ये जो तुम फूलो को तोड़ तोड़ के मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे में चढ़ाते हो,
आख़िर साबित क्या करना चाहते हो,
अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए एक नया पाप कर जाते हो,
वहाँ की दनपेटीयो में बड़े शौक़ से पैसे पाते हो,
लेकिन किसी ग़रीब को एक पैसा दान करने से भी कतराते हो,
आख़िर ऐसा करते साबित क्या करना चाहते हो,
चाहे इंसान अमीर हो या ग़रीब,
हर इंसान में भगवान होता हैं,
ये बात क्यूँ तुम नहीं समझ पाते हो,
पथरो को ख़ुश करने के लिए,
तुम इंसानो के अंदर छुपे भगवान को ख़फ़ा कर जाते हो।
- Raman