Rakshit Bhatt   (Rakshit)
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जज्बातों को अलफ़ाज़ों मे बयां करता हूँ
Joined 12 February 2018


जज्बातों को अलफ़ाज़ों मे बयां करता हूँ
Joined 12 February 2018
16 JUL AT 13:26

मुझे देते हैं दर्द बस छोटी बातों के खंजर रफ़ीक,
मैं बड़े घावों का मलहम रखता हूं ,
रहता हूं खामोश महफिलों मे अक्सर,
साथ मे अपने बस एक कलम रखता हूं ।

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15 JUL AT 21:58

जमाने को देख कर, खुद को आजमाना पड़ रहा है।
न चाहते हुए भी थोड़ा मुस्कुराना पड़ रहा है ।।

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14 JUL AT 21:39

मैं भी लश्करी हूं अपनी चाहतों का रफ़ीक
मैंने भी अपनी ख्वाइशों की कुर्बानी दी है

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14 JUL AT 20:40

यूं ही नहीं रहा होगा वो शख्स खामोश उस शोर में
कुछ तो दिल -ए- नादान की मजबूरी रही होगी
बहता हुआ दरिया न रोक सका आंखों के बांध से
या खुदा कुछ तो ख्वाइश अधूरी रही होगी

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7 JAN AT 12:38

फ़िज़ाओं मे जो ये सर्द हवाओं का पहरा है
जनवरी को दिसम्बर के जाने का गम गहरा है

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14 DEC 2024 AT 23:04

मैं जो होता अगर शायर कभी
उसकी आंखों को चिराग लिखता,
मैं जो लिखता अगर चांद उसको
खुदा कसम बेदाग लिखता

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9 OCT 2024 AT 19:18

दर बदर भटकता रहा मोहब्बत का जाम पाने को
इश्क के शहर मे ही बैठे थे लोग आजमाने को
जब साकी ने ही छीन लिया जाम मेरा हाथों से
ये वजह कम है क्या दिल का मरीज़ हो जाने को

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11 JUL 2024 AT 22:14

मैं छुपा लेता हूँ गम अपने
अब खुलासा नहीं करता
अब हँस लेता हूँ आदतन
बस तमाशा नहीं करता

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5 JUL 2024 AT 14:53

मैं इश्क़ मे बहुत मतलबी हूँ रफीक
मुझे मेरे महबूब की खुशी चाहिए
मैं हर शख़्स को रुसवा कर दूं
मुझे बस उसके चेहरे पे हँसी चाहिए

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17 JUN 2024 AT 11:17

वो जो सम्भाल नहीं सकता लफ़्ज़ मेरे
कैसे मेरे दिल को सम्भाल पाएगा
बिखरा देगा टुकड़ों को दिल के मेरे
या फिर रुसवाई मे कमाल कर जाएगा

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