तुम चुनौतियां निपटाना
जीवन का ये गीत
तुम बार बार गाना
पहले चुनौतियां निपटाना
फिर तुम चू*यों पर आना
वे बेवजह मुंह फुलाए
तुम उनको न 'मानना'
पहले चुनौतियां निपटाना
फिर तुम चू*यों पर आना
वे बेकार सी अफवा उड़ाए
तुम 'उलझाने' न जाना
पहले चुनौतियां निपटाना
फिर तुम चू*यों पर आना
किसकी बेतुकी बात पर
तुम 'गुस्सा' मत हो जाना
पहले चुनौतियां निपटाना
फिर तुम चू*यों पर आना
चुनौतियों के आगे ही
है मंजिल का ठिकाना
बस चुनौतियां निपटाना
चू*यों तक मत ही जाना-
4 Laws of Giving & Recieving
a) The more you CONSUME, the less capable you will become to CREATE.
~infact the very creation depends on the intention of the consumer
i.e. whether consuming for construction in space or destruction of time.
b) The more you CRAVE for anything, the less capable you will become
to CARVE out the best version of yourself.
~giving excessive attention to anything will obviously shift your
focus on yourself.
c) The more you CHASE, the less you will be CHOSEN by the world.
~when you run for something, the universe knows you will
eventually get it, so everything else is stopped to come your
way to help you not lose focus.
d) The more you are into mental CHAOS (doubt&worry), the less
you will be able to Channelise your manifestations.
~Shaping of reality is fueled by willpower (clarity&consistency).-
I understand:
1. Life is unfair.
2. Earth is a prison.
3. Consciousness is trapped inside the body.
4. People sucks.
5. Things left unattended go dirty & degrade.
6. Negetive thoughts keep popping up in mind.
But The BRIGHTER side is:
WE AT WILL can
Observe, Evaluate, Identify, Un-unite ourselves
from what we don't associate with.
WE AT WILL can
change our perception to mould our reality.
if not in seconds, hours or days, then definitely in weeks, months & years.-
मन की सब ख्वाइशें, सच्ची मगर तेरी चाहत ही नहीं
सपने है बस, आखों में जीत की जगमगाहट ही नहीं।
कामयाबी वाली तेरे चेहरे पर तो मुस्कुराहट ही नहीं
सब अड़चन अंदर है, बाहर तो कोई रुकावट ही नहीं।-
मैं ईश्वर हूं या वो मुझमें कहीं, बहुत गहरा ये राज़ हो गया।
मांगने लगा मैं राजा होकर भी, वो मुझसे नाराज़ हो गया।।
चाहत में मेरी हुनर दिखा, मेरे होने पर मुझे नाज़ हो गया ।
चाहा वो सब मिला, जब यकीन मिलने का आज हो गया।।-
मैंने न यह दुनिया बनाई
और न बनाई कोई बुराई।
मैंने न अपनी काया बनाई
और न मेरी तकदीर बनाई।
मैंने न कहीं भी अर्जी लगाई
और न मेरी मर्जी चल पाई।
जब मेरी मर्जी चल न पाई?
फिर जिम्मेदारी कैसे आई?
~~~~~
पत्ता भी हिलाने हवा चलाई
सूरज में रौशनी तुमसे आई।
रावण ने ताकत तुमसे पाई
मुझे भी ताकत दे दो भाई।।
या घर मेरे तुम आ जाना साईं
आदर पूरा तुम पा जाना साईं।
कुछ भी और न दे जाना साईं
बस बुरा साथ ले जाना साईं।।-
बचपन के सपने, सालों की मेहनत और सभी की तमन्ना भी जब चूर हो जाए और आदमी सालों तक सफल ही न हो पाए तब उसका खुद पर, खुदा पर और उसकी बनाई दुनिया पर विश्वास डगमगाने लगता है ।
फिर एक दिन जब अचानक कामयाबी जीवन में आती है, तब विश्वास नहीं होता और कुछ यह शब्द निकलते है...
मेरा ग़म मुझसे जुदा हो रहा है
वापसी का तेरा इरादा है क्या?
मुझे ये सुकून कैसे आ रहा है
कोई नज़र उतार रहा है क्या?
मन भी कुछ शांत हो रहा है
किसीने इसे समझाया है क्या?
दिल बेहिसाब खुश हो रहा है
आखिरी वक्त नजदीक है क्या?
सब मेरे हक में कैसे हो रहा है
खुली आंखों का सपना है क्या?
उम्मीद बिना अच्छा क्यों हो रहा है
ये मेरी मुस्कुराने की उम्र है क्या?-
बहुत आसान लगेगा
जब कुछ नहीं करके मन भर जाए
और मन से कर्म की चाह आ जाए
कर्म ईश्वर का समझ करने लगना
शुरु करना बहुत आसान लगेगा ।।
जब पग पथ पर चलने लग जाए
और आलस या अड़चन आ जाए
कर्म आत्मा का समझ करने लगना
चलते रहना बहुत आसान लगेगा ।।
जब कभी हार से मिलना हो जाए
और लोगों में बहुत हसी उड़ जाए
अपने बाल मन को याद कर लेना
चलते रहना बहुत आसान लगेगा ।।
जब मन भर सफलता मिल जाए
और कर्म रस भी जाने लग जाए
तुम अगली पीढ़ी को याद कर लेना
चलते रहना बहुत आसान लगेगा ।।
निष्कर्ष फिर क्या निकाला जाए
इन चारों के लिए ही जिया जाए
खुद को-लोगों को भुला ही देना
चलते रहना बहुत आसान लगेगा ।।-
दोष किसी एक का भी नहीं
बस अनजाने में हो जाता है।
तुम हार, शर्म या हानि दोगे
ये डर सबको सता जाता है।
वक्त भले लड़ता ही रहे पर
आखिर इंसान जीत जाता है।
तब मूर्ख, जिद्दी और घमंडी
सबसे समझदार हो जाता है।
और मेहनत, सब्र और हिम्मत
"नसीब अच्छा है' बन जाता है।-