तेरे होने से मुक्कमल हूं मै
साथ तेरे पूरी हूं मै
तुझसे बात ना हो तो परेशान हो जाती हूं
बिन तेरे कहां मैं रह पाती हूं
ऐसा नहीं है.....कि तेरी आदत है
बस तेरे बिना मेरा गुज़ारा नहीं है
तू जो सुन ले तो, मैं पूरी हो जाती हूं
मुश्किलों को अपनी जल्दी सुलझा पाती हूं
वैसे तो मिज़ाज की थोड़ी तीखी हूं
जब कभी तुझ पर गुस्सा भी हो जाती हूं
और फिर तुझसे ख़फ़ा रह भी नहीं पाती हूं
हर बार तुझ पर दिल हार जाती हूं-
Aiimsonian...🤗
Life isn't about finding yourself...
Life is abo... read more
कभी किसी के इंतज़ार को जाया मत करना
कोई करे इंतज़ार तो उसे वक्त अपना दे देना
किसी की आखिरी उम्मीद बन जाना
तो किसी के चेहरे की मुस्कान बन जाना
कोई तो होगा जो तुम्हें चाहता होगा
कोई तो होगा जो तुम पर हक जताता होगा
तुम किसी की मुक्कमल मोहब्बत बन जाना
तो कभी किसी के ज़ीने की तुम वज़ह बन जाना
कोई जब लौटना चाहें तुम्हारे पास
तुम दिल खोल उसका इस्तकबाल करना
पुरानी बातों को तवज्जों ना देना
तुम फिर एक नई शुरुआत करना-
कविताओं का मेरी तू उनवान बन जाना
हां, तू मेरी मोहब्बत का राज़ बन जाना
मेरी नींदों में ख्वाब बन आ जाना
हां, तू मेरे कलम की स्याही बन जाना
तेरे होने से मुकम्मल होती हूं मैं
मेरी डगमगाती ज़िन्दगी की तू लय बन जाना
बिन तेरे सब ख़ाली-ख़ाली लगता हैं
तू मेरे घर का सामान बन जाना
तेरे आने से चहक उठती है गलियां मेरी
तू मेरी गलियों की बहार बन जाना
तेरी सांसों से महकती है अब कविताऐं मेरी
तू मेरे बेसबब इंतज़ार का जवाब बन जाना-
कविताओं का मेरी तू उनवान बन जाना
हां, तू मेरी मोहब्बत का राज़ बन जाना
मेरी नींदों में ख्वाब बन आ जाना
हां, तू मेरे कलम की स्याही बन जाना
तेरे होने से मुकम्मल होती हूं मैं
मेरी डगमगाती ज़िन्दगी की तू लय बन जाना
बिन तेरे सब ख़ाली-ख़ाली लगता हैं
तू मेरे घर का सामान बन जाना
तेरे आने से चहक उठती है गलियां मेरी
तू मेरी गलियों की बहार बन जाना
तेरी सांसों से महकती है अब कविताऐं मेरी
तू मेरे बेसबब इंतज़ार का जवाब बन जाना-
कविताओं का मेरी तू उनवान बन जाना
हां, तू मेरी मोहब्बत का राज़ बन जाना
मेरी नींदों में ख्वाब बन आ जाना
हां, तू मेरे कलम की स्याही बन जाना
तेरे होने से मुकम्मल होती हूं मैं
मेरी डगमगाती ज़िन्दगी की तू लय बन जाना
बिन तेरे सब ख़ाली-ख़ाली लगता हैं
तू मेरे घर का सामान बन जाना
तेरे आने से चहक उठती है गलियां मेरी
तू मेरी गलियों की बहार बन जाना
तेरी सांसों से महकती है अब कविताऐं मेरी
तू मेरे बेसबब इंतज़ार का जवाब बन जाना-
वो जो आस लगाए बैठे थे
जीवन के रंग भुलाएं बैठे थे
कोई खुशी से झूम रहा था
तो कोई आंसु अपने छिपा रहा था
