अभी हमने जी भर के देखा नहीं है
उन्हें तो हमेशा शिकायत यही है।।
पूर्णिमा की चांद सीआती हो कभी-कभी
जरा देर ठहरो दिलबर तमन्ना यही है
दिल की लगी की ख्वाहिश यही है।।
भवंर में हूँ उलझी साहिल बना लो
प्रीत के रंग में मुझको रंगा लो
ह्वदय की ये धड़कन ठहरी नहीं है।।
भरी महफिल में क्यूँ अनदेखा करते
अपने जज्बात क्यूँ दबा के रखते
मेरे दिल को समझो गुजारिश यही है।।
बहुत दिन के बाद पहलू में आए
लजा कर उन्होंने शिकवे सुनाए
व्याकुल मन की व्यथा सब कही है।।
हमें तो तुम्हारी बेबसी ने मारा
करूँ मैं कैसे तेरे बिन गुजारा
छोड़ना ना दामन इल्तिजा यही है।।
- राखी
26 JUN 2018 AT 12:39