Rakhi Dubey   (Rakhi Dubey)
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Joined 22 May 2017


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Joined 22 May 2017
1 JUN 2021 AT 9:00

Planted myself again,
Let'see if I get rooted this time..

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2 APR 2021 AT 22:52

रोती हूँ फिर संभल जाती हूँ,
हँसती हूँ फिर संभल जाती हूँ ।
गिरती हूँ फिर संभल जाती हूँ,
खिलती हूँ फिर संभल जाती हूँ।

ज़िन्दगी एक बवंडर है,
ये भूल कर भी ना भूल पाती हूँ ।।

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26 MAY 2020 AT 9:06

जाने किधर जा रही है ज़िंदगी,
आगे बेखबर जा, या पीछे भगा रही है जिंदगी।

कुछ दसियों साल निकल गए सँवारने में,
बूढ़ी माँ को औलाद जैसे ठुकरा रही है ज़िन्दगी।

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26 MAY 2020 AT 8:44

इस गर्म मौसम में कुछ सर्द रातें इस कदर आती हैं,
दिल सुन्न सा रह जाता है और रूह सिकुड़ जाती है।

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10 MAR 2019 AT 14:33

कहीं चेहरे पर उम्र की तस्वीरें ना मढ़ जाएँ,
इन हौंसलों पर वक़्त की लकीरें ना पड़ जाएँ,
जाना है बहुत दूर,अभी रास्ता भी ना है करीब,
इस जलते लहु पर सुकूँ की ज़ंजीरें ना पड़ जाएँ।

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23 FEB 2019 AT 14:15

रिश्ते नाज़ुक होते हैं धागों से,
फिर सपने नहीं बुन पाते गाँठों से।

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11 FEB 2019 AT 11:25

आज अकेले हो तो इसे आदत बना लो,
कल क्या पता भीड़ में अपने छोड़ जाएँ

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13 JAN 2019 AT 8:51

क्या कहें, ज़िन्दगी में दोस्तों की क्यों कमी है,
लगता है मुखौटे में सच्चे जज़्बातों की नमी है।।

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9 DEC 2018 AT 8:27

जाने किस तरह लोग यूँही छवियाँ बना लेते हैं,
दो पल की गुफ़्तगू में मानो सदियाँ समा लेते हैं।

हम नासमझ तराज़ू बिन कुछ तोल नहीं पाते,
कैसे लोग एक नज़र इंसान का मोल लगा लेते हैं।।

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27 JUL 2017 AT 1:04

Happy Birthday SaGa




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