Ramanuj Rj   (Ramanuj_Rj)
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Joined 7 March 2017


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7 JUL 2023 AT 1:31

बेवजह चाय को मशहूर किया हमनें..
जगाने के लिए "आईना" काफी है ....

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4 JUL 2023 AT 13:13

मैं तुम्हे अपने जीवन के हर कोने दिखाऊंगा,
बस एक शर्त है .... मेरी नज़र से देखना ।

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20 DEC 2019 AT 3:40

मेरी हर शायरी जो तुम्हे देख कर बनाता हूँ
बस एक तुम्हे छोड़कर सारे जहां को सुनाता हूँ

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7 MAR 2017 AT 10:21

मैं हँसता हूँ ,मुस्कुराता हूँ
पर सीने में दबी 'एक आह्' रखता हूँ ।
लड़खड़ाता हूँ ज़मीं पे पैर रखने को
मगर 'आसमां' को छूने की 'चाह' रखता हूँ ।

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17 NOV 2020 AT 16:31

झंझटों से परेशां , रो रहा था मैं ।
था वजूद की तलाश में ; खो रहा था मैं ।
बटी थी किस्मत एक रात , पिटारों भरके
अफसोस !! उस रात सो रहा था मैं ।

-- Ramanuj_Rj

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21 JUN 2020 AT 12:33

अभिनय कहीं खो सा गया था वो तमाशों का दौर था
वही छा रहा था पर्दे पर जो असल मे कोई और था ।

था हुनर का वो धनी,भौतिकी का ज्ञान था
दरियादिल सर्वोच्च गुण तो क्या सिकंदर महान था?

 कौन भाईजान,कौन किंगखान सब ने ये कसम खाई थी।
 कौरवो के बीच फंसे अभिमन्यु की शामत आई थी ।

हो चोपड़ा या हो करन ,कब्र मिलके खोदी थी
खुली आँखों, देखकर भी , कइयों ने आंखे मूंदी थी

सब फिसलता जा रहा था उसके काबिल हाथों से
मिलनेको तरसे उसका मन,कोई हल तो निकले बातो से

है जाल ये जंजाल ये ,मायानगर है मेरी जां
इंसान हैं पैसों तले , आंखों में सजीं महज़ अशर्फियाँ

टूट चुका था मैं जब लिखा पत्रकारों ने
सुना कोई सबूत न छोड़ा तेरे उन हत्यारों ने।

सीख दी उसने यही, इंसानियत ज़िंदा नहीं
 
इंसां को परखो मेरी जां, स्टारडम एक भ्रांत है
काया मरी है गम नही, तेरे दिल मे ज़िंदा शुशांत है ।

जैसे उगने को तैयार अंकुर मिट्टी में कहीं खो गया
दिलों में बसने वाला सुशी..
फंदा झूले सो गया
फंदा झूले सो गया...
                           
- RAMANUJ_RJ

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21 JUN 2020 AT 12:08

अभिनय कहीं खो सा गया था वो तमाशों का दौर था
वही छा रहा था पर्दे पर जो असल मे कोई और था ।

था हुनर का वो धनी,भौतिकी का ज्ञान था
दरियादिल सर्वोच्च गुण तो क्या सिकंदर महान था?

कौन भाईजान,कौन किंगखान सब ने ये कसम खाई थी।
कौरवो के बीच फंसे अभिमन्यु की शामत आई थी ।

हो चोपड़ा या हो करन ,कब्र मिलके खोदी थी
खुली आँखों, देखकर भी , कइयों ने आंखे मूंदी थी

सब फिसलता जा रहा था उसके काबिल हाथों से
मिलनेको तरसे उसका मन,कोई हल तो निकले बातो से

है जाल ये जंजाल ये ,मायानगर है मेरी जां
इंसान हैं पैसों तले , आंखों में सजीं महज़ अशर्फियाँ

टूट चुका था मैं जब लिखा पत्रकारों ने
सुना कोई सबूत न छोड़ा तेरे उन हत्यारों ने।

सीख दी उसने यही, इंसानियत ज़िंदा नहीं
 
इंसां को परखो मेरी जां, स्टारडम एक भ्रांत है
काया मरी है गम नही, तेरे दिल मे ज़िंदा शुशांत है ।

जैसे उगने को तैयार अंकुर मिट्टी में कहीं खो गया

दिलों में बसने वाला 'सुशी' फंदा झूले सो गया

फंदा झूले सो गया...

-- Ramanuj_Rj

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19 APR 2020 AT 14:09

धुंधली लगती अब तस्वीरें , धुंधले से दिखते आईने
जैसे रिश्ते कायम हों अब भी, बस बदल गए हों मायने।

-Ramanuj_Rj

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10 MAR 2020 AT 3:27

कई रंगों ने रंगा है, इस रंगीले "जीवन" को
कोई रंगछलके पानी संग,कुछ रंग हल्के ''लाली" रंग
सुंदर रंग गेहरे हों जैसे सुरमा रंग दे "नयन" को
कई रंगों ने रंगा है इस रँगीले "जीवन" को ...

संग रंगने वाले 'हज़ार' मिले
पर कम ही मिले जिनसे 'प्यार' मिले
कुछ रंग न टिके नज़रों तक
कुछ रंगके गए "ज़ेहेन" को
कई रंगों नें रंगा है इस रँगीले "जीवन" को ...

रंगों की अहमियत जान लो तुम
रंगत कितनी? पहचान लो तुम
कुछ रंग उड़ जाते कपड़ों से
कुछ रंग न छोड़ें "तन" को
कई रंगों नें रँगा है इस रँगीले "जीवन" को ...
-Ramanuj_Rj

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22 DEC 2019 AT 19:35

is open for all
.
.
.
except me

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