बेजान सी जिंदगी जैसे किताब!
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सवाल कभी खुद से भी किया करो,
मतलब के लिए कोई इतना कैसे गिर सकता है।-
चलो कुछ और बात करते हैं,
चलो फिर से मोहब्बत करते हैं,
तुम बोलोगी ऐसे मोहब्बत थोड़े ही होती है,
तो सुनो तुमने जैसे किया वैसे भी नहीं होती है।-
थोड़ी देर पहले हम तेरे अपने थे,
कुछ ही देर बाद हम बेगाने हो गए?
रोज करती थी ख्यालों की बातें,
क्या वो ख्याल भी अब पुराने हो गए?-
कोई किसी का नहीं होता
बस ये कहने की बात है,
देखो आज जररूत है मुझे
कमबख्त कहां कोई साथ है।-
दिल तोड़ती फिर भी ठीक था,
तुमने तो मेरा भरोसा तोड़ा है ,
खुश रहने की धमकी मत दो मुझे,
वक्त ने अच्छे अच्छों को नहीं छोड़ा है।-
अब घबराहट नहीं होती अब मुस्कुरा देता हूं,
अब याद भी आ जाए तो अब सो जाता हूं,
शायद दिल को तेरी हसरत नहीं रही अब ,
अब सामने से भी गुजर जाए तो मुंह फेर लेता हूं,
अब घबराहट नहीं होती अब मुस्कुरा देता हूं।।-
क्या कहती थी, तुम नहीं समझोगे,
तो तेरे लिए कुछ जवाब हैं सुनो__
हां मैं नहीं समझूंगा तेरी चालाकी,
हां मैं नहीं समझूंगा तेरी बदसुलूकी,
हां मैं नहीं समझूंगा तेरी नजर अंदाजी,
हां मैं नहीं समझूंगा तेरी चुगलीबाजी,
हां मैं नहीं समझूंगा किसी और को देखना,
हां मैं नहीं समझूंगा किसी और से मिलना,
हां मैं नहीं समझूंगा किसी और की तारीफ करना,
हां मैं नहीं समझूंगा रोज यूं मुझसे बहाना करना,
हां मैं नहीं समझूंगा हर बात पर तेरा झूठ बोलना,
हां मैं नहीं समझूंगा बिना मन के लव यू कहना,
हां मैं नहीं समझूंगा मतलब से मुझे प्यार करना,
खैर रहने दो यारा नहीं समझूंगा बस नहीं समझूंगा।
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गलतफहमी में हो तुम की तेरे बगैर हम मर जायेंगे,
जरा देखो इन आंखों में कही भी तुम दिखती हो।-