अपने उसूलों से कभी दगा नहीं करूँगा,
इंसानियत को कभी शर्मिंदा नहीं करूँगा,
सारी ज़िंदगी फ़क़ीरी में हंस के गुज़ार दूँगा,
लेकिन ईमान अपने का कभी सौदा नहीं करूँगा,
मुद्दतों से परेशान रहा हूँ अपने हालातों से,
फ़ैसला है, अब मैं कोई शिकवा नहीं करूँगा,
चाहे कितनी भी मुश्किलें लाए रब राहों में,
लेकिन मैं कभी उससे कोई गिला नहीं करूँगा,
भुला दूँगा बीतें हुए उस वक़्त को मैं अब,
उन लम्हों में ज़िंदगी मैं अब ढूँढा नहीं करूँगा,
मोहब्बत तो आज भी ज़िंदा है मुझमें कहीं,
पर अब उसे बाहर कभी लाया नहीं करूँगा,
मैं भी अब ज़िंदगी में ख़ुशियाँ मनाऊँगा,
आगे बढ़ने से ख़ुद को रोका नहीं करूँगा,
हाँ, लेकिन एक बात तो तह है अब,
आँखें मूंद अब किसी पर भरोसा नहीं करूँगा,
माफ़ कर दूँगा हर ज़ख़्म देने वाले शख़्स को,
करके पलट वार, दामन अपना मैला नहीं करूँगा,
पलट के जवाब देना मुझे भी आता है, लेकिन ऐसा कर,
मैं अपने माँ-बाप के दिए संस्कारों को रूसवा नहीं करूँगा,
हाँ, लेकिन गर किसी ने दिल दुखाया ‘रमन’ मेरे अपनों का,
तो मत सोच लेना, ख़ुद कर्मा बन उसका फ़ैसला नहीं करूँगा।
-Raman
- Raman