिन जब मैं स्वयं पर हँसता हूँ तो मेरा अपना बोझ हल्का हो जाता है।
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कभी किसी अनजान व्यक्ति को सड़क पार करने में
मदद करके तो देखिए, कितनी अनजानी और बेशुमार
खुशी मिलती है।इस अनजाने रिश्ते मे- - - --
रिश्तों को बेनकाब होने से पहले सहेज
लीजिए, क्योंकि वक़्त रिस्तों की अच्छाई
या बुराई को बेनकाब जरूर करता ह।-
रिश्तों की मर्यादा बनाये रखिये,
रिश्तों को तोड़ने में नहीं जोड़ने
मैं विस्वास रखिए, रिश्ते अमूल्य हैं।-
हम अपने जज़्बात को तो दिल से महसूस करते हैं, परंतु दूसरे के जज़्बात को दिमाग़ से महसूस करतें हैं।
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रोज़ रोज़ गिर कर मुकम्मल खड़ी हूँ,
ज़िन्दगी देख मै तुझसे कितनी बड़ी हूँ..।।🙄-
ख्वाहिशों के क़ाफ़िले भी कितने अजीब होते हैं
हमेशा वहीं से गुजरते हैं जहाँ रास्ता नही होता-