बेहिसाब चाही गयी चीजें
छिटकती बहुत हैं !
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Quotes Creator / Writer / Thinker
काम में मशग़ूल रहना ही,
क्या अब जिंदगी हो गयी
माँ कह रही है कि बेटा
त्योहार पर भी
घर नहीं आ रहा ?
क्या तुझ पर ही जिम्मेवारी
इतनी बड़ी हो गयी ?
कैसे समझाऊँ "माँ"🥰 को
कि Diwali से ज्यादा,
अबकी बार इलेक्शन ड्यूटी
जरूरी हो गयी !!!-
मुझे चाय का शौक न था
बस यूँ ही फरमाइस कर दी
मुझे, उससे मिलना था
इसलिए दिल ने गुजारिश कर दी
ओऱ मेरे पास उससे मिलने का
कोई ओऱ बहाना भी तो न था
उसके साथ, उसके पास बैठकर
बहुत सी बातें और एक लम्हा
जीना था उसे एकटक देखकर
लेकिन आज भी उसका ना ही था
चायपति खत्म होना तो बहाना था
उसे मर्यादाओं में रहना
अच्छा लगता है, मैं मानता हूँ
मैं भी तो सीधे घर का हूँ जनाब
अपनी सारी हदें जानता हूँ
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लोकतंत्र अधिकारों का मान तुमको रखना है,
वोट की ताकत को आज हमें परखना है,
चाहे तुम चुनाव किसी का भी करना,
पर मतदान हर-हाल में करना !
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बेनाम होने के चाहत में,
नदी वजूद मिटाती है,
नदीश में खोकर।
फ़िर हम क्यों नामजद हो,
हमें भी गुजरना है,
तुझसे होकर ।।-
बेनाम ख्वाहिशें, बेनाम मंजिले ,
बेनाम रास्ते, बेख़ौफ मुसाफिर,
बेनाम गीत, बेनाम संगीत
बेनाम शोर, बेख़बर मुसाफिर,
इस बेनाम सफर में
बेनाम इंतजार, बेनाम इजहार
और सिर्फ एक बेख़ौफ हमारी धुन!
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बेनाम ख्वाहिशें, बेनाम मंजिले ,
बेनाम रास्ते, बेख़ौफ मुसाफिर,
बेनाम गीत, बेनाम संगीत
बेनाम शोर, बेख़बर मुसाफिर,
इस बेनाम सफर में
बेनाम इंतजार, बेनाम इजहार
और सिर्फ एक बेख़ौफ हमारी धुन!
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नाम रखकर भी पहचान बना नहीं पाए
राह चुनकर भी मंजिल को छू नहीं पाए
उजालों में भी दूर तलक देख नहीं पाए
तो क्यों ना एक बार,
बिना चुने रास्तों से, मंजिल को खोजा जाए
अँधेरों को चीरकर, सितारों तक ताका जाए
हाँ बेनाम होकर कुछ नाम जैसा किया जाए-
ख्वाहिशों के बोझ में बशर ,
तू क्या क्या कर रहा है,
इतना तो तुझे जीना भी नहीं ,
जितना तू रोज मर रहा है !
- बशर-
वह पथ क्या, पथिक कुशलता क्या,
जिस पथ पर बिखरे शूल न हों,
नाविक की धैर्य परीक्षा क्या,
जब धाराएं प्रतिकूल न हों !
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