Raman Ganga   (RAMAN MUNTASHIR)
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Joined 6 March 2018


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26 NOV 2021 AT 8:57

जब जब धूप बढ़ने लगेगी
छाओ की कमी खलने लगेंगी।

ज़रा थप थपा देगा कोई उस का कंधा
वो पागल इस बात पर भी रो पड़ेंगी ।

मोहब्बत में मना किया जिन जिन कामों को
हिज्र में वो वही सब किया करेगी।

ऐश ए फ़िराक़ में जो कुछ भी किया
आँख सब मंज़र की दास्तां कहेगी।

कल सुबह है, सुबह ए वस्ल ए यार
मुंतशिर" पर यही रात भारी रहेगी

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31 OCT 2021 AT 16:05

यूँ तो दिल मुस्कुराता बहुत है
जमाने के ग़म का मारा बहुत हैं।

मालूम है कि यह बहुत बुरी शय है
ख़ैर, जीने को शराब का सहारा बहुत है।

हम अपने अहद में मारे थे ,सो चुप रहे,
वरना मोहब्बत जताने को ठिकाने बहुत है।

यूँ नही कि ,मैं बस पागल हो गया
दिल ने किया तेरा इंतज़ार बहुत है ।

देख मुझ ,उसे तंज करती है , सहेलिया उसकी
तेरा आशिक तो आवारा बहुत है ।

गला यूँ ही छिला नही कैश का ,
गली गली ,"लैला लैला' पुकारा बहुत है।

ये नहीं मैं , तेरी बातें नहीं मानता
दिल लूटने को जान तेरा इशारा बहुत है।

नहीं मेरी कैफ़ियत यूँ तो मुनाफ़िक़ों सी
जानता हूँ, दिल के सौदे में नींदों का खसरा बहुत है।

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30 MAR 2021 AT 17:52

बिना कहे सुने फैसला सुनाया है उसने
हम इंकार से पहले आजमाए जाते तो अच्छा था

उसने कहा "तुम में वो बात नहीं '
हम में क्या बात नही, बताये जाते तो अच्छा था

यार अबके भी उसका बस मैसेज आया
वो ख़ुद मिलने आते तो अच्छा था ।

उसने हवा में हाथ लहरा के "अलविदा' कहा
यार आखिरी बार गले लगाए जाते तो अच्छा था ।

किसी काम तो आता हमे ये आशिक़ी का हुनर
दिल को वो और दुखाए जाते तो अच्छा था ।

"मुंतशिर ' जो कुछ भी लिखा सब उसके लिए ,
ये शेर उसे भी सुनाए जाता तो अच्छा था ।

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23 JAN 2021 AT 15:08

इश्क में मरना वरना नहीं होता
इश्क में बस मरना जाना होता है ।

वो इस लिए भी याद रखता है, मेरी सालगिराह
उस तो बस तो तोहफ़ा भिजवाना होता है ।

धीमे से मै रखा देता हूं , उस के कंधे पर हाथ
जब भी उसे मुझे गले लगाना होता है ।

सब है आज रात फोन पे बात नहीं होगी ,
मालूम है , उसका ये भी इक बहाना होता है।

अक्सर मै उसके सामने चुप हो के बैठ जाता हूं
झगड़ा मुझे जब भी सुलझाना होता है ।

उसे मेरा ख्याल तक नहीं आता ' मुंताशिर"
जब भी लौट के वापिस आना होता है ।



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23 JAN 2021 AT 14:51

इश्क में मरना वरना नहीं होता हैं
इश्क मे बस मर जाना होता हैं ।

कैसे कैसे रखूंगा , उसका ख्याल मै
मुझे ये भी उसे बताना होता हैं ।

किस से कहें उसके हुस्न के किस्से इस शहर में
इस शहर में हर कोई उसका दीवाना होता हैं ।

जिस दिन मुझे उससे मिलने जाना हो
उस दिन मुझे अक्सर देर तक सोना होता है ।

जिसका दर्द ताजा और निशां गहरा हो
वो इक ज़ख़्म बे हद पुराना होता है ।

ख़ुद तो दुरूस्त हो के जाया करो ,,
जब भी मरीज़ से मिलने जाना होता है ।

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21 JAN 2021 AT 0:43

हालात ये हैं ,अब हम आजाद है
बरसों इक पिंजरे में क़ैद रहे।
पंछी की मानिद,
पिंजरा भी वो जिसका खोफ़ रगों में है
पिंजरा दूसरो की नज़रों का
उनकी सोच का
उम्मीद का
इस पिंजरे ने हमारे खाब खा लिए
आंखों की बंजर जमीन मे
कुछ नक्स बोए
कि क्या देखे, क्या करें ,
कहां जाए, किस से मिले ,
यही एक सवाल ...
कि आख़िर हमारी ज़िंदगी मे
हमारे मायने क्या है
जवाब कुछ नहीं
जहन मे इक खोफ,
किस -किस , नज़र से तराशते रहे , ख़ुद को
कभी ख़ुद हमे, अपनी जरूरत पड सकती हैं ।

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29 DEC 2020 AT 8:27

रास्ते जैसे भी हो चले आते है,
कमरे से मीलो का सफर कर के आते है ।

क्या ही दोस्त कहे, अब इन दोस्तों को
जो तेरी याद दिलाते हैं,पर शराब नही पिलाते है।

इतनी जल्दी हम उनसे बिछड़े अलग हुए
जितनी जल्दी बसों के किराए बढ़ जाते है।

अब इन किताबों से कुछ हासिल नही हमे
तजुर्बे करके अब दिल बहलाए जाते है ।

उसे मैं पसंद भी नही आता ,आखिर ना जाने क्यूँ
हम अब वैसे नज़र आते हैं , जैसे उसे भाते है ।



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19 DEC 2020 AT 17:36

रातों को चोंक के उठते है , कमरे से निकल आते है
ये क्या सितम की , खुद से नही निकल पाते है ।

तेरे शहर के लोग भी, maths के सवालों से है ,मियां

ना इनका कोई हल निकलता है ,ना ये समझ मे आते है

छत पे क्या आई वो हसीना , के उसे देखने को
सब मोम के बुत, धूप में भीगे भीगे से आते है।

उसके घर का रास्ता बड़ा सीधा है , मालिक
उसके शहर के रास्ते मे बड़े मोड़ आते है ।

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17 DEC 2020 AT 21:12

देखा था, हमने एक गुल को तपती रेत में
सो उसके लिए फिर शज़र हो हम

तुझ तक आते -आते सफ़र हो गए हम
बहुत थोड़े बचे ज्यादा खर्च हो गए हम ।

इक शाम देखा , इक ग़म को ठिठुरते हुए ,
बैठे उसके पास, उसका घर हो गए हम ।

रखने जज़्बात के जंगलों को हरा ,ख़ुद
अपने घर के अंधेरों में बसर हो गए हम।

किया सब मे मन मुताबिक इस्तेमाल हमे
खुद के लिए कही बे -असर हो गए हम ।

छलका उसके आँख से मेरे ग़म
सो मुद्दतो के लिए तर हो गए हम।

जान ले वो अंजाम पहली मोहब्बत का
सब के लिए ऐसी एक ख़बर हो गए हम ।

अव्वल आने का शौक़ था हमे
ज़िन्दगी के इम्तिहान में सिफर हो गए हम।

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12 DEC 2020 AT 0:01

हम वो ,जिसने तमाम उम्र
तलाश -ए- मोहब्बत में गुजारी,
पर मोहब्बत मिली नहीं ?

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