Rakhi   (Rakhi)
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Joined 13 May 2018


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Joined 13 May 2018
15 HOURS AGO

ए ख़ुदा, न बना मुझे हिम्मत वाला,
अब और सहा नहीं जाता दर्द का प्याला।

कितने इम्तिहान और बाकी हैं मेरी राह में,
टूट रही हूँ मैं हर मोड़, हर आह में।

बुला ले मुझे अपने रौशन जहाँ में तू,
ये दुनिया तो बेमानी-सी, बेकार है यूँ।

सपनों के तिनके अब राख़ हो गए,
दिल के उजाले भी फ़ना हो गए।

तेरी रहमत में छुपा ले मुझे,
अपनी मोहब्बत में लुटा ले मुझे।

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YESTERDAY AT 7:32

एक याद... एक बात... एक बीता ज़माना,
मैं ख़ुशबू सी हवाओं में... तू मौसम,
तू धुआँ जो घुल गया इन हवाओं में।

मैं ख़ुशबू, तू एक झोंका...
मैं पल, तू गुज़रता लम्हा।

मैं रौशनी, तू अँधेरा...
मैं याद, तू बस सहरा...

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11 SEP AT 6:44

जीने की चाहत में ही, रोज़ मरते हैं ज़रा-ज़रा,
ये ज़िन्दगी भी चुपचाप बहती जा रही है, जरा-जरा।

ख़्वाबों की कीमत हर सांस में चुकानी पड़ती है,
और हक़ीक़त भी टूटकर सिखाती है, जरा-जरा।

मुस्कुराहटों के पीछे लम्हों का दर्द छुपा रहता है,
पर दिल फिर भी उम्मीद सजाता है, जरा-जरा।

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5 SEP AT 7:05

No matter how much you try to do your best...no matter how much they seem to be happy ...no matter how much they agree with you..but when time comes..some people can never be trusted!!

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5 SEP AT 6:59

वो हल्का-सा नशा… वो हल्की-सी मुस्कान…
वो थोड़ा-सा दीवानापन और थोड़ी-सी खुमारी…
बस, इसी को कहते हैं… इश्क़ की बीमारी!

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4 SEP AT 7:28


ये इश्क़ भी अजीब चीज़ है,
तेरे मेरे बीच कुछ भी नहीं…
मगर फिर भी बहुत कुछ है।

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31 AUG AT 21:22

जाने कहाँ, क्या भूल हुई, कितना भी अपने अतीत को झाँकूँ,समझ न पाऊँ…कहाँ से खोया, कहाँ से पाया,ये हिसाब कभी न बाँध पाऊँ।
काश, एक और मौका मिल जाए,एक बार फिर से बचपन लौट आए, मिट्टी की खुशबू, खेल-खिलौने,
बिना वजह की हँसी मुस्काए।
एक बार फिर से यौवन मिल जाए,सपनों का कारवाँ सज जाए, धड़कनों में आग, आँखों में रोशनी,
हर ख्वाब सजीव बन जाए।
उम्र गुजर दी बस पैसा कमाने में, दौड़ में खुद को ही भूल गया।
अब मुड़कर देखा तो जाना—
ज़िंदगी जीने लायक भी थी, पर मैं तो जीना ही भूल गया।

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29 AUG AT 9:17

वो बात जो आंखों आंखों मैं हो जाए...उसकी बात ही कुछ और है...
वो निगाहें जो मोहब्बत बयां कर जाए...उसकी बात ही कुछ और है...
बिन कहे जो बहुत कुछ कह जाए...वो इश्क ही कुछ और है...
और जो तुम मुझे देख कर यूं मुस्कुरा देते हो...मेरे आने से जो तुम अपनी धड़कने बढ़ा लेते हो... मेरे छूने से जो सांसे तुम्हारी बढ़ जाती है...
अब और क्या कहूं कि ये हरकते तुम्हारी मुझे भी तुमसे प्यार करने को मजबूर कर जाती है!!

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14 AUG AT 7:58

मिथिला की कुमारी थी वो… राम संग ब्याही थी वो…
जनक की दुलारी… दशरथ के मन को भी भायी थी वो…
रावण छल से उठा ले गया,
पर तिनके के सहारे भी… खुद को संभाले थी वो…
हनुमान से मुद्रिका ली और
चूड़ामणि दे अपनी पहचान बताई थी वो…
रावण मारा गया…
और राम के संग फिर से पाई थी वो…
वनवास में राम का हर दुःख साझा किया,
पर अंत में… राम से ही त्यागी गई थी वो…
भैया समान लक्ष्मण को माना,
मगर वही… वन में छोड़ आया था उसको…
ये है कहानी सीता की…
और यही है कहानी… हर औरत की…
प्यार किया… साथ निभाया…
फिर भी…
समाज की कसौटी पर—त्याग दिया।"**

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10 AUG AT 16:24

In every soul, one must lead — the heart or the mind.
The mind walks in measured steps, mapping each turn with reason.
The heart, wild and unbound, follows desire —
right or wrong, yet always true to itself.

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