Ram Niwas Anuj   (राम निवास अनुज)
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◆शायर-कवि-गीतकार◆
Joined 5 July 2019


◆शायर-कवि-गीतकार◆
Joined 5 July 2019
21 AUG AT 8:02

उम्मीदों के चिराग़ हैं,
जलते रहें तो अच्छा है।
मातम मनाने के लिए तो,
सारी उम्र पड़ी है।

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21 AUG AT 7:47

वो मेरे शहर में आए,
और बिन मिले लौट गए।
ये कैसी दोस्ती थी,
जो उनसे निभाई न गई।

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17 AUG AT 17:03

मैं ग़र उम्रदराज़ हूँ,
तो फिर हूँ।
हमेशा जवां,
तो तुम भी न रहोगे।

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17 AUG AT 15:32

उसे बस ज़िस्म और,
दौलत की ख़्वाहिश रही।
मैं ही अहमक़ था,
जो उसके इश्क़ में डूबा रहा।

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17 AUG AT 15:23

अब तो मर ही जाएं,
तो अच्छा है।
ज़माना ऐसा भी होगा,
सोचा न था।

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17 AUG AT 9:42

मैं उसे अपना ही,
समझता रहा।
वो थे कि,
किसी और के हो गए।

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14 AUG AT 10:22

एक अज़ीब सी सनक में,
ज़िंदगी गुज़र गई।
औरों को संवारते रहे,
ख़ुद बिखर गए।

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12 AUG AT 12:50

नशा कोई भी हो!!
दौलत का, जवानी का, शराब का...
उतरता जरूर है।

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12 AUG AT 12:08

आख़िर!!
कितना झुकोगे 'अनुज'?
तुम मर भी जाओ,
तो ज़माने को फ़र्क नहीं।

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8 AUG AT 13:22

वो मेरी,
बेचैनी का सबब बनकर,
चैन से,
किसी और की बाँहों में है।

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