Rakshit Singh   (Rakshit Singh.)
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Sab khali hai
Joined 10 April 2017


Sab khali hai
Joined 10 April 2017
2 APR 2021 AT 22:49

आज मैं पतंग हूँ,
गगन में मैं मगन हूँ।
सूर्य का मैं तेज हूँ,
भय का भी मैं भय हूँ।
कृष्ण का कथन हूँ,
पर्वत से भी प्रबल हूँ।
हार की भी हार हूँ,
भागवत का सार हूँ।
जीत की तलाश हूँ,
केसरी मैं आज हूँ।
आज मैं पतंग हूँ,
आज मैं पतंग हूँ।
राम का वनवास हूँ,
लंकापति का ज्ञान हूँ।
भोले की मैं भांग हूँ,
अग्नि की मैं आग हूँ।
अपने लक्ष्य का गुलाम हूँ,
इसीलिए आज़ाद हूँ।
क्योंकि आज मैं पतंग हूँ,
आज मैं पतंग हूँ।।

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23 MAR 2021 AT 20:49

गुलाम देश का आजाद बाशिंदा था,
गुलामी पर शर्मिंदा था,
तुम्हारी आज़ादी का एक छोटा सा हिस्सा था,
हाँ नाम मेरा भगत सिंह था ।
जला दिया बचपन की बाती को,
इंकलाब का तेल सीच - सीच कर,
ठुकरा दिया कॉलेज, स्कूल और किताबों को,
और चल पड़ा राष्ट्रवाद की रीत पर ।
वेसे चन्द्रशेखर का प्यारा था,
सुखदेव, राजगुरु से याराना था,
हाँ लाला जी का बदला लिया था हमनें,
क्यूंकि वो गोरा उनका हत्यारा था ।
जात - पात और धर्म सब छोड़ दिया था,
बसंती चोला मेने मेने ओढ़ लिया था,
और इंकलाब जिन्दाबाद के नारे लगाते हुए,
अपने आप को देश के नाम सौप दिया था,
और हस्ते - हस्ते फाँसी चढ गया मैं,
क्यूंकि देशप्रेम को मैंने भरपूर जिया था,
तुम भूल गए हों तो बता दूँ,
नाम मेरा भगत सिंह था ।।

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7 AUG 2020 AT 3:36

जब चलती है गोली अंगारों सी,
तब मानती है शहादत भी त्योहारों सी।
वो जाग रहा था सर्दी में,
कुछ गर्मी थी उस वर्दी में,
जो सूरज था वो डूब गया,
तब वर्दी थी चांद की कश्ती मे।
रो-रो कर आँखें सूज गई,
माँ तरसी अपने प्यारे को,
खबर ना आई दीवारों से,
कहा गई वर्दी पूछा हजारों ने।
जब आई खबर दीवारों से,
दीये जल गए सारी मजारो पे।
माँ कहती गर्दिश है केसी यह,
कई टुकड़ों में है वर्दी यह,
कई टुकड़ों में है वर्दी यह।।
- रक्षित सिंह

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6 AUG 2020 AT 17:26

यह देश मेरा बट गया, यह रंगो मे बिखर गया।
कही भगवा जला है मस्जिद मे, तो हरा मंदिर से भी निकल गया।
कुछ पंडितों ने भटकाया है, कुछ मुल्लों ने सिखाया है,गीता कुरान सब एक है, इस बात को झुठलाया है।
राम जी रोने लगे, मुहम्मद भी तणप उठे।
देवगण हैरान है,
यह कैसा राम राज्य है।।
#RamRajya

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25 SEP 2019 AT 18:45

Or kya ye zaroori h ki mukkamal-e-ishq
Hasil ho..
Wafa toh humne tumhari yadon se bhi
Nibhai hai.

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25 SEP 2019 AT 18:27

Aaj phir tumhari yaadon ne dil jalaya
Hai...
Ye kesi bebasi hai meri ek cigarette k
Dhue se tumko bhulaya hai..

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11 OCT 2018 AT 11:52

Sitting on a metal bench,
Buring a cigarette,
Sometimes I think how loyal she
Was.
Was she?

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9 OCT 2018 AT 19:31

When nothing seems to be
permanent,
Start enjoying temporary things
I'm sure you'll make good memories
Which are permanent.

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4 OCT 2018 AT 14:10

Memories,
The biggest hypocrites.
They calm and haunt,
At the Same time

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1 AUG 2018 AT 4:47

I am a blank paper,
She clarified
Can I fill the paper
With emotions dipped in my
Ink.
A wordsmith proclivity.

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