"धन और स्वास्थ्य "
के अभाव में
जीता हुआ मनुष्य
मृत्यु प्राय के समान है-
" दरिद्रता "
मनुष्य के जीवन का वह दुख है
जिसके रहते हुए मनुष्य कभी भी
स्वाभिमान के साथ नहीं जी सकता है-
नहीं बात जन का तजुर्बा हमारे
तेरे महफ़िल में आना- जाना लगा है
जरा हमको बत्ता से महफूज़ कर दो
रजा सीख लेंगे सनम धीरे -धीरे-
किसी से संबधों को तोड़ने का
सबसे बेहतरीन तरीका है कि
धीरे - धीरे बातचीत कम कर दी जाए-
मेरी गरीबी का ख़याल नहीं उन्हें
वो जलसों में इजलास फिरा करते हैं
तकदीर को तमाशा बना दिया
जालिम ने इस कदर
हम आजकल मजबूरन यतीम बने फिरते हैं-
न चांद काम आयेगा, न सितारे काम आयेंगे
न महबूब की गलियों के गुल़जारे काम आयेंगे,
किताबों से तकल्लुफ़ हो करके
इश्क़ का शमां बांधो
बन जाओ तुम महबूब वो तेरी बने महबूबा
गर्दिशों के दिनों में यही इक काम आयेंगे,
कौन किसका है जहाँ में ढूंढ कर देखो
बिगडी़ हुई हालात की लाचारियों देखो
सात फेरों से बंधे भी बंधन टूट जाएंगे,-
संसार का सबसे सुंदर और श्रेष्ठ व्यक्ति वह है
जिसके द्वारा मेरी आत्मा को
कभी दुख का अनुभव न हुआ हो-
सम्मान व्यक्ति का नहीं ,
समय और परिस्थितियों का होता है
लोग अज्ञानवश उसे अपना समझ लेते हैं-
इस अस्थिर संसार में स्थिरता कहाँ है
यहाँ सब कुछ बदलने वाला
समय बदलेगा साथ- साथ लोग बदलेंगे-