काम में मशग़ूल रहना ही, क्या अब जिंदगी हो गयी माँ कह रही है कि बेटा त्योहार पर भी घर नहीं आ रहा ? क्या तुझ पर ही जिम्मेवारी इतनी बड़ी हो गयी ? कैसे समझाऊँ "माँ"🥰 को कि Diwali से ज्यादा, अबकी बार इलेक्शन ड्यूटी जरूरी हो गयी !!!
मुझे चाय का शौक न था बस यूँ ही फरमाइस कर दी मुझे, उससे मिलना था इसलिए दिल ने गुजारिश कर दी ओऱ मेरे पास उससे मिलने का कोई ओऱ बहाना भी तो न था
उसके साथ, उसके पास बैठकर बहुत सी बातें और एक लम्हा जीना था उसे एकटक देखकर
लेकिन आज भी उसका ना ही था चायपति खत्म होना तो बहाना था उसे मर्यादाओं में रहना अच्छा लगता है, मैं मानता हूँ मैं भी तो सीधे घर का हूँ जनाब अपनी सारी हदें जानता हूँ
नाम रखकर भी पहचान बना नहीं पाए राह चुनकर भी मंजिल को छू नहीं पाए उजालों में भी दूर तलक देख नहीं पाए तो क्यों ना एक बार, बिना चुने रास्तों से, मंजिल को खोजा जाए अँधेरों को चीरकर, सितारों तक ताका जाए हाँ बेनाम होकर कुछ नाम जैसा किया जाए