Rakesh Mishra   (Rakesh Mishra)
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Joined 10 March 2019


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Joined 10 March 2019
25 APR 2021 AT 22:58

कैसा ये प्रकोप, कैसी ये बीमारी है
कोरोना है पाप किसी का किया हुआ
या फिर सभी के जनाज़े की तैयारी है
कराह रहा हर देश यहां
बदल रहा हर वेश यहां
कैसी बेकार और बेवजह महामारी है

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27 MAR 2021 AT 13:20

मोहब्बत है निगाहों में मेरे
कभी आकर कुछ पल गुज़ार।
हसरत है बस ये मेरी
करता रहूँ सिर्फ तेरा दीदार।
कभी फुर्सत मिले और गलियों से
मेरे दिल की गलियों में कर इख़्तियार।
कभी आकर कुछ पल गुज़ार

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23 FEB 2021 AT 23:49

मोहब्बत और जंग कभी भी हो जाये
मगर कितना समय चले ये कौन बताये

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1 FEB 2021 AT 23:41

अभी यादें हुई थी कुछ धुंधली सी
अब तुम वापस आ गए

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6 AUG 2020 AT 22:28

भूलने की कुछ आदत सी पड़ गयी है।
भूल चुका हूं तेरे दिए हुए ग़म ।।
सोचने की चाहत बन गयी है।
सोचता हूँ बस तुझे हरदम।।

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5 AUG 2020 AT 22:51

मोहब्बत के लिए एक दवा बन गई हो।
दिल की आरज़ू और वफ़ा बन गई हो।।
कभी सोच कर उलझन में होते थे।
आज एक सुलझी हुई हवा बन गई हो

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28 MAR 2020 AT 21:30

क्या है जिंदगी की हक़ीक़त
बस मतलब अपना अपना

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10 FEB 2020 AT 23:00

लो हो गया अधूरा अब मैं।
अब पूरा करने की जिम्मेवारी कौन लेगा।
लो जी लिया पल दिल लगाने से दिल टूटने तक का।
अब दोबारा वो अपनी यारी वापस कौन देगा।।

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10 FEB 2020 AT 22:51

कभी ज़िंदगी को मोहलत न देना यारों।
क्योंकि ज़िंदगी आपको कोई मोहलत नहीं देती।।

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14 JAN 2020 AT 0:41

सहम जाता हूँ मैं।
देखकर ज़माने को बदलता आजकल।।
कभी अपने अपने और पराये पराये होते थे।
और आज अपने पराये हो रहे हैं।।

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