उम्मीदों के चिराग़ हैं,
जलते रहें तो अच्छा है।
मातम मनाने के लिए तो,
सारी उम्र पड़ी है।-
Ram Niwas Anuj
(राम निवास अनुज)
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◆शायर-कवि-गीतकार◆
Joined 5 July 2019
21 AUG AT 8:02
21 AUG AT 7:47
वो मेरे शहर में आए,
और बिन मिले लौट गए।
ये कैसी दोस्ती थी,
जो उनसे निभाई न गई।-
17 AUG AT 15:32
उसे बस ज़िस्म और,
दौलत की ख़्वाहिश रही।
मैं ही अहमक़ था,
जो उसके इश्क़ में डूबा रहा।-
14 AUG AT 10:22
एक अज़ीब सी सनक में,
ज़िंदगी गुज़र गई।
औरों को संवारते रहे,
ख़ुद बिखर गए।-