आज कल तु शायरी लिख रहा है!मेरे मित्र ने कहा? तो मैंने कहा हां.....बस उसका नाम लिखने का इज़ाजत न मिली ? बाकी सब कुछ तो उसपर कभी कभी लिख दिया करता हूं।
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आपकी सारी तस्वीरें विलोपन हो गई,फोन से नंबर भी विलुप्त हो गया। मगर आपके साथ बिताए वह क्षण,पल,स्मृति,स्मरण,रफीज़ा और चित्त मन,दिल और दिमाग़ से उद्घर्षण नही हो पा रहा है??
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सुन्दरता" सस्ती है, "चरित्र" महंगा है ...। "घड़ी" सस्ती है, "समय" महंगा है..! "शरीर" सस्ता है, "जीवन" महंगा है...। "रिश्ता" सस्ता है, लेकिन "निभाना" महंगा हैं ...इसलिए कुछ रिश्ते मे हैं,इसलिए चुप हैं " कुछ चुप हैं, इसलिए रिश्ते मे है।
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तुम सुमंदर की बात करती हो,
मैं तुम्हारी आंखों में ही डूब जाता हूं।-
जब अच्छे स्वस्थ, स्थाई आमदनी और परिवार के सदस्यों के साथ अच्छे संबध हो तो।
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जो भी आपका शुभचिंतक होगा वह कठोर जरूर होगा,
और जो आपका शोषण करना चाहेगा वह मृदुल होगा ।।
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मैं आपको फूल नहीं दे सकता,
मगर हां वादा करता हूँ आपसे आपकी राह मे कभी भी काँटे आने नही दूंगा।-
"पिता"
मेरी कोशिशों की ऊँचाई है आप,
मेरी आशाओं की गहराई भी आप।
परिश्रमी के लिए कुछ भी असंभव नहीं,
यह मैंने आपसे सीखा।
आपकी सतत संबल मेरे जीवन में ,
पीपल के दरख़्त जैसा सरीखा है।
(पीपल के पेड़ पिता के तरह होते हैं, जो दुनिया और मौसम की क्रूरता से हमें बचाते हैं।)
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"पूर्णिया"
मैं पूर्णिया लिखूं तुम श्री नरसिंह अवतार स्थल प्रहलाद नगर समझना।
मैं पूर्णिया लिखूं तुम राक्षस हिरण्यकश्यप का वध स्थली समझना।
मैं पूर्णिया लिखूं तुम होलिकादहन की शुरुआत भूमि समझना।
मैं पूर्णिया लिखूं तुम 20वी सदी के महान संत महर्षि मेंही का घर समझना।
मैं पूर्णिया लिखूं तुम बिहार ही समझना।
मैं पूर्णिया लिखूं तुम फणीश्वर नाथ ' रेणु ' की धरती समझना।
मैं पूर्णिया लिखूं तुम कवि राज रामधारी सिंह 'दिनकर' की कर्म भूमि (रश्मिरथी) समझना।
मैं पूर्णिया लिखूं तुम सुशांत सिंह राजपूत की पैतृक गांव समझना।
मैं पूर्णिया लिखूं तुम सौरा नदी के पश्चिमी किनारे समझना।
मैं पूर्णिया लिखूं तुम बिहार ही समझना।
मैं पूर्णिया लिखूं तुम पूरन देवी माता समझना।
मैं पूर्णिया लिखूं तुम मिनी दार्जीलिंग समझना।
मैं पूर्णिया लिखूं तुम काला पानी का सजा समझना ।
मैं पूर्णिया लिखूं तुम 251साल पुराना ज़िला समझना और पूर्ण अरण्य ( पूर्व में जंगल वाला शहर) समझना।
मैं पूर्णिया लिखूं तुम बिहार ही समझना।
मैं पूर्णिया लिखूं तुम BR-11 समझना।
मैं पूर्णिया लिखूं तुम एशिया की सबसे बड़ी मंडी गुलाबबाग समझना।
मैं पूर्णिया लिखूं तुम डाक संख्या (पिन) 854301,02,03,04,05,26 समझना।
मैं पूर्णिया लिखूं तुम निर्देशांक 25°47′N 87°28′E / 25.78°N 87.47°E समझना।
मैं पूर्णिया लिखूं तुम बिहार ही समझना।
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