जिन्होंने ना भूख देखी ना प्यास देखी
निरंतर उन्होंने बस तुम्हारी राह देखी
ना हाल देखा अपना ना कोई हलचल देखी
दिन-महीनों तक ना फिर उन्होंने नींद देखी
ना हंसी देखी ना फिर खुशी देखी
ना फिर उन्होंने पहले वाली ज़िन्दगी देखी
कुछ शिकायतें जो अधूरी रह गई
कुछ बातें जो अनकही रह गई
मोहब्बत थी ये बता भी ना पाए
हाल दिल का सुना भी ना पाए
हर बात हमने कल पर टाली
और फिर उस कल से हम कभी मिल ना पाएं-
अब कहां कोई इंतज़ार करता है
कहां कोई अब किसी की राह तकता है
बदलती हुई इस दुनिया में
अब कहां कोई किसी के लिए ठहरता है
एक वक्त था जब खतों की अपनी क़ीमत होती थी
हर अक्षर पर प्रियतम के जां निसार होती थी
जब महीनों इंतज़ार करना पड़ता था
दीदार की खातिर रोज़ तरसना पड़ता था
जब आने से पहले उसकी खुशबू आती थी
जब घर-आंगन को उसकी आहट हो जाती थी
वो जब नजरें बेसब्री से उसका इंतजार करती थी
वो जब मिलकर उससे आंखें नम हो जाती थी
वो जब घर में क़दम रखता था
घर जैसें खिल उठता था
उसके होने से रौनक होती है
साथ उसके ज़िन्दगी ये मुक्कमल होती है-
"क्या है वो"
मेरी सुबह का पहला ख्याल है वो
रातों का मेरे ख्वाब है वो
उसे ना देखूं तो सुबह नहीं होती
बिन उसके शामें भी पूरी नहीं होती
दीदार से उसके आंखों को राहत है
बातों से उसकी मुझे प्यार है
आंखें उसकी लाजवाब है
बातें उसकी दिल के पार है
उसके होने से मैं चहक जाती हूं
साथ उसके मैं खिल जाती हूं
मेरे लिए सावन की बरसात है वो
ज़िन्दगी का मेरे अटूट विश्वास है वो
फीकें रंगों के बीच मेरा रंग हैं वो
आम सी इस दुनिया में मेरे लिए खास है वो
उसकी आहट से चहक जाती हूं
साथ उसके मैं खिल जाती हूं
मेरा नूर है वो
मेरा जूनून है वो
बेचैन सी इस दुनिया में
मेरा सुकून है वो-
सुनो सहेली,
तुम सुन लेना
मैं जब ना बोलूं
तब भी मुझे समझ लेना
मन की बात शाय़द कह पाऊं
थोड़ा वक्त मुझे भी दे देना
तुमसे तो यारी है
बात यहीं बस प्यारी है
कुछ ख्वाबों को देखा है
उन्हें पूरा करने की तैयारी है
आसमां में उड़ान भरना बाकी है
ज़मीं पर जंग जारी है
साथ तेरे मैंने हार कब मानी है
बात हमारी बस यही प्यारी है
कहने को रिश्ते बहुत है जीवन है
बशर्ते, तेरी दोस्ती की बात ही न्यारी है-
वो जब मुस्कुराती है
खुदा क़सम बला की प्यारी लगती है..
आंखें उसकी समंदर की ख्वाहिश करती है
माथे पर बिंदी उसके बहुत जंचती है..
पहने जो झुमका वो कानों में
तारीफ़ क्या करूं मैं उसकी अल्फाजों में..
लगाए जो गज़रा वो अपने बालों में
गहरा हो रंग हिना का जब उसके हाथों में..
खिलखिलाती हो जब वो तुम्हारी बातों से
रौनक हो ही जाती हो जब उसके आने से..
नूर झलकता हो जब उसके चेहरे से
समझना, अब सफल हो तुम अपने निस्वार्थ प्रेम में..-