"*मैं कितनी ही मुश्किलों में रहूं मुझे हमेशा मेरी मां याद आई है,
हार जाता कब का मैं लेकिन मेरी मां ने हमेशा मेरी हिम्मत बढ़ाई है,
और कोई क्या सिखाएगा मुझे प्यार करने का तरीका
अरे मैंने एक हाथ से थप्पड़ और मां के दूसरे हाथ से रोटी खाई है,
मेरी खुशी के खातिर अपनी सारी खुशियां भूल जाती है
मैं जब परेशान होता हूं तो मेरे सारे दुख बांट लेती है,
मुझे जब नींद नहीं आती तो गोद में सर रख मुझे सुला देती है,
मैं कितना भी गम छुपा लूं मेरे बिना बोले ही सब कुछ समझ जाती है,
थाली पहले हमारी सज कर आती है और अंत में वह सूखी रोटी खा कर सो जाती है,
इस ममता का कर्ज चुकाना मेरे बस की बात नहीं है
लिखने बैठूं तो सारी जिंदगी लिखता रहूं
अपने अरमानों को वह सूली पर टांगती है
तब जाकर वह भगवान मां कहलाती है।।*"
❣️❣️-
"*पूरे साल लोग अपने रंग बदलते रहे
कि पूरे साल लोग अपने रंग बदलते रहे,
और होली के दिन कहते हैं
भाई मुझे रंगों से एलर्जी है।।*"-
"* हे भोलेनाथ !!
सुनो जरा हमारी भी बात
खोल दिया हमने अपने दिल के द्वार
सुना है आ रहे हैं आप इस गुरुवार।।*"
🙏🏻❣️🙏🏻-
"*क्या करूं ऐसा कि तुम मेरी हो जाओ
कौन से मस्जिद में करूं सजदे
कौन से मंदिर में माथा टेक आऊं,
कौन से पेड़ में बांधूं धागे
कौन से कुएं में मन्नत मांग
नाम लिख तेरा फेंक आऊं,
एक रोज बजे मेरे घर के दरवाजे की घंटी
कि एक रोज बजे मेरे घर के दरवाजे की घंटी,
और तुम आवाज़ लगाकर कहो
खाली हो तो देख लो या मैं देख आऊं।।*"
❣️❣️-
"*वो तन्हां छोड़ गई तो क्या हुआ
मैं क्यों कहूं बुरा उसको,
अरे जो हुआ सो हुआ
बस खुश रखे खुदा उसको।।*"
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"*पन्नों पर उतारूं तो भी याद आती हो
भूलना जो चाहूं तो भी याद आती हो,
उलझनों में फंस गई है ये जिंदगी
किसी और को चाहूं तो भी याद आती हो।।*"-
*"सुना है मैंने कि अंत में
सब ठीक हो जाता है,
मुझे उस अंत का इंतजार है।।"*-
"*हम अक्सर मिलने आते थे
वो हाथ में फूल गुलाब का लाते थें।
उन्हें देख हम शर्मा जाते थें
जाने क्यूं वो मुझे देख मुस्कुराते थें।
उनकी बाहों का सहारा मिल जाए
ऐसे ख़्याल दिल में आते थे।।*"-
"*दिल मेरा मचलता है जब
याद का दीपक जलता है!
तेरी यादों का सिलसिला
फिर रात भर चलता है!
ना आंखों में नींद होती है
ना दिल का चैन आता है!
दिल संभाले नहीं संभालता है
जब याद का दीपक जलता है!!*"-
आकाश से कटी पतंग हो जैसे!
दूर-दूर पता नहीं है तेरा,
दूसरों के हाथ लग गए हो जैसे!
डोर फिर भी तेरे हाथों में अभी हैं,
बस मिलने की चाह बाकी नहीं हैं!
रिश्ता हैं ये, कोई पतंग नहीं,
नई पतंग डोरी से बंध जायेगा!
यूं पतंग से ना कर मेरा मोल,
कट गया तो, फिर ना जी पायेगा!!-