गर हिम्मत अपनी जो रहती है।
हम कामयाब हैं,
हम कामयाब हैं।
हम हैं अपनी जगह सही बस झुकें नहीं।
मेहनत यूँ ही बरकरार हो बस रुकें नहीं।।
जो रातें अंखियां जगी रहती है
हार जीत लगी रहती है...
गर हिम्मत अपनी जो रहती है।
हम कामयाब हैं,
हम कामयाब हैं।-
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आयो महिनो जेठ रो, गरजण लाग्यो मेह ।
लौट गांव न आवज्यो, आयां बढसी नेह ।1।
गरजे मोटी बादळी, बरसे मुसळाधार ।
हरियाळी आज्यावसी, मौज महीना च्यार ।2।
सूड़ काटस्यां खेत म, लेणु हाथ गंडास ।
चौमास मं करां पसिनु, खास्यां बारा मास ।3।
साजण म्हारे देश मं, चौमासा रो दौर ।
खेतां बीजां बाजरी, बोले चातक मोर ।4।
चोखो उगियो बाजरो, चोखा मूंग गवार ।
चौपाया रो घास घणु, खावे पूंछ हिलार ।5।-
जो अच्छा लगे लिख देता हूँ,
जो बुरा लगे लिख देता हूँ।
क्या कहना.. सुनना इस बहरे जमाने से,
जो दिल में हो... पन्नों पे लिख देता हूँ।।
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कि मैं समझदार बना रहा।
तू रूठती जा रही,
मैं फिर भी तुझको मना रहा।।-
तुम न आये तो क्या हुआ,
मुझे इंतजार रहेगा ही।
तुम सब भूले तो क्या हुआ,
पल-पल यादगार रहेगा ही।।-
कई दिनों से देखी राहें, आ गया है ये सावन।
कावड़ लाने को भोले, आतुर है ये मेरा मन।।
🚩🙏🏻🚩-
सारो भरोसे राम क,
खेती या इंसान।
टिड्डी खावे खेती न,
कोरोना ले जान।-
कर तो सकते हैं गर ठान लें,
किया नहीं है फिर भी, करें क्या ।
बांधें मुठ्ठी साहस की, मजबूत करें,
आशाओं को दिल में भरलें, भरें क्या।
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है खुद से बिछड़ना,
मेरी आदत रही है अपने में रहना।
जब कोई न सुने इस बहरे जमाने में,
तो खुद ही सुनना व खुद से कहना।।-