यूँ तो दिल मुस्कुराता बहुत है
जमाने के ग़म का मारा बहुत हैं।
मालूम है कि यह बहुत बुरी शय है
ख़ैर, जीने को शराब का सहारा बहुत है।
हम अपने अहद में मारे थे ,सो चुप रहे,
वरना मोहब्बत जताने को ठिकाने बहुत है।
यूँ नही कि ,मैं बस पागल हो गया
दिल ने किया तेरा इंतज़ार बहुत है ।
देख मुझ ,उसे तंज करती है , सहेलिया उसकी
तेरा आशिक तो आवारा बहुत है ।
गला यूँ ही छिला नही कैश का ,
गली गली ,"लैला लैला' पुकारा बहुत है।
ये नहीं मैं , तेरी बातें नहीं मानता
दिल लूटने को जान तेरा इशारा बहुत है।
नहीं मेरी कैफ़ियत यूँ तो मुनाफ़िक़ों सी
जानता हूँ, दिल के सौदे में नींदों का खसरा बहुत है।
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