Rakshit Bhatt   (Rakshit)
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जज्बातों को अलफ़ाज़ों मे बयां करता हूँ
Joined 12 February 2018


जज्बातों को अलफ़ाज़ों मे बयां करता हूँ
Joined 12 February 2018
7 JAN AT 12:38

फ़िज़ाओं मे जो ये सर्द हवाओं का पहरा है
जनवरी को दिसम्बर के जाने का गम गहरा है

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14 DEC 2024 AT 23:04

मैं जो होता अगर शायर कभी
उसकी आंखों को चिराग लिखता,
मैं जो लिखता अगर चांद उसको
खुदा कसम बेदाग लिखता

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9 OCT 2024 AT 19:18

दर बदर भटकता रहा मोहब्बत का जाम पाने को
इश्क के शहर मे ही बैठे थे लोग आजमाने को
जब साकी ने ही छीन लिया जाम मेरा हाथों से
ये वजह कम है क्या दिल का मरीज़ हो जाने को

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11 JUL 2024 AT 22:14

मैं छुपा लेता हूँ गम अपने
अब खुलासा नहीं करता
अब हँस लेता हूँ आदतन
बस तमाशा नहीं करता

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5 JUL 2024 AT 14:53

मैं इश्क़ मे बहुत मतलबी हूँ रफीक
मुझे मेरे महबूब की खुशी चाहिए
मैं हर शख़्स को रुसवा कर दूं
मुझे बस उसके चेहरे पे हँसी चाहिए

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17 JUN 2024 AT 11:17

वो जो सम्भाल नहीं सकता लफ़्ज़ मेरे
कैसे मेरे दिल को सम्भाल पाएगा
बिखरा देगा टुकड़ों को दिल के मेरे
या फिर रुसवाई मे कमाल कर जाएगा

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16 JUN 2024 AT 21:13

ये जो घूमते है नए आशिक शहरों मे
इनसे कहो मेरी बातों पे शक ना करे
रहना हो जिन्दा अगर जवानी मे
खुदा की कसम कभी इश्क ना करे

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16 JUN 2024 AT 21:00

अगर वो ना समझे खुद को चाँद मेरा
मैं भी उसका आसमान नहीं
उसको नहीं है अगर चाहत इश्क की
हमें भी दिल लगी का अरमान नहीं

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28 MAY 2024 AT 22:20

उलझा हुआ हूँ इस कदर जिंदगी की उलझनों मे
फुर्सत से भी रहने की फुर्सत नहीं है

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6 APR 2024 AT 17:38

मैं लिखूं जो कभी तुझपे शब्द अपने
तुम मेरे जज्बातों की किताब हो जाना,
मैं लिखूं जो नशा इश्क का कभी
तुम मेरी चाहतों की शराब हो जाना l

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