दुनिया को ज़रूरत है नामुरादों की ।
यहाँ शरीफों के तरफ़दार नही होते ।-
वो प्यार भला क्या प्यार हुआ जिसमें कोई एहसास न हो
वो बन्धन भी क्या बन्धन है,,, जिसमे कोई भी पास न हो
ऐसे मिलने से अच्छा है ये,,, तुम वहाँ रहो हम यहाँ रहे ।
जाना इतना तो होगा की कहीं आश रहे कहीं प्यास रहे।
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हमारे चाहने वालो ने,,,हमे ही तोड़ दिया ।
चाँद से राब्ता रखना,,, हमी ने छोड़ दिया ।
दीदार करते न थकती थी कभी जो आंखे ।
आज उस आरजू से हमी ने मुँह मोड़ दिया ।
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दिल मे चाहत मेरी जुबाँ पे तंज लिए फिरता है ।
मेरा तलबगार ही,,,, मुझसे बैर किये फिरता है ।
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खुद के लिए खुदा को भी ठगता है आदमी
क्या सच कहेगा पावनी के जल मे आदमी
गिरगिट से भी तेज रंग बदलता है आदमी
लेता पलट नकाब है. महफ़िल मे आदमी-
अब क्या बताऊँ जनाब,,रिश्तों की अकड़।
मेरी जेब क्या फ़टी ,,,,सब गिरते चले गए ।
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यूँ तो इन आँखों मे तेरे नाम का नशा आज भी हैं ।
तू न मिला तो क्या तेरे नाम से मशहूर आज भी हैं ।